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लहरों में हम ढूंढ रहे मंज़िल अपनी यादों के सागर में गुमसुम बैठे हैं lehro me ham dhondh rahe manzil apni yado ke sagar me gum sum baithe hai ©Gazal #Sea #sagar शायरी हिंदी में शायरी लव शायरी दर्द #लहरों #यादों
Deepak Gaudel
White उड़ना चाहता हूं बाज की तरह इसलिए तितलियों पर नजर नहीं रखता दस्तक देनी है कामयाबी के हर दरवाजे पर📈 इसलिए उन तितलियों के दरवाजे की पहरेदारी नहीं करता Instagram @_dpk09 ©Deepak Gaudel शायरी हिंदी शायरी लव दोस्ती शायरी शेरो शायरी शायरी हिंदी में उड़ना चाहता हूं बाज की तरह
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read moreManju Tomar
White हर दिन का ढलता हुआ सूरज तुम्हारी याद दिलाता है दिन ढल जाता है पर तुम्हारा मेसेज नहीं आता है ©Manju Tomar #Sad_Status#nojotocarter तुम्हारी यादों में #9sep #manjutomar🥰 दोस्ती शायरी
#Sad_Status#nojotocarter तुम्हारी यादों में #9sep manjutomar🥰 दोस्ती शायरी
read moreJagbandhu Mandal
White कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता ह ...। ©Jagbandhu Mandal कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है|
कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है| #शायरी #sad_shayari
read moreShailendra Singh Yadav
तुम्हारी हंसी में मेरी खुशी है। तेरी चाहतोंं में मेरी दुनिया बसी है। शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
read moreYogesh Kumar
यादों की बारिश एक बूदों भरी शाम तेरी याद ने रुलाया मुझे, जब हद से ज्यादा मोहब्बत थी तो क्यों न बताया मुझे| एक उम्मीद थीं तेरे लौट आने की मुझे, लेकिन उस उम्मीद ने भी उदास किया मुझे | महफिल में अकेले हो तो तू आसपास हो मेरे, बस इतनी सी ही हसरत तुझसे थी मुझे | आज फिर से बरसात वाली शाम है, तू नहीं, बस तेरी यादें ही साथ है | कैसे कहूं कि यह सिर्फ बारिश नहीं, ये तो तेरी यादों की बारिश हैं | - योगेश कुमार ... ©Yogesh Kumar यादों की बारिश
यादों की बारिश #कविता
read moreDev Rishi
मैंने लिखा था बहुत पहले....... कि, थकान की किमत तुझे पता कहां....? चले थे बड़े शौक से वक्त ए बर्बादी करने सो देख अब, वो कहां..... और मैं कहां...? अज़िय्यत शाख पे तो ठंडी हवा आती थी उसे वक्त दें देकर , रातें दो तीन हो जाती थी पूछने पर वो ख़ामोश शब्दें कहती थी...... और दुसरे हाथों से लुप्त ए इश्क़ मनातीं थी... घंटों बैठकर इसी कुर्सी पे खाली आसमां देखता था लौटकर आएंगी इसी सोच में तो रात से दिन निकल जाता था..... आज देखा कि, खिलता गुलाब उसके होंठों पे... और धुमिल होते देखा वक्त की चांद को उसके पैरों पे...! ©Dev Rishi कुर्सी, यादों की..! प्रेम कविता
कुर्सी, यादों की..! प्रेम कविता
read moreShailendra Singh Yadav
White उजालों में भी कहीं अंधेरा है। कहीं शाम तो कहीं सबेरा है। मुड़कर देख लो एक बार। परछाईं में भी कहीं अंधेरा है। शायर-शैलेन्द्र सिंह यादव, कानपुर। ©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी
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