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Rajeshwar Singh Raju
#trappedtourist "हद" मैं रात भर सोया नहीं , आसमान में उड़ते जहाज़,
#trappedtourist "हद" मैं रात भर सोया नहीं , आसमान में उड़ते जहाज़,
read moreAkshay Shukla
#कैसे_बाँटोगे_इंसान #भारत-पाकिस्तान #बंटवारा भारत पाकिस्तान के बटवारे के ऊपर एक छोटी सी कोशिश। सालों बीत गए लेकिन दर्द आज भी जिंदा है उस बट
#कैसे_बाँटोगे_इंसान #भारत-पाकिस्तान #बंटवारा भारत पाकिस्तान के बटवारे के ऊपर एक छोटी सी कोशिश। सालों बीत गए लेकिन दर्द आज भी जिंदा है उस बट #Poetry
read moreसुसि ग़ाफ़िल
रूस वर्सेस 30+1 देश रशिया और यूक्रेन की लड़ाई असल में दो देशों के बीच में नहीं है यह लड़ाई रशिया और नाटो देशों के बीच में है जिनकी संख्या 30 है क्योंकि अमेरिका
रशिया और यूक्रेन की लड़ाई असल में दो देशों के बीच में नहीं है यह लड़ाई रशिया और नाटो देशों के बीच में है जिनकी संख्या 30 है क्योंकि अमेरिका
read moreSK Poetic
#5LinePoetry धूप ये अठखेलियाँ हर रोज़ करती है एक छाया सीढ़ियाँ चढ़ती—उतरती है यह दिया चौरास्ते का ओट में ले लो आज आँधी गाँव से हो कर गुज़रती है कुछ बहुत गहरी दरारें पड़ गईं मन में मीत अब यह मन नहीं है एक धरती है कौन शासन से कहेगा, कौन पूछेगा एक चिड़िया इन धमाकों से सिहरती है मैं तुम्हें छू कर ज़रा—सा छेड़ देता हूँ और गीली पाँखुरी से ओस झरती है तुम कहीं पर झील हो मैं एक नौका हूँ इस तरह की कल्पना मन में उभरती है ©S Talks with Shubham Kumar एक चिड़िया इन धमाकों से सिहरती है #5LinePoetry
एक चिड़िया इन धमाकों से सिहरती है #5LinePoetry #कविता
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
"बारूद के धमाकों से कहीं अधिक तेज होती है मेरे दिल से निकली मोहब्बत की आवाज रात के अंधेरे को ही नहीं जिंदगी के अंधेरे को रोशन कर देती है मेरे दिल से निकली मोहब्बत की आवाज बारूद के धमाकों से कहीं अधिक तेज होती है मेरे दिल से निकली मोहब्बत की आवाज।" रचनाकार:- आजाद पूरण सिंह राजावत बैनाड़ रोड, जयपुर, राजस्थान। ©Azaad Pooran Singh Rajawat #बारूद के धमाकों से कहीं अधिक तेज होती है#
Sunil Pande Writer Content Creator
आओ स्वागत है धमाकों से Shayari #trendingnow shayari #shayarilover #shayarilove #bewafashayari #loveshayari #rekhtashayari #bewafashayari # #Motivation
read moreसुसि ग़ाफ़िल
बारूद की बनी हुई दुनिया उखाड़ सकती है चित्थड़े धरती के बिखेर सकती है मांस के लौथड़े चीर सकती है एक बच्चे का हृदय धमाकों से परंतु नहीं लगा सकती एक भी फूल बारूद की बनी हुई दुनिया उखाड़ सकती है चित्थड़े धरती के बिखेर सकती है मांस के लौथड़े चीर सकती है
बारूद की बनी हुई दुनिया उखाड़ सकती है चित्थड़े धरती के बिखेर सकती है मांस के लौथड़े चीर सकती है #Russia #ukraine #ग़ाफ़िल #worldwar3 #सुसिल
read moreNojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
फाँसी पर शायरी/कोट लिखें आज 26/11 का दिन है जिस दिन 2008 में मुंबई में बम धमाकों ने कई लोगों का आज तक सुख चैन चीन हुआ है , अपनी प्रतिक्रिया
फाँसी पर शायरी/कोट लिखें आज 26/11 का दिन है जिस दिन 2008 में मुंबई में बम धमाकों ने कई लोगों का आज तक सुख चैन चीन हुआ है , अपनी प्रतिक्रिया #nojotohindi #SpecialDays
read moreRakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
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