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F M POETRY
White ज़ाम लेते हैं तेरी यादों में.. सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
#सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
read moreneelu
White गर्मी भी बहुत ज्यादा थी बारिश भी बहुत ज्यादा थी मतलब सर्दी भी..... ©neelu #good_night #गर्मी भी बहुत #ज्यादा थी #बारिश भी #बहुत ज्यादा थी मतलब #सर्दी भी.....
Veer Tiwari
रात के 9:00 बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं। गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं। चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो। आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं। गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है। यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है। ©Veer Tiwari गांव की एक शाम ....
गांव की एक शाम ....
read moreवैभव जैन
White 🧓वो मेरी नानी थी🧓 मेरे बचपन मेरी गर्मियों की वो राजधानी थी भूलती नहीं कांच की चूड़ी वो मीठी लोरी थी हर पाठ सिखाई वो ही तो घर की महारानी थी वो मेरी नानी थी ।।1।। परायों को अपनाती वो खुशियां अपनी देती थी वो झूठा गुस्सा करके धीरे से मिठाई खिलाती थी चेहरे पर झुर्री नहीं हां कान में थोड़ी परेशानी थी वो मेरी नानी थी ।।2।। बचपन गया आई जवानी बदली नहीं राजधानी थी साझा नहीं किया दर्द सादगी जानी पहचानी थी चली गई आज छोड़ के अब हर चीज बेगानी थी वो मेरी नानी थी ।।3।। "गुरु प्रशस्त"कहे साथ नहीं नानी उनकी यादें संजोना "वैभव"किस्मत वालों हो मां जैसे नानी का प्यार मिलना ©वैभव जैन #वो मेरी नानी थी
वो मेरी नानी थी
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White शाम का रंग तेरे रुखसार सा है आँखों में झिलमिलाते उम्मीद के दिए शहतूत से रस भरे होंठ तेरे इनमें रंग तेरे प्यार का है ©हिमांशु Kulshreshtha शाम का रंग...
शाम का रंग...
read moreranjit Kumar rathour
थी बातूनी सी उसकी बक बक से सब रहते थे परेशान लेकिन वो बेहतरीन थी जरूरत थी उसके मनोबल क़ो बढ़ाने कि उम्मीद खूब आगे जाना बाबू मेरा आशीर्वाद तुम्हे ताउम्र होगा हाँ होगा ©ranjit Kumar rathour थी एक बक बक
थी एक बक बक
read moreranjit Kumar rathour
थी एक दोस्त (दीपा ) ************* किसकी बात कर रही हो अरे यार दोस्त के बारे ऐसा नहीं कहते हा यही तो दुख हैँ अब दीपा नहीं रही... सन्न थे ग्रुप के सभी दोस्त सहेलियां थे हम बचपन से जवानी तक साथ रहे है हम फिर अपनी दुनिया मे गुम रोज घर परिवार पुराने दिनों के किस्से कहानिया थोड़ी मस्ती और शरारत और फिर एक दिन डरा देने वाली खबर किसी ने लिखा पता है अपनी शैतान बीमार है वो बड़ी परेशानी मे है हम पांच सहेलियों मे से एक सबने दुआएं कि बोला यार तू घबराना मत हिम्मत रखना डार्लिंग! तू तो हम सबकी जान है तुझे कुछ नहीं होगा लेकिन एक दर्द उभरा चंद दिन पहले लिखा नहीं डिअर अब मेरा समय करीब है और फिर एक सितम्बर आज़ ही के दिन दीपा मेरी जान! हम सबकी पावर हाउस हर बात पर मस्ती शरारत का कोई मौका नहीं छोड़ती नाम भी कितना सुंदर दीपा.. जिसकी जलना ही नियति थी याकायाक बुझ गयी... दोस्त क़ो स्नेह भरा आलिंगन काश! हम सब साथ होते और एक बार फिर गले मिलते एक तस्वीर तेरी पसंद से खिचवाते हा! नियति ने मुझे तुमसे चंद दिन पहले मिलने का मौका दिया था मैं भाग्यशाली हूं.. अपने यार को मिल पाया तू जहाँ भी रहेगी दमकती रहेगी हा हम सारे दोस्त तुम्हे मिस करेँगे हा तुझे..मुझे अपने घर लाने का वादा अधूरा रहा गया माफ़ी चाहती हूं लेकिन तेरी हर बात न्यारी थी यार तू हमारी प्यारी दोस्त थी..सदा रहोगी मगर एक शिकायत ऊपर वाले से इतनी जल्दी भी क्या थी अभी तो दीपा क़ो काफ़ी कुछ सवारना था बाबू के जीवन मे उजाला भरना था ये तेरा न्याय ठीक नहीं.. और भगवान आपसे एक मिन्नत है मेरी ही नहीं हमारी जान क़ो अपने चरणों मे जगह देना बहुत प्यारी है वो हा बहुत प्यारी है तुझे इस कदर लिखना अच्छा नहीं लगता और अब इतनी हिम्मत नहीं कि तुझे और लिख पाऊं... अश्रुपूरित नयन, बेकल मन से तुझे नमन करती। हुँ 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏 ©ranjit Kumar rathour एक थी दोस्त (दीपा )
एक थी दोस्त (दीपा )
read moreबदनाम
उस रात की सियाही में वो अजनबी मिली, जिस्म की ज़रूरत थी, पर रूह छू गई। ©बदनाम जिस्म की ज़रूरत थी
जिस्म की ज़रूरत थी
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