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Praveen Jain "पल्लव"
#FourLinePoetry पल्लव की डायरी खुशियोँ की मिठास, गिरवी रख बैठे है दर्द नस नस में दे बैठे है रोटियों की जुगाड़ में,मोहताज बन बैठे है मुबारक हो उनको रस गुल्ले, जो उत्साह जनता का छीन बैठे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #fourlinepoetry दर्द नस नस में दे बैठे है #fourlinepoetry
#fourlinepoetry दर्द नस नस में दे बैठे है #fourlinepoetry
read moreAnuj Ray
नस नस मेरी ये दर्द से कातर है, तुझसे मिलने को जिया आतुर है। जुल्मी जालिम पिया में तुझसे, ना मिलती थी तो ही अच्छा था। मैं तो समझी थी तन मन की मेरी, प्यास बुझा देगा तू। ओ बेदरदा, ये तो, उल्टी आग लगा दी दिल में तूने। ©Anuj Ray # नस नस मेरी ये दर्द से कातर है,
# नस नस मेरी ये दर्द से कातर है, #कविता
read moreदूध नाथ वरुण
ram lala ayodhya mandir मेरे नस नस में प्रभु तुम हो बसे,मेरा मन हर क्षण तेरो नाम भजे। कब आओगे पथ दिन भर देखूं, तेरे दर्शन को मेरो आंख जगे।। ©दूध नाथ वरुण #मेरे नस नस में प्रभु राम बसे
Saurabh pal 85
नस नस में है वो, बस....बस में नही ©Saurabh Pal नस नस में है वो,बस..बस में नहीं
नस नस में है वो,बस..बस में नहीं #Quotes
read moretanzim Khan
अकबर अक्सर बीरबल की अक्लमंदी और हाज़िर जवाबी से खुश होकर उसे ईनाम दिया करते थे. एक बार उन्होंने भरे दरबार में बीरबल को ईनाम देने की घोषणा की. लेकिन बाद वे ईनाम देना भूल गए. बीरबल कई दिनों तक इंतज़ार करता रहा, लेकिन उसे ईनाम नहीं मिला. मांगना उसे उचित नहीं लग रहा था और अकबर थे कि ईनाम देने का नाम नहीं ले रहे थे. अकबर के इस रवैये से बीरबल थोड़ा दु:खी था. एक दिन अकबर बीरबल को साथ लेकर सैर पर निकले. वे दोनों यमुना नदी के तट पर पैदल टहल रहे थे. तभी वहाँ से एक ऊँट गुज़रा. ऊँट की मुड़ी हुई गर्दन को देख अकबर के ज़ेहन में एक सवाल कौंध गया और उन्होंने फ़ौरन बीरबल से पूछा, “बीरबल, देखो इस ऊँट को. इसकी गर्दन मुड़ी हुई है. ऐसा क्या कारण है कि ऊँट की गर्दन मुड़ी हुई होती है?” अकबर का ये सवाल सुनकर बीरबल ने सोचा कि ये अच्छा मौका है बादशाह सलामत को ईनाम के बारे में याद दिलाने का और वह बोला, “जहाँपनाह, ऊँट ने किसी से कोई वादा किया था और अपना वादा निभाना भूल गया था. इसलिए भगवान ने इसकी गर्दन मोड़ दी है. ऐसा भगवान हर उस इंसान के साथ करता है, जो वादा करके उसे निभाता नहीं है.” बीरबल की बात सुनकर अकबर को याद आया कि उन्होंने बीरबल को ईनाम देने का वादा किया था. लेकिन अब तक उसे ईनाम नहीं दिया है. वे बीरबल की लेकर फ़ौरन राजमहल पहुँचे और वादे अनुसार बीरबल को उसका ईनाम दे दिया. इस तरह बीरबल ने चतुराई दिखाते हुए बिना मांगे ही अपना ईनाम प्राप्त कर लिया. ©tanzim Khan #ऊँट की गर्दन
Praveen Jain "पल्लव"
मेरी भाषा पल्लव की डायरी मातृ भाषा हमारा,जीवन संगिनी बनी है हिंदी हमारी नस नस में भरी है इसके भावो से,भाषा हमारी धनी बनी है व्यंजनों और मात्राओ के श्रृंगार से, इस्कीअभिव्यक्ती से मन मे स्फूर्ति बढ़ी है शब्द शब्द की धनी ओज बनकर,कविताओं में ढली है इसके अर्थो में पलता ज्ञान ही ज्ञान ये मन्त्रो की विशेषक बनी है इसके माथे पर चन्दमा सी गहराई चढ़ जाये बिंदी अगर,तो कला की धुरी बनी है प्रेम और प्यार की इसमे जादूगरी शब्दो के कसीदे गढ़ती मिली है पठन पाठन और शास्त्रो की गहराई में डुबा डुबा कर नीर क्षीर की बुद्धि प्रगट की है कहने को राष्ट्र भाषा है मगर साजिशो से पर कतर दिये गये है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #MeriBhasha हिंदी हमारी नस नस में भरी है #MeriBhasha
#MeriBhasha हिंदी हमारी नस नस में भरी है #MeriBhasha
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