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Andy Mann
Unsplash आप ऐश कीजिए जेब में रखीं दौलत से मैं तो झोले में इंसानियत रखकर खुश हूं ... ©Andy Mann #सफर_ए_जिंदगी Sangeet... Neel Ashutosh Mishra Dr Udayver Singh अदनासा-
#सफर_ए_जिंदगी Sangeet... Neel Ashutosh Mishra Dr Udayver Singh अदनासा-
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White एक बार एक वोटर लाइन में ही मर गया। मृत्यु उपरान्त वो ऊपर यमराज के दरबार में पहुंचा। वहां चित्रगुप्त उसके कर्मो का खाता खोले बैठा था। उसके कर्मो का खाता देखने के बाद चित्रगुप्त ने यमराज से कहा श्रीमान ये तो 50, 50 का मामला है। पलड़ा दोनों तरफ बिलकुल बराबर है। ऐसी स्थिति पहली बार हुई है। आप आदेश दें कि क्या किया जाए। इसे कहां भेजा जाए। स्वर्ग या नर्क यमराज- ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार इसी का है। जो भी ये चुनना चाहे। उन्होंने उसे एक दूत के साथ एक दिन नर्क और स्वर्ग में बिताने के लिए भेज दिया। पहले दिन नर्क में पहुंचते ही उसने खुद को एक गोल्फ कोर्स में पाया। चारो तरफ हरियाली , खूबसूरत दृश्यावली के बीच उसे दूर एक छोटा सा एक क्लब नजर आया। वहां पहुंचते ही उसे उसके सभी पुराने मित्र मिल गए । जो सभी बेहद खुश और मजे ले रहे थे। मित्रों के साथ दिन भर उसने ढेर सारा आनंद उठाया, अच्छा खाना खाया थोड़ी बढ़िया शराब भी पी। आखिर उनसे विदा लेकर वो दूत के साथ स्वर्ग में पहुंचा। वहां सभी संत टाइप के संतुष्ट व्यक्ति भजन कीर्तन में लीन थे। दिन बीतता दिखा नहीं उसे। आखिर उसका जाने का समय हो गया। दूत के साथ वो यमराज के पास पहुंचा। यमराज ने उसका निर्णय जानना चाहा। उसने कहा - महाराज स्वर्ग बहुत अच्छा है। वहां शान्ति भी है। लेकिन मैं तो नर्क में ही रहना चाहूंगा। असल आनंद वही पर है। यमराज ने दूत को उसे नर्क में छोड़ कर आने के लिए कहा। नर्क के द्वार के अंदर घुसते ही वो चौंक गया। चारों तरफ उजाड़ बियाबान रेगिस्तान नजर आ रहा था। और उसके सभी मित्र फटेहाल अवस्था में वहां बिखरे पड़े कूड़े करकट में अपना भोजन तलाश रहे थे। उसने दूत से कहा- ये क्या कल तो यहां दूसरा ही दृश्य था। दूत ने हँसते हुए कहा - कभी पृथ्वी पर चुनाव प्रचार नही देखा क्या?? कल अभियान का दिन था। तुम्हे लुभाने का दिन था। तुम्हे फसाने का दिन था। आज तो तुम अपना वोट दे चुके हो। ©Andy Mann #राजनीतिक_व्यंग Ak.writer_2.0 अदनासा- Ashutosh Mishra Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava
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अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!! बीरबल ने खोज शुरू की. 🌷 एक महीने बाद वापस आये सिर्फ 2 लोगों के साथ। अकबर ने कहा मैने 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था !! बीरबल ने कहां हुजुर लाया हूँ। पेश करने का मौका दिया जाय.. आदेश मिल गया। बीरबल ने कहा- हुजुर यह पहला मूर्ख है। मैने इसे बैलगाडी पर बैठ कर भी बैग सर पर ढोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला के कहीं बैल के उपर ज्यादा लोड ना हो जाए इसलिये बैग सिर पर ढो रहा हुँ!! इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है!! दूसरा मूर्ख यह आदमी है जो आप के सामने खडा है. मैने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी. अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था. मैने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूँ. हुजुर जो आदमी अपने घर की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस छत पर ले जाकर घास खिलाता है, तो उससे बडा मूर्ख और कौन हो सकता है!!! तीसरा मूर्ख: बीरबल ने आगे कहा. जहाँपनाह अपने राज्य मे इतना काम है. पूरी नीति मुझे सम्हालना है. फिर भी मै मूर्खों को ढूढने में एक महीना बर्बाद कर रहा हूॅ इसलिये तीसरा मूर्ख मै ही हूँ. चौथा मूर्ख.. जहाँपनाह. पूरे राज्य की जिम्मेदारी आप के ऊपर है. दिमाग वालों से ही सारा काम होने वाला है. मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है. फिर भी आप मूर्खों को ढूढ रहे हैं. इस लिये चौथा मूर्ख जहाँपनाह आप हुए। पांचवा मूर्ख...जहाँपनाह मै बताना चाहता हूँ कि दुनिया भर के काम धाम को छोड़कर. घर परिवार को छोड़कर. पढाई लिखाई पर ध्यान ना देकर, सोशल मीडिया पर जो भी जहाँपनाह कि पोस्ट कर रहा है वही पाँचवा मूर्ख है इससे बडा मुर्ख दुनिया में कोई नही है ©Andy Mann #मूर्ख_कौन Sangeet... puja udeshi Ashutosh Mishra KK क्षत्राणी Dr Udayver Singh
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यहां पुरुष स्त्री को और स्त्री पुरुष को खोज रहे है..ईश्वर की कोई खोज नहीं..खोज भी रहे तो वो पहली खोज से पीछे है, ईश्वर प्रायोरिटी नहीं है, स्त्री-पुरूष एक दूसरे के लिए प्रायोरिटी हैं...एक दूसरे को भोगना पहली प्राथमिकता है, ईश्वर है, नहीं है, कल्पना है, लफ्फाजी है, आत्मसम्मोह है,पता नहीं क्या है,फिर भी लगे पड़े हैं... पुरुष तो स्विकार करता है कि वो स्त्री को खोज रहा है,पर स्त्री पुरुष को खोजकर भी डिनायल मोड में है कि वो नहीं खोज रही..उसको फर्क नहीं पडता उसकी पोस्चरिंग ऐसी है, आना है तो आओ न आना तो कोई फर्क नहीं पड़ता, पर फर्क उसको बहुत भयानक पड़ता हो अगर कोई न आए तो ... पर पुरुष की स्त्री की खोज स्त्री तक पहुंच रही ओटो मोड में, इसलिए स्त्री खोजकर भी नहीं खोज रही है.. खोजने वाले को वही पहुंचना है वो जानती है.. भीतर तो वो अस्त व्यस्त हैं पर बाहर की पोजिशनिंग ऐसी है कि ..आना ही पड़ेगा सजना ज़ालिम है दिल की लगी.. स्त्री-पुरुष दोनों एक दूसरे से उबकर ईश्वर को खोज रहे हैं..एक दूसरे को भोग-भोगकर , लड़-मरकर आखिर में हांथ कुछ न लगता प्रतित होता तो ईश्वर की खोज शुरू होती है.. ईश्वर की खोज का रहस्य दोनों की अपूर्णता में ही है.. तो झुम बराबर झुम दिवाने ©Andy Mann #खोज Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra Neel अदनासा- Dr. uvsays
#खोज Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra Neel अदनासा- Dr. uvsays
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White ::त्याग की मूरत:: ये रात तो रोज ही आती है पर ना जाने तुम कहां गुम हो जाती हो, मिलती भी हो कभी तो बस थकी हारी जिम्मेदारियों के बोझ में दबी, बोझिल सी,कर्तव्यों की जंजीरों में बंधी हुई मुरझाई सी, आखिर,तुम किस पत्थर की बनी हुई हो,खुद खोकर अपना ही वर्चस्व तुम,कभी किसी की मां, कभी पत्नी,कभी बेटी, और कभी कोई देवी,बनी खड़ी हो तुम एक मूरत बनकर, लेकिन, अफसोस इतना कि तुम कभी बस तुम ही ना बन पाई मेरे लिए या फिर अपने लिए ही, क्योंकि तुमने सबको जाना पर सिर्फ खुद को ही ना पहचाना कभी, और फिर धीरे धीरे ही पता नही कहां गुम होती चली गई तुम........ ©Andy Mann #त्याग_की_मूरत Rakesh Srivastava Sh@kila Niy@z अदनासा- Ashutosh Mishra Dr. uvsays
#त्याग_की_मूरत Rakesh Srivastava Sh@kila Niy@z अदनासा- Ashutosh Mishra Dr. uvsays
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