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RAMLALIT NIRALA
White Happy anniversary हाय दोस्तो आप सब कैसे हो मैं जानता हूं कि आप सब बहोत अच्छे होगें हर दिन मैं आप के लिये दुवा करता हूं प्राकृतिक से आपके जिवन में दुःख कभी न आये आज मेरा सालगिरह है 15-12-2023 देखता हूँ कि आप लोग कितना प्यार देते हैं मूझे और मेरी प्यारी पत्नी को आर के जी ©RAMLALIT NIRALA दुनिया में सब कुछ बिक सकता है पर प्यार नहीं
दुनिया में सब कुछ बिक सकता है पर प्यार नहीं
read moreआधुनिक कवयित्री
White जिंदगी में घुटन सी होती हैं, जब ये दुनिया रुलाती है। कह भी नहीं सकते ये दर्द किसी को, यहां दोस्ती भी मतलबी कहलाती है। ए खुदा बस तेरा ही ख्याल आता है , अकेले में तो आंखें भी भर जाती हैं। मुस्कुराना ही भूल गए, बस यादें ही सताती हैं। बिन अपराध की सजा मिलती है, बस तेरे भरोसे सहन हो जाती हैं। ए _खुदा तूने ही ये दुनियां बनाई, ये दुनिया क्यों भूल जाती हैं। सीने में रहती हैं सांसे, फिर भी साथ छोड़ जाती हैं। कोई दवा नहीं है दिल के घावों की, ये जिंदगी भी मरहम ना लगाती है। जिंदगी में घुटन सी होती है...... जब ये दुनियां रुलाती है......... ©आधुनिक कवयित्री दुनिया बहुत रुलाती है......
दुनिया बहुत रुलाती है......
read moreनवनीत ठाकुर
White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर #ये दौर कितना बदल गया है
#ये दौर कितना बदल गया है
read moreRAVI PRAKASH
White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी.. ©RAVI PRAKASH #Sad_Status बचपन में कितना इंतज़ार
#Sad_Status बचपन में कितना इंतज़ार
read moreRAVI PRAKASH
White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी.. ©RAVI PRAKASH #sunset_time बचपन में कितना इंतज़ार था
#sunset_time बचपन में कितना इंतज़ार था
read moreRakesh frnds4ever
White इस दुनिया कि भीड़ में कोई भी अपना ना मिले कोई भी नहीं जाने हम नगें पाव काटों भरे सफर में हरदम कितना चले कितना जले,,, आंखों से गिरते हुए आसुओं ने कसमें उठाई क्यों मैने ही खामखा सबसे झूठी चाहतें लगाई,, अपनों ने ही हर पल घात लगाई जिससे सीने में दिल नहीं हर पल गम है पले,,, रोया पछताया मैने क्या है कमाया इस दुनिया दारी कि खातिर क्या खोया क्या पाया .......... २ ........... ©Rakesh frnds4ever #रोया #पछताया इस #दुनिया कि भीड़ में कोई भी अपना ना मिले कोई भी नहीं जाने हम #नगें पाव #काटों भरे सफर में हरदम कितना चले कितना #जले ,,