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Best सुनते Shayari, Status, Quotes, Stories

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R T O

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Suneel Patel

Vimal ji

#सुनते रहो हर दम Goonj

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मन में हो उमंग
दिल में हो प्यार
सुनते रहो हर दम
नोजोटो गूंज 
ब्लूटूथ स्पीकर के साथ

©Vimal ji #सुनते रहो हर दम

#NojotoGoonj

itg sushil godara

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#5LinePoetry काम #ऐसा करो की नाम हो जाए, या फिर नाम ऐसा करो की #सुनते ही काम हो जाए| 😎😎##JAAT..BOY##

©Sushil Jaat

Patel_ki_Kalam

हमारे #आवाज पर, इतना #गौर #फरमाते रहे #पता #चला वो #मेरी नही, #किसी और की #सुनते रहे!! ©पटेल रोहित

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हमारे आवाज पर, 
इतना गौर फरमाते रहे
पता चला वो मेरी नही, 
किसी और की सुनते रहे!!
               ©पटेल रोहित हमारे #आवाज पर, 
इतना #गौर #फरमाते रहे
#पता #चला #वो #मेरी नही, 
#किसी और की #सुनते रहे!!
               ©पटेल रोहित

Sanu Pandey

MONIKA SINGH khushi bhatt deepshi bhadauria Sketchy_writing (Deeksha Sharma)

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#मन #उदास #दिल ❤️ #बेचैन हो जाता है

जब #तुम्हारा #नाम #सुनते हैं _____ 

#दूसरों के #लबों 💋 से ______! 💔 



सानू पांडेय 🖊️ MONIKA SINGH khushi bhatt deepshi bhadauria  Sketchy_writing (Deeksha Sharma)

Ankitmotivation06

जो आपकी बात सुनते समय इधर उधर देखे,
उस पर कभी विश्वास मत करो !!
 --  

Ankitmotivation06 ✍️✍️✍️#Nojoto#Nojotoapp #Shayari #Quotes #Poem #poetry #Love #Emotion #Journey #शायरी #कविता #दिलकीबात #दिलकेसाथ #रूहकीआवाज #रूहकेसाथ #रूहकेअल्फाज #जो #आपकी #बात #सुनते #समय #इधर #उधर #देखे,
#उस #पर #कभी #विश्वास #मत #करो Internet Jockey Satyaprem Upadhyay Renu Sihag Pratibha Tiwari(smile)🙂 Simran singhaniya

Modern Danoda

"नसीहत वो सच्चाई है, जिसे हम कभी ध्यान से नही सुनते। और तारीफ वी धोखा है, जिसे हम हमेशा ध्यान से सुनते हैं।"

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"नसीहत वो सच्चाई है,

जिसे हम कभी ध्यान से नही सुनते।

और तारीफ वी धोखा है,

जिसे हम हमेशा ध्यान से सुनते हैं।"



"ज़िन्दगी में यही देखना ज़रूरी नहीं है,

कि कौन हमारे आगे है या कौन हमारे पीछे....

कभी यह भी देखना चाहिये कि, 

हम किसके साथ हैं, और कौन हमारे साथ है....." "नसीहत वो सच्चाई है,

जिसे हम कभी ध्यान से नही सुनते।

और तारीफ वी धोखा है,

जिसे हम हमेशा ध्यान से सुनते हैं।"

Rooh_Lost_Soul

वो दादा नाना के घर जाना, वो दादी के हाथ से बना माखन तो नानी के हाथ की खीर खाना, वो बागों में सारी दुपहरी बिताना तो नानी यहां ढेरो कॉमिक्स किराये पर लाना । वो बचपन था इतना सुहाना, ना कोई पराया था, ना कोई बेगाना ।। ना अब वो दिन रहे , और ना वैसा बचपन रहा, बस हर तरफ हर कोई अपने मे ही है उलझा हुआ। काश वो दिन पुराने फिर लौट आते, कुछ उन्हें सुनते, तो कुछ अपनी सुनाते ।। जब भी मिलते कही उनसे , बिना बुढ़ापे की फिक्र किये बस उनके गले से चिपक जाते ।। काश वो दिन फिर से कुछ पल ही सही, मगर फिर से जी पाते ।। Ol

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प्रिये दादा जी  वो आपके साथ हर शाम नई कहानी सुनते-सुनते ना जाने कब सो जाते थे, और आप धीरे से अपनी गोद मे उठाकर हमें घर के आंगन में बिछी चारपाई पर मच्छरदानी के भीतर सुला आते थे ।
भोर की पहली किरण पर हम फिर चहकने लगते थे और बिना देर किये सबसे बड़ा पीतल का ग्लास थामे वहां पहुँच जाते थे जहाँ आप भैसों का दूध खुद दुहा करते है। 
हमे देख कर आप मुस्कुराते हुए पहले हमारे ग्लासों को ताज़े दूध से भर देते थे, और हम झट से बिना गर्म किये, फौरन वो दूध गटक जाते थे ।। कभी पतली तो कभी मोटी सी बन गई मूछों को देख आप जोर से खिलखिलाते थे ।
दादा जी, आप आज भी हमे बहुत याद आते है ।। वो दादा नाना के घर जाना, वो दादी के हाथ से बना माखन तो नानी के हाथ की खीर खाना, वो बागों में सारी दुपहरी बिताना तो नानी यहां ढेरो कॉमिक्स किराये पर लाना । वो बचपन था इतना सुहाना, ना कोई पराया था, ना कोई बेगाना ।।
ना अब वो दिन रहे , और ना वैसा बचपन रहा,
बस हर तरफ हर कोई अपने मे ही है उलझा हुआ।
काश वो दिन पुराने फिर लौट आते, कुछ उन्हें सुनते, तो कुछ अपनी सुनाते ।। जब भी मिलते कही उनसे , बिना बुढ़ापे की फिक्र किये बस उनके गले से चिपक जाते ।।
काश वो दिन फिर से कुछ पल ही सही, मगर फिर से जी पाते ।।
#Ol

आशुतोष विश्वकर्मा

पुरानी यादें

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पुरानी  यादें आज भी, ॥मासूम बचपन की कुछ सुहानी यादें॥

वो शाम ढलते ही बिस्तर के आग़ोश में खो जाना...
चांदनी रात में रेडियो पे लता जी, 
मुकेश और मोहम्मद रफ़ी को सुनते सुनते सो जाना...
याद आता है कभी कभी वो बीता हुआ ज़माना...

वो सुबह उठते ही माँ से कुछ खाने के लिए मांगना...
नाश्ता कर के ,झोले में टिफ़िन बॉक्स डालना और,
पुस्तक की पहली कविता जोर जोर से गाते हुए स्कूल चले जाना...
याद आता है कभी कभी वो बीता गुजरा ज़माना...

दादी की कहानियों के क़िरदारों को सपने में देखना...
वो भूतों वाली कहानियां सुनकर अंधेरे में जाने से डर जाना...
पिताजी से डांट खाने पर मां के पल्लू में छिप के सिसक जाना...
फिर मां का प्यार से पुचकारना, और चुप कराने के लिए पिताजी को झूठ मूठ का डांटना और उसपर उनका जोर से हंस देना...
याद आता है कभी कभी वो बीता हुआ ज़माना...

जिद्द कर के मां से एक रुपये लेना, 
और संतरे वाली चार टॉफियाँ छोटे भाई संग बाँट के खाना...
खिलौनों के लिए मेले में जाने की ज़िद्द पकड़ लेना...
छोटे भाई को जानबूझकर कर तंग करना, 
उसके रोते ही मां से कुछ न बताने का वादा लेकर अपने सब खिलौने उसे सौंप देना...
हाँ यार बहुत याद आता है मुझे वो मेरा मासूम बचपन सुहाना...
                     #Ashutosh_Vishwakarma पुरानी यादें
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