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Mona Singh
मेरी नज़र में #कन्यादान... कन्या दान सभ्यता और परिवार की नींव हेतु बनाई गई एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण रीति है और इसकी नायिका हम "स्त्रियां" ❣️है... #पुरुष प्रधान समाज है था और रहेगा भी वास्तविकता है... पर पुरुष जोकि प्रधान है आज भी समाज में और उनके द्वारा "कन्यादान" की परंपरा को अपना अधिकार मानना गलत है। समाज के सुचारू रूप से संचालन के लिए यह परंपरा हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित की गई है। #स्त्री ही इस कार्य को सम्पन्न कर सकती थी संपूर्ण ब्रह्मांड का कण कण यह जानता है। #सभ्यता की शुरुआत भी घर बनाने से हुई है। अगर #स्त्री, #पुरुष दोनों ने इस परंपरा को अस्वीकार कर दिया होता तो शायद हम भी सभ्य जानवर नहीं कहलाते पशुता हावी रहती। तो #कन्यादान पारिवारिक जीवन को स्थापित करने की नींव है। मैं तो यही सोचती हूं। एक बार लिखा था.. स्त्रियां प्रकृति प्रदत्त कार्यों को संपादित करती है.. स्त्रियां प्रकृति ही है ... पुरुष प्रकृति सेवक😎😆। ✍️⚡मुर्खों की बात पर आहत होना प्रकृति का गुण नहीं है प्रिय नायिकाओं ♥️ मोना सिंह आत्मसंपदा ©Mona Singh #कन्यादान
Ashish Mishra
जो कल तक साथ हमारे थी, वो आज इक पल पराई हो चली। जो अब तक जान हमारी थी, वो शान किसी और की हो चली। सब कहते हैं बेटियाँ कभी पराई नहीं होती, वो आज इक पल में दूर हो चली। वो छोड़ आँगन बाबुल का ससुराल की हो चली, जो थी कल तक हमारी लाडली। वो आज उसे अपने घर की आन बना ले चले पर आप हमारी मुस्कान ले चले। जो थी कल तक बस नन्ही जान, वो आज आसमान तय अर चली। धन्य हुए हम माँ बाप जब हमने कन्या दान किया, और सौभाग्यशाली वो हुए जिन्होंने कन्या दान लिया। #कन्यादान
Tarakeshwar Dubey
कन्यादान ------------ दशम गतांक से आगे…. विजय बाबु ने रामलालजी को फोन लगाया। विजय बाबु : मनीष बाबु हमारे दफ्तर आए थे। विस्तारपूर्वक बातें हुई। मैने उन्हें प्राची की इच्छा बताई। उन्होंने प्राची की विचारों में अपनी सहमति जताई है और पूरा सहयोग का आश्वासन दिया है। उन्होंने प्राची के सपनों को साकार कराने का वचन दिया है। मेरी समझ से रिश्ता करने में कोई दिक्कत नहीं है। उल्टे बिटीया का भविष्य उज्जवल होगा और आपका रिश्ता भी.... रामलालजी : मैं घर में बातें करके बताता हूँ.... रामलालजी ने सारी बातें मोहिनी को बताई। मनीष बाबु ने आश्वासन दिया है प्राची का हर तरह से साथ देने का। क्यों न चलकर मनीष बाबु के घर औपचारिक बात कर ली जाए ताकि सब कुछ साफ और आमने सामने हो जाए। मोहिनी : आप ठीक कहते हैं। मै प्राची से बात करके उसे राजी कराती हूं। मोहिनी ने प्राची को आखिर मना लिया। बेटा हम सिर्फ बातें करने जा रहे हैं। बात जंचेगी तो आगे बढ़ेगी अन्यथा हम वापस आ जाएंगे। कोई जबर्दस्ती थोड़ी है। मैं तेरे साथ हूं। तू निश्चिंत रह.... रामलालजी ने संडे का दिन तय किया। विजय बाबु ने मनीष बाबु को सुचना दी। कार्यक्रम निर्धारित हो गया। संडे के दिन रामलालजी अपने परिवार सहित विजय बाबु को लेकर मनीष बाबु के घर पहुँचे। मनीष बाबु ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। मनीष बाबु : धन्य भाग हमारे जो आप लोग पधारे.... आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई न..... विजय बाबु : नहीं कोई खास नहीं.... मनीष बाबु : आइए, अंदर चलें..... विजय बाबु और रामलालजी को सोफे पर बिठाते हुए मोहिनी और प्राची को अपनी पत्नि शालिनी की तरफ इशारा किया। शालिनी ने उन्हें सोफे पर बिठाया। शालिनी मेहमानों को चाय नाश्ता का इंतज़ाम करने के लिए अंत:खाने में चली गई। तब तक सतीष भी वहां आ गया। मनीष बाबु ने उसे पास में बिठाया और सबसे परिचय कराया। सतीष ने सभी को नमस्कार और अभिनंदन किया। विजय बाबू : हमारी बिटिया के लिए शिक्षा सर्वोपरि है। स्कूल फाइनल में वह डिस्ट्रिक्ट टापर रही है और स्कालरशिप प्राप्त कर चुकी है। अभी आई. ए. एस. की तैयारी में तल्लीन है। क्रमश:………… ©Tarakeshwar Dubey कन्यादान
कन्यादान #कहानी
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