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Mannu Mauryavanshi
शहर के शहर बंद हर गली में नाकेबंदी है तुम पता नहीं किस रस्ते ख्यालों में चले आते हो ©Mannu Mauryavanshi शहर के शहर बंद हर गली में नाकेबंदी है तुम पता नहीं किस रस्ते ख्यालों में चले आते हो @mannu #flowers
JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
छत्तीसगढ़ी गीत शादी न काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न, तारीफ़ म गाना तोर बर लिखे बर सिख लेहुँ, शायर जैनेश कुमार के कॉपी म लिखन दे, कर हूं हर प्रॉमिस पूरा, कर हुं हर प्रॉमिस पूरा, नई देहूं धोख़ा न, काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। पहली शादी मैनपाट म हनीमून बर डन करथों मोर जान कट सोना तैं कल एक्सेस झम करथों अनलिमिटेड मोर प्यार हरे न मया मोर सम्भाल जोही टुरा ये हीरा जईसे झन देबे तैं टार जोही तोरेच बर मरत हांवो, तोरेच बर मरत हांवो खुद ल मैं टोकेंव न काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। हांथे म हांथ होही न कलाई म कंगना न दिल के बात दिल ल कहिदे झिन तैं छूपाबे न बड़ अमेजिंग होहि हमर लव स्टोरी न संग म ले जाहूं दुनिया ले लुका के न मोर ले दूर होये के, मोर ले दूर जाये के झिन देबे मौका न, काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। 3 ।। #छत्तीसगढ़ी_गीत #jainesh_kumar काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। #love #life #mohabbat #stori
#छत्तीसगढ़ी_गीत #JAINESH_KUMAR काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। love life #mohabbat stori #yqquotes #erotica
read moreSarbjit sangrurvi
वो और थे, जो ज़ुल्म तुम्हारे जर गऐ, हम जरने वाले नहीं। ना डर हमें, तुम्हारे तख़्तों ताजों का, तुम्हारी धमकींओ से डरने वाले नहीं। तवाह बर्बाद करने के लिए, नशेड़ी बनाना चाहा। प्रदुषण फैला, हमें मरवाना चाहा। हमारे हकों पे , डाका मारना चाहा। इस लिए तुम्हारे नगर में, लगाना पड़ गया नाके। चल कर चालें तुम, करना चाहते थे धमाके। अब देखना कैसे चलाते हैं पटाखे। खाली हाथ हमारे, ना पास हमारे हथियार। ना नफ़रत दिलों में, सभी के लिए प्यार। हम समाज विरोधी ना, हम हैं हकों के पहरेदार। अपने हकों के लिए, नारे लगाते हैं, बेशक आतंकवादी कहे हमें, समय की सरकार। ©Sarbjit sangrurvi वो और थे, जो ज़ुल्म तुम्हारे जर गऐ, हम जरने वाले नहीं। ना डर हमें, तुम्हारे तख़्तों ताजों का, तुम्हारी धमकींओ से डरने वाले नहीं। तवाह ब
Sant Prasad Maurya
वादा सच्चा है कि झूटा मुझे मालूम न था कल बदल जाएगी दुनिया मुझे मालूम न था इश्क़ वो शय है कि चरके भी मज़ा देते हैं वर्ना क़ातिल हैं हसीं क्या मुझे मालूम न था दिल की ज़िद इस लिए रख ली थी कि आ जाए क़रार कल ये कुछ और कहेगा मुझे मालूम न था जितने क़िस्मत के सहारे थे वो झूटे निकले है बंधी मुट्ठियों में क्या मुझे मालूम न था बरसों भटका किया और फिर भी न उन तक पहुँचा घर तो मालूम था रस्ता मुझे मालूम न था राज़-ए-ग़म फ़ाश न हो इस लिए रोकी थी ज़बाँ चुप भी रह कर यही होगा मुझे मालूम न था इश्क़-आबाद के नाके ही से रुख़्सत हुए होश है ये दीवानों की दुनिया मुझे मालूम न था दास्तान हाँ भी हसीनों की नहीं होती है इन की हर बात है धोका मुझे मालूम न था...!! वादा सच्चा है कि झूटा मुझे मालूम न था कल बदल जाएगी दुनिया मुझे मालूम न था इश्क़ वो शय है कि चरके भी मज़ा देते हैं वर्ना क़ातिल हैं हसीं क
Anamika Nautiyal
कल्लू जी (अनुशीर्षक में पढ़ें) कल्लू जी को था खुद पर अभिमान मानो ब्रह्माजी से पा लिया हो वरदान अपनी शक्तियों पर खूब इतराते थे चाचा विधायक हैं ऐसा सब को बताते थे कहने लगे
कल्लू जी को था खुद पर अभिमान मानो ब्रह्माजी से पा लिया हो वरदान अपनी शक्तियों पर खूब इतराते थे चाचा विधायक हैं ऐसा सब को बताते थे कहने लगे #अनाम #हास्यकविता #हास्य_रस #lockdown #गढ़वालीगर्ल #हास्य_दिवस
read moresandy
#अस्मिता स्त्री ची #बचावाचे प्रयत्न #खंबीर हवेत ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ घरगुती हिंसा अगर शारीरिक किंवा मानसिक अत्याचार ही महिलांच्या आरोग्याच्या
#अस्मिता स्त्री ची #बचावाचे प्रयत्न #खंबीर हवेत ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ घरगुती हिंसा अगर शारीरिक किंवा मानसिक अत्याचार ही महिलांच्या आरोग्याच्या #story #nojotophoto
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#अस्मिता स्त्री ची #बचावाचे प्रयत्न #खंबीर हवेत ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ घरगुती हिंसा अगर शारीरिक किंवा मानसिक अत्याचार ही महिलांच्या आरोग्याच्या
#अस्मिता स्त्री ची #बचावाचे प्रयत्न #खंबीर हवेत ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ घरगुती हिंसा अगर शारीरिक किंवा मानसिक अत्याचार ही महिलांच्या आरोग्याच्या #story #nojotophoto
read moreA NEW DAWN
दंश (In Caption) Part - I Ch - 11&12 "मैं ने उसको नहीं उठाया साहेब... हां मैं तीन दिन तक उसका पीछा किया था... और चौथे दिन जब मैं उधर उसको उठाने के वास्ते गया तो मेरे को सुनने मे
Rabiya Nizam
दंश (In Caption) Part - I Ch - 11&12 "मैं ने उसको नहीं उठाया साहेब... हां मैं तीन दिन तक उसका पीछा किया था... और चौथे दिन जब मैं उधर उसको उठाने के वास्ते गया तो मेरे को सुनने मे