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अज्ञात
कद न अंगुष्ट सा मन बैरी दुष्ट सा नैनों से नीर ले पैरों को पीर दे चर्म चर्म चीर के.. आप में संतुष्ट सा अंग अंग रुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा... करता मनमानी है आफत में प्राणी है.. इसकी ना मानी तो काया को हानी है रोग लगे कुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. अवलम्बित देह का स्वारथ के नेह का प्रेरक प्रमेह का सत्य में संदेह सा छिन छिन में पुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. संगी एकांत का प्यासा देहांत का मृत्यु तक छोड़े ना.. दामन भी तोड़े ना.. उददंड अतुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा.. ©अज्ञात #मन
Kamlesh Kandpal
मन का दीपक जला लो,बस एक बार , फिर कोई भी अन्धेरा, तुम्हें डरा नहीं पायेगा जीत जाओगे जिस दिन खुद को खुद से , फिर कोई तुम्हें ,हरा नहीं पायेगा ©Kamlesh Kandpal मन
मन
read moreSatish Kumar Meena
White इंसान का चिंतन और मनन वातावरण पर निर्भर करता है वो भी स्वयं के। ©Satish Kumar Meena चिंतन और मनन
चिंतन और मनन
read moreEkta Singh
White तेरी बात जब आए मेरा मन मुस्कुराए मेरी आँखों में चेहरा तेरे स्वप्न दिखाए ©Ekta Singh मन
मन
read moreAndy Mann
White *आपसे मन की बात* *परिपक्वता* या कहो बुढ़ापे में *बढ़ती* हुई उम्र के साथ साथ *बहुत* कुछ बदल जाता है *पहले* हम जिद कर सकते थे *अब* सिर्फ समझौता करते है *पहले* हम गुस्सा कर सकते थे *अब* सिर्फ हौसला ही करते है *पहले* मनचाहा खाते बनाते थे *अब* अनचाहा भी खाते है *जुल्म* तो ये हुआ है कि लोग *फिर* भी इसे आदर कहते है *और* सम्मान का नाम भी देते है *यही सच है* ©Andy Mann #मन_की_बात Arshad Siddiqui @_hardik Mahajan KK क्षत्राणी Neel Ravi Ranjan Kumar Kausik
#मन_की_बात Arshad Siddiqui @_hardik Mahajan KK क्षत्राणी Neel Ravi Ranjan Kumar Kausik
read moreVijay Shankar
White लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए मुख्य व्रत हरतालिका तीज, नवरात्रि, सावन सोमवार आदि ....!!! और लड़कों को मनचाही वधु प्राप्त करने के लिए मुख्य कार्य UPSC, JEE, NEET, MPPSC, MP, SI, SSC .. आदि । 🤣😁😃😂 ©Vijay Shankar लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए
लड़कियों को मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए
read moreseema patidar
White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है तो कभी मायूसी को गले लगाता है कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है कभी स्वार्थ में खुद के लिए प्रेम ढूंढता है तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी ओरो के लिए उड़ेल देता है कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र कर लेता है तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है। ©seema patidar मेरा मन
मेरा मन
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