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Azaad Pooran Singh Rajawat
"कान्हा रे कान्हा, तूने मुरली कैसी बजाई दिन का चैन गया ,मोहे रात को नींद ना आई कान्हा रे कान्हा तूने मुरली कैसी बजाई धुन मुरली की सुना दे, बाहों के झूले में झुला दे अंग अंग में प्रीत जगा दे जीवन कर दे मोरा सुख दाई कान्हा रे कान्हा, तूने मुरली कैसी बजाई।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #janmashtami#कान्हा रे कान्हा#
#janmashtami#कान्हा रे कान्हा#
read morelekh
"कान्हा कान्हा सब कहे " "कान्हा मिले न कोए " "राधे-राधे जो कहे" "कान्हा मिलिहय ओह" कान्हा कान्हा सब कहे, कान्हा मिले ना कोई...
कान्हा कान्हा सब कहे, कान्हा मिले ना कोई...
read moreVk Virendra
खुशी में पढ़ोगे तो बुरा लगेगा... दुःख में पढ़ोगे तो अच्छा लगेगा ... ये लाईन ये वक्त है गुजर जायेगा ©Vk Virendra कान्हा जी #कान्हा #गीता #ज्ञान
Vk Virendra
"गीता" में लिखा है. निराश मत होना, कमजोर तेरा वक्त है, "तू नही"... ©Vk Virendra कान्हा जी #कान्हा #motivatation #मोटीवेशन
कान्हा जी #कान्हा #motivatation #मोटीवेशन
read moreCK JOHNY
वाह कान्हा क्या तेरे ठाठ हैं जोहें गोपियाँ आज भी वाट हैं। तेरी याद में कान्हा का दिल की कहूँ भक्त जन जागे सारी सारी रात हैं। दूध,दही,घी शहद मिश्री से स्नान भोग में इक्कीस किस्म के पाग हैं। पाँच इन्द्रिय विकारों से बचने को मेरे हरी का पाँचजन्य शंखनाद है। तेरी शरण में आया जो भी प्राणी जन्म सफल खुल गए उसके भाग हैं। तेरी सतसंगति में राधारमण प्यारे समस्त जीव के बंधनों के खुले कपाट हैं। वाह कान्हा क्या तेरे ठाठ हैं जोहें गोपियाँ आज भी वाट हैं। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 12.08.2020 कान्हा
कान्हा
read moreDee . . . . .चातक
हे माधव ... एक दिन और गुजर गया तेरी पनाहों में अपने अच्छे बुरे कर्मो की गठरी लिए फ़िर खडी हुँ द्वार तेरे करने समर्पित अपनी दिन भर की कमाई तेरे चरणों में ! स्वीकारो प्रभु 🙏 कितने कांटे हैं कितने हैं फूल ? कितनी खुश्बू है कितनी है धूल ? इसका हिसाब तो तुझे ही रखना है कान्हा ! फूलों की सुगंध मिले ना मिले काँटों की चुभन से बचा लेना प्रभु !🙏 ! करना इतनी कृपा मेरे बिहारी जु ....... मेरी गठरी में सब के लिए फूल हो सुगंध हो और खुशियां हो! #कान्हा
Dee . . . . .चातक
ना चाहूं मैं जग की माया ना ही रूप ना सुंदर काया तेरी कृपा का मोहन प्यारे... बना रहे बस मुझ पर साया।। कान्हा.....
कान्हा.....
read moreDee . . . . .चातक
तपते ज्येष्ठ में बारिश की बूंदं सा ठंडी सर्द सुबहों में गुनगुनी धूप सा बसंत की महकती पुरवाई सा सावन की रिमझिम बरसात सा माखन सा कोमल, और मिश्री सा मीठा तेरा अहसास है मेरे गोविंन्द तो कैसे ना तुझे प्यार करें गर दीवाना है ज़माना तेरा तो कुसूर तेरी मनहोहक छवि का है प्यारे जो देख ले एक नज़र भर तुम्हें फिर उसे कुछ और देखने की जरूरत नही रहती।। Dee pa #कान्हा. .
#कान्हा. .
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