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Rinkesh
White दोस्ती दिल से करो। वरना मतलब के लिए तो सब दोस्त बन जाते हैं। ©Rinkesh #Sad_Status दोस्ती के लिए शायरी
#Sad_Status दोस्ती के लिए शायरी #SAD
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White बहकते हैं हर रोज़ ये कदम, तुम्हारे पास आने के लिए, न जानें कितने फासले, अभी तय करने हैं तुम्हें पाने के लिए....!! ©हिमांशु Kulshreshtha तुम्हें पाने के लिए..
तुम्हें पाने के लिए.. #Shayari
read moreAkriti Tiwari
White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी
वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी
read moreANSARI ANSARI
White जवानी मे खुन पसीना बहा था परिवार के हर खुशी के लिए। जीवन भर की कमाई लुटा देता है इन्सान बुढ़ापे मे दो वक़्त रोटी के लिए। नासमझ है ओ बुढ़ापे मे ठुकरा देते है मा बाप को दौलत के लिए। ©ANSARI ANSARI दौलत के लिए।
दौलत के लिए। #विचार
read morepriyanshu
White पल पल तरसे जिस पल के लिए वो पल भी आया कुछ पल के लिए सोचा रोक लू इस पल को कुछ पल के लिए कमबख्त वो पल भी रुका कुछ पल के ही लिए ©priyanshu अपने प्यार के लिए
अपने प्यार के लिए #Life
read morePoetry-Meri Diary Se
White ना किसी के लिए बदला, और ना किसी के लिए बदलूंगा! खुद के लिए ही जिया, और खुद के लिए ही जियूँगा! Written By-ABi Aman. ©Poetry-Meri Diary Se #Sad_shayri ना किसी के लिए@#
#Sad_shayri ना किसी के लिए@# #Poetry
read moreVinod Chaure
White हर कर्ज मोहब्बत का अदा करेगा कोन जब हम नहीं होगे तो वफा करेगा कौन या रब मेरे महबूब को तू रखना सलामत वर्ना मेरे जिने की दुआ करेगा कौन? ©Vinod Chaure #sad_shayari दोस्तों के लिए शायरी
#sad_shayari दोस्तों के लिए शायरी
read moreK L MAHOBIA
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..। चुप मत बैठो आज द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो। बहुत हुआ सदियों से रोना, धैर्य नहीं अपना खोना। चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना। रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो। रोना धोना छोड़ो देवी, अधर्मियों पर प्रहार करो। उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................। इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए। दुष्टों से पीड़ित मां बेटी , सब और कहां पर जाए। कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते। लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी को नोचे दलते। देख रही वहशी दुनिया को , है उनसे तकरार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा। घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह बांधे पकड़ा देख रहे नारी को अस्मत , मर्दित बहुतेरे जग में। छोड़ो शर्म हया मत गाओ , वनिता मादक नग में। भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................। पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन। घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना। आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष जग में जीना। आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो। विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच केश दुश्शासन ने। सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से। मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई। कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा हीन हुई। जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो। ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,। जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा पहुंचाते मन को। नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है तन को। अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी। वदन ढांक अपने वसनों से, पार हुई जग हद सारी। लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो। जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो। उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,। सर्वाधिकार सुरक्षित के एल महोबिया ✍️ 🙏 ©K L MAHOBIA #कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ। ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी
कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ। ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी
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