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Romil Shrivastava
वो किस हुनरमंदी से ये सच्चाई छुपाती है कि जैसे सिसकियों का ज़ख्म शहनाई छुपाती है जो इसकी तह में जाता है वो फिर वापस नहीं आता नदी हर तैरनें वाले से गहराई छुपाती है ©Romil Shrivastava यूँ ही
यूँ ही
read moreRomil Shrivastava
White पत्ते पर लिखी वो शायरी इक बकरी खा गई... और..चर्चा पूरे शहर में रहा इक बकरी शेर खा गई! ©Romil Shrivastava यूँ ही
यूँ ही
read mores गोल्डी
"किसी मासूम-सी तितली के पर कुचलने वाले किसी के घर की बेटी को घर से भगाने वाले जब तेरी बेटी भी घर से भागेगी तो क्या होगा बता इस दर्द से खुद को कैसे संभाल पाओगे जब रब के घर जाओगे तो रब को क्या मुंह दिखाओगे..." ©s गोल्डी #navratri "किसी मासूम-सी तितल से भागने वाले जब तेरी बता इस दर्द से ख पाओगे जब रब के घर जाओगे तो रब तो क्या मुंह दिखाओगे..."
#navratri "किसी मासूम-सी तितल से भागने वाले जब तेरी बता इस दर्द से ख पाओगे जब रब के घर जाओगे तो रब तो क्या मुंह दिखाओगे..."
read moreAnuj Ray
शुक्रिया रब तेरी मेहरबानी का" धोखे से शर्ट के उसके,टूटते ही बटन, आग के शोलों ने गज़ब ढा दिया। फटी की फटी रह गई आंखें मेरी, ऐ हुस्न तूने कौन सा जलवा दिखा दिया। शायद मेरी तक़दीर में लिखा था, ऐसे ही किसी जन्नत ए हूर के दीदार नज़ारा। शुक्रिया रब तेरी मेहरबानी का, बिना कहे ही उपहार में तोहफ़ा ये दिया। ©Anuj Ray # शुक्रिया रब तेरी मेहरबानी
# शुक्रिया रब तेरी मेहरबानी
read moreBhupendra Rawat
White अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लिखा ही हम सब भोगते है ©Bhupendra Rawat #Sad_Status अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लि
#Sad_Status अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लि
read moregaTTubaba
White अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा.... ©gaTTubaba #World_Photography_Day अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा....
#World_Photography_Day अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा....
read moreअमित कुमार
White ऊंच नीच दिखाकर भला कौन कैसा मकाम कर सकते हैं मुझसे ऊंचा शक्तिशाली है कौन ये बातें सारी तमाम कर सकते हैं। देश की ऊंचाई आसमान तक जाये बड़े अगर हो कर्तव्यनिष्ठ वरना बड़े हीं कोइ स्वार्थ के लिये देश तक नीलाम कर सकते हैं।। (गरीब और मध्यमवर्गीय मूकदर्शक है साहब) ©अमित कुमार सब दिखता है
सब दिखता है
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