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N S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री सीताराम जी से कुछ भी मत मांगो, भगवान से उनकी सेवा उनसे उनकी भक्ति और भगवान में पिर्ति बढ़े, ऐसा प्रेम और उनकी और उनसे अपनापन बन सके, ऐसा सुकरना मांगो, देखना जिंदगी में सुधार होने लग जायेगा।। जय श्रीसीताराम जी।। ©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री सीताराम जी से कुछ भी मत मांगो, भगवान से उनकी सेवा उनसे उनकी भक्ति और भगवान में पिर्ति बढ़े, ऐ
#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री सीताराम जी से कुछ भी मत मांगो, भगवान से उनकी सेवा उनसे उनकी भक्ति और भगवान में पिर्ति बढ़े, ऐ
read moreSrinivas
एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है। ©Srinivas एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।
एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।
read moreShashi Bhushan Mishra
दीप जलता है सदन में, अंधेरा है व्याप्त मन में, चलाता है श्वास सबका, वही रक्षक है भुवन में, प्रेम और विश्वास से ही, प्रकट होते ईश क्षण में, कर रहे गुणगान सारे, धरा से लेकर गगन में, सिंधु से जलश्रोत लेता, वही भरता नीर घन में, जागता है साथ हरपल, साथ रहता है सयन में, हृदय में है व्याप्त गुंजन, बसा ले उसको नयन में, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दीप जलता है सदन में#
#दीप जलता है सदन में#
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। हे नम्रता के सम्राट दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी हमें वरदान दे कि सेवक और मित्र के नाते जिस जनता की हम सेवा करना चाहते हैं उससे कभी अलग न पड़ जायें। हमें त्याग, भक्ति और नम्रता की मूर्ति बना ताकि देश को हम ज़्यादा समझें और ज़्यादा चाहें। ©बेजुबान शायर shivkumar #gandhi_jayanti महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। हे नम्रता के #सम्राट दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी हमें वरदान दे कि
#gandhi_jayanti महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। हे नम्रता के #सम्राट दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी हमें वरदान दे कि
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे, भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो। मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं, पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं। ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है, वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं। इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है, सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से
ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से
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