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dharmendra kumar yadav
White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था मेरा अज़ीज़ मुझको गिफ्ट में आईना लाया था वो आसूं सिर्फ आसूं नहीं बाग़ी भी हो सकते थे पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था जिससे ज्यादातर नाराज़ ही रहता रहा ये दिल उसको ही अपने बुरे दिनों में अपने साथ पाया था वो मेरी जान से जिक्र की है कि वो मेरी होती जो मुझे उन दिनों बर्बाद ओ बेकार बताया था ©dharmendra kumar yadav ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreMalwinder kaur Mmmmalwinder
चाय की प्याली के रंग है महोबत के बिना महोबत के जिंदगी नहीं चलती बिना चाय के सुबह नहीं होती चाय की प्याली से सुबह में फूल खिल उठते है जो शब्द मीठे से बोल दे दिल उसी का होत जात है चाप की प्याली में मन मे तरंग उठती है जो थका हो उसकी थकान झट से खत्म करती है महोबत भी वैसी है अगर थक हार से काम से लोटे जब सामने से मीठी सी मुस्कान से हो तो थकान भी छुमंतर हो जाती है इसलिए चाप और महोबत साथ में चले तो जिंदगी जीने का अंदाज ही अलग है ©® Malwinder kaur (Mmmmalwinder) ©Malwinder kaur Mmmmalwinder # चाय #Mmmmalwinder💞
# चाय Mmmmalwinder💞
read moreSonuzwrites
White जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर कि अब तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं अब ना मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने और हमने वो जख्म सदियों से झेले है फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम अब अकेले बहुत अकेले हैं ©Sonuzwrites #good_night ग़ज़ल ✍️
#good_night ग़ज़ल ✍️
read moreAsad_Poetry_25
ख़ुद ही प्यासे हैं समन्दर तो फ़क़त नाम के हैं, भूल जाओ कि बड़े लोग किसी काम के हैं, दस्तकें ख़ास उसी वक़्त में देता है कोई, चार छह पल जो मेरे उम्र में आराम के हैं, शायरी, चाय, तेरी याद और तन्हाई बस यही चार तलब रोज़ मेरे शाम के हैं..! ©Asad_Poetry_25 #चाय #tea
प्रदीप राज खींची
मोहब्बत के शहर में एक ज़ाम मोहब्बत का, चाय वाली चुस्की बेनकाब हो गई खामखां।..prk ©प्रदीप राज खींची चाय#
चाय#
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