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कमलेश
हर आशिकों कि आशक़ी उसके लिए अफ़सरा होती हैं हरेक टूटे आशिक़ों कि नफ़रत भी उसकी डायन( EX) होती हैं.. - कमलेश #meri ex का वर्गीकरण 👸🧟♀️
Poonita Sharma
Rashmi Hule
आपल्या चुकांचे समर्थन करत राहिले की इतरांच्या चुका मोठ्याच वाटत राहतात... आपल्या चुकांचे वर्गीकरण करुन स्वीकारल्या की इतरांच्या चुकांकडे पाहाण्याचा दृष्टिकोन बदलतो... अपनी गलती का समर्थन जब तक करते रहेंगे, दुसरों की गलतियां बडी ही लगती हैं. अपनी गलतियों का वर्गीकरण कर के उन्हें स्वीकारने से दुसरों की गलतिय
अपनी गलती का समर्थन जब तक करते रहेंगे, दुसरों की गलतियां बडी ही लगती हैं. अपनी गलतियों का वर्गीकरण कर के उन्हें स्वीकारने से दुसरों की गलतिय #yqbaba #yqdidi #yqtaai #bestyqmarathiquotes
read moreयशवंत कुमार
वो चेहरा 'तुम्हारा' है मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का Read in caption... वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का
वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का
read moreRohit Potdar
का बरं का ? "Koni Pratyaksha pyeksha Gelyavarach jasta prem jaanavte." Haa difference vedich sarkavta aala nahi. Tar aayushya aani tyatli loko, fakt aathvan mahnun rahun jhatil aani tasecha jagave lagtil. का बरं का ?
का बरं का ?
read moreAbhijeet Yadav
कुदरत का ये कहर देखो उजड़े ये गांव और शहर देखो इन सबका दोषी है कौन बताओ है सब अब क्यों मौन बताओ जो हमने प्रकृति से खिलवाड़ किया जीव - जंतुओं, जंगलों, नदियों का न सम्मान किया तो फिर बोलो अंजाम से क्यों डर रहे है अपना दोष कुदरत पर क्यों मढ़ रहे है © Abhijeet Yadav #WorldEnvironmentDay कुदरत का ये कहर देखो उजड़े ये गांव और शहर देखो इन सबका दोषी है कौन बताओ है सब अब क्यों मौन बताओ जो हमने प्रकृति से खि
#WorldEnvironmentDay कुदरत का ये कहर देखो उजड़े ये गांव और शहर देखो इन सबका दोषी है कौन बताओ है सब अब क्यों मौन बताओ जो हमने प्रकृति से खि
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
"अधूरापन ही खींचता है अपनी ओर पूर्ण हो जाने के लिए..." अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...
अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...
read moreMayank Pandit
आज कल लोग सच्चे प्यार की नही, बस कुछ दिन साथ दे ऐसे यार की खोज करते है, आज कल तो सकल भी नही देखते लोग, 10 मिनट की चॅटिंग मे डिरेक् पुरपोज करते है, और कहते है की बेबी हम भी मशूर हो लैला मजनू की तरह इस जमाने मे, मगर उनको क्या पता जिंदगी से अल्बिदा कहना पड़ता है इश्क़ का इतिहास बनाने मे. . poet - mayank pandit आज का का इश्क़
आज का का इश्क़
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