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Anshu kushvaha ji
बचपन वाला भूत संहिता फिर भी चलता था यह प्यार है वाला भूत तड़पाता बहुत आंसू है
read moreSADIQUE HUSSAIN
यहीं से तेरी हयात का सूरज डलने वाला है बहुत ही जल्द तेरा दम निकलने वाला है अरे ये बात कहदो जरा इस वक्त के फिर आऊं से बहुत ही जल्द मूसा कोई निकलने वाला है सादिक हुसैन अररियावी ©SADIQUE HUSSAIN मूसा कोई निकलने वाला है
मूसा कोई निकलने वाला है
read moreMahendrasinh(Mahi)
मैने कई लोगो को ये बोलते देखा है, की मेरे पास शब्द नहीं है समझाने के लिए, हम शायर लोगो का ऐसा नहीं होता, हमारे पास शब्द तो बहुत है कहने के लिए, पर उसे समजने वाला कोई नहीं । ©Mahendrasinh(Mahi) समजने वाला कोई नहीं है।
समजने वाला कोई नहीं है।
read moreअंदाज़ ए बयाँ...
गुलशन फिर गुलिस्तां में नज़र आएं हैं, भारत फिर चमन होनेवाला है। दिखी है फिर जलती मशाले ए क्रांति, लगता है फिर रावण कोई रोने वाला है। कर्म - धर्म राजनीति का निवाला बने बैठे थे, लगता है फिर भगत कोई सब्र खोने वाला है। टूटेगा बाँध अब आएगी सुनामी, लगता है फिर मन का डर धुलनेवाला है। झूठ, लालच, भ्रष्टाचार चढेंगें अब फाँसी, लगता है फिर किसान दामन भिगोने वाला है। एक हैं हम, एकता का स्वर है "वन्दे मातरम", लगता है फिर कोई गाँधी सपनें सँजोने वाला है। अन्याय - आतंक धड़ से, धर्मों ज़ात कटेंगें जड़ से, लगता है फिर कोई राजा जनम लेने वाला है। रविकुमार... गुलशन फिर गुलिस्तां में नज़र आएं हैं, भारत फिर चमन होनेवाला है। दिखी है फिर जलती मशाले ए क्रांति, लगता है फिर रावण कोई रोने वाला है। कर्म - ध
गुलशन फिर गुलिस्तां में नज़र आएं हैं, भारत फिर चमन होनेवाला है। दिखी है फिर जलती मशाले ए क्रांति, लगता है फिर रावण कोई रोने वाला है। कर्म - ध
read moreMahi das vaishnav
कोई मिला था कल तो दिल में जान आई उन से आज दिदार नहीं हुआ तो दिल मे दरार आई। ©Mahi das vaishnav #शशशशशश फिर कोई है।
#शशशशशश फिर कोई है।
read moreRavi Kumar Panchwal
गुलशन फिर गुलिस्तां में नज़र आएं हैं, भारत फिर चमन होनेवाला है। दिखी है फिर जलती मशाले ए क्रांति, लगता है फिर रावण कोई रोने वाला है। कर्म - धर्म राजनीति का निवाला बने बैठे थे, लगता है फिर भगत कोई सब्र खोने वाला है। टूटेगा बाँध अब आएगी सुनामी, लगता है फिर मन का डर धुलनेवाला है। झूठ, लालच, भ्रष्टाचार चढेंगें अब फाँसी, लगता है फिर किसान दामन भिगोने वाला है। एक हैं हम, एकता का स्वर है "वन्दे मातरम", लगता है फिर कोई गाँधी सपनें सँजोने वाला है। अन्याय - आतंक धड़ से, धर्मों ज़ात कटेंगें जड़ से, लगता है फिर कोई राजा जनम लेने वाला है। रविकुमार... Old Diaries... गुलशन फिर गुलिस्तां में नज़र आएं हैं, भारत फिर चमन होनेवाला है। दिखी है फिर जलती मशाले ए क्रांति, लगता है फिर रावण कोई रोने व
Old Diaries... गुलशन फिर गुलिस्तां में नज़र आएं हैं, भारत फिर चमन होनेवाला है। दिखी है फिर जलती मशाले ए क्रांति, लगता है फिर रावण कोई रोने व
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