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Bambhu Kumar (बम्भू)
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये #poem
read moreSanchit Uniyal
राजेन्द्र राजन (गीतकार) आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव में जनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में फिर वही चौराहे होंगे, प्यासी आँख उठाए होंग #कविता
read moreहिंदीवाले
हिंदू या मुस्लिम के एहसासात को मत छेड़िए अपनी कुरसी के लिए जज़्बात को मत छेड़िए ~अदम गोंडवी HeartfeltMessage कविता poetry
read moreBambhu Kumar (बम्भू)
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये full ऑडियो कविता : आदम गोंडवी जी #poem
read moreAmit kumar jha
रक्त का कतरा कतरा बहा कर सब ने इस देश को सिचा है,, फिर किसने बढाये ये फासले, किसने लकिर खिचा है.. यह काम तो मेरे मुल्क के मसनद नशिनो का है,, कुरसी की खातिर लड़ाया हमें आपस मे, सरेबाजार अपना ज़मीर बेचा है.. ▪▪▪Ak. अमित▪▪▪ रक्त का कतरा कतरा बहा कर सब ने इस देश को सिचा है,, फिर किसने बढाये ये फासले, किसने लकिर खिचा है.. यह काम तो मेरे मुल्क के मसनद नशिनो का है,,
रक्त का कतरा कतरा बहा कर सब ने इस देश को सिचा है,, फिर किसने बढाये ये फासले, किसने लकिर खिचा है.. यह काम तो मेरे मुल्क के मसनद नशिनो का है,,
read moreAmit kumar jha
खून के छिटों से सबका दामन दागदार हुआ है हमें आपस मे लड़ाना तुम्हारा व्यापार हुआ है तुम तो खुश हो सरे बाजार अपना ईमान बेच कर जिसने बहाया था लहू इस मिट्टी के खातिर, तुम्हें देख वो भी आज सर्मशार हुआ है बैठ कुरसी पर कौन सा खेल खेल रहो साहब वक्त मिले कभी तो सोचो क्यो ये अपना चमन बेजार हुआ है कभी ऊन मासूम बेबस लाचारों की भी चिखे सुनो जो आज दो वक्त की रोटी के खातिर लाचार हुआ है ये बात ऊन लोगों को समझनी चाहिए जो बात बात पर तनते है बहन बेटी की इज्ज़त संभलती नही और चौकीदार बनते है अरे, कब तक धर्म के नाम पर एक दूसरे का गला काटोगे ईश्वर की बनायी हुई सुन्दर सी धरती को टुकड़ो मे बांटोगे फैला कर नफरतों की आग अपने ही देश को जला रहे हो खुद ही जला कर चमन अपना खुद ही मातम मना रहे हो जहाँ देखो वहां सिर्फ लाशों के चिथड़े दिखाई देते है इंसानियत तोड़ रही है अब दम यहाँ सबका जीना दुस्वार हुआ है [Ak. Amit (9507424279)] खून के छिटों से सबका दामन दागदार हुआ है हमें आपस मे लड़ाना तुम्हारा व्यापार हुआ है तुम तो खुश हो सरे बाजार अपना ईमान बेच कर जिसने बहाया था लह
खून के छिटों से सबका दामन दागदार हुआ है हमें आपस मे लड़ाना तुम्हारा व्यापार हुआ है तुम तो खुश हो सरे बाजार अपना ईमान बेच कर जिसने बहाया था लह
read moreShilpi Signodia
Kammo part lll मैं मुसकुराता हुआ चाचाजी के घर की ओर चल पड़ा । पूरे रास्ते, कम्मो का चहरा आँखो के आगे आता रहा। अब भी जब वो मेरे साथ नहीं है तब भी वही मेरे च
मैं मुसकुराता हुआ चाचाजी के घर की ओर चल पड़ा । पूरे रास्ते, कम्मो का चहरा आँखो के आगे आता रहा। अब भी जब वो मेरे साथ नहीं है तब भी वही मेरे च
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