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Parasram Arora
लौह पुरुष भी सांध्य वेळा की सुखद नीरवता मे पिघल कर मोम बन सकता है दिन मे ज़ब तक सूर्य तपा हुआ था लोहा अपने ठोस आकार को संभाले हुआ था लेकिन चाँद उगने और तारों क़े टिमकने क़े सांध्यकालीन सत्र मे लौह पुरुष क़े ठोसपन को संवेदनाओं क़े सौजन्य से मोम बन जाने की प्रेरणा से भर देती है ©Parasram Arora लौह पुरुष.......
लौह पुरुष.......
read morePraveen Ghongade
ईक जमाने में सबका बल थे लौह पुरुष... . . और आजकल जब भी अखबार पढ़ो तो शर्म से दिल कहता है कब सलाखों के पीछे और फांसी पर लटके होंगे ये कुछ तुच्छ दरिंदे पुरुष... लौह पुरुष और नारी शक्ति को नमन ©Praveen Ghongade लौह पुरुष 🙏🙏 #SardarPatel
लौह पुरुष 🙏🙏 #SardarPatel
read moreKISHAN KORRAM
"न कोई बम चला, न ही कोई रक्तहीन क्रांति हुई सरदार आपके संकल्प से ही रियासतें स्वतंत्र हुई" #लौह पुरुष... ©Reserved by #KISHAN KORRAM
Badri sharma
सरदार बल्लभ भाई पटेल की 🙇 जयंती पर सत सत नमन 🙏🙏🙏 लौह पुरुष आप जैसा कोई नहीं है इस धरती पर नमन 🙇🙇🙏😢😢 लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती
read moreNojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
हमारे लौह पुरुष के संयुक्त भारत पर अपने विचार लिखिए- #SardarVallabhbhaiPatel #NationalUnityDay #Trend #SpecialDay
हमारे लौह पुरुष के संयुक्त भारत पर अपने विचार लिखिए- #Sardarvallabhbhaipatel #nationalunityday #trend #specialday
read moreMamta kumari
#IndiraGandhi हे नारी तू शक्ति की पहचान तुझ से ही है सारी सृष्टि हम थे अनजान मर्द तुझे समझते अति कोमल तूने उसे नारी से लौह नारी बन समझाया । लौह नारी ।
लौह नारी ।
read moreभगवान सिंह
पुरानी बिखरी यादें पुरानी याद से याद आया कुछ याद उन्हें भी करलो जो देश की खातिर ओर अपने किसानों ,आजादी का पूर्ण सहयोग ,खेड़ा ,एकीकरण, साइमन कमीशन , महान पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल 31अक्टूबर 1875 जन्म दिन लौह पुरूष को नमन
लौह पुरूष को नमन
read moreपूर्वार्थ
White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ #पुरुष