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Mohan Sardarshahari
White रिश्ता इस तरह रहा तुझसे टोका वक्त की बंदिशों ने समझा तूने अनकहे ही तो दामन को दर्पण बनाया मैंने।। ©Mohan Sardarshahari # दर्पण
# दर्पण
read more@rajgini
किताब मेरी, पन्ने भी मेरे, और सोच भी मेरी, फिर मैंने जो लिखें... वो ख्याल आपका क्यों..? ©@rajgini Day 2
Day 2
read moreDANVEER SINGH DUNIYA
White मैं उलझनों में फस गया हूं मुआयना ना कर किस तरह से मैं जी रहा हूं ये वयान ना कर अब तो एकांत-वास जीवन बना लिया मैंने तुझे मेरे साथ रहना है तो रह बहाना ना कर ©DANVEER SINGH DUNIYA #karwachouth 2
DANVEER SINGH DUNIYA
पà¥à¤¯à¤¾à¤° मैंने फोटू डाला लाईक आया तभी आज कैसे मन तुने बना लिया पवी प्यार के लिए पूछा है बार- बार मैंने तेरा जवाब लौटकर आया ना कभी ©DANVEER SINGH DUNIYA #Love 2
#Love 2
read moreDANVEER SINGH DUNIYA
अब तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कैसे बताà¤à¤‚ तेरे जमीर को बेचकर खुद को बचा लूं इतना गिरा नहीं हूं सांसें बेशक बहुत तेज चल रही हो पागल अभी मरा नहीं हूं तूं कहती है ना तकलीफ देने के सिवाय कुछ काम नहीं है सारे घाव दिखा दिये मैंने फिर भी तुझको मैं दिखा नही हूं ©DANVEER SINGH DUNIYA sad 2
sad 2
read moreaditi the writer
White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया, चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया। आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे, जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे। चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी, आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी। जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को, भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो। सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे, दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे। असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती, ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती। अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई, ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई। चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है, दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है। ©aditi the writer #दर्पण आगाज़ Niaz (Harf) vineetapanchal shraddha.meera
#दर्पण आगाज़ Niaz (Harf) vineetapanchal shraddha.meera
read moreParasram Arora
White जीवन पथ पर मैंने ज़ब भी धूप से बचने के. लिये छाया को चुना..... जिंदगी को आलसी होने से न बचा सका लेकिन ज़ब भी मैंने धूप को चुना जिंदगी को पसीनो की सौगात मिली और मेरे होसलो मे गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ ©Parasram Arora धूप छाया
धूप छाया
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