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نمیش
कैसे जानते होंगे हम तुजे सिर्फ मिलकर दिल को कैसे हिला दे बारहा उसे सिलकर बारहा बारबार हिला धोखा
बारहा बारबार हिला धोखा
read moreAnkit Singh
हम आज कई दिनों बाद छत पर आए है पूरे मोहल्ले के छत भरे हुए है सब अपने अपने टाँके भिड़ा रहें है किसी न किसी छत से, इसके आलवा दूसरा मनोहरम दृश्य बादलों का सूरज के साथ चल रहा है...!! एक तरफ़ जहाँ काले बादल मंडरा रहे है वही दूसरी तरफ सूरज अस्त होते हुए भी अपनी चमक कम नही होने देना चाहता, अबतो हल्की बारिश भी दाल चावल में घी का काम कर रही है मैं भीग रहा हूँ,और वर्षा की बूंदे सच मे मुझे आज मनमोहक लग रही है और इंद्रधनुष भी शाम की मनोहरम दृश्य को बढ़ाने के लिए निकल आया है....!! ....वाकई मैं ज़न्नत में सच मे ऐसे सुखद शाम को जीने की अभिलाषा बच्चपन के बाद बड़े दिनों बाद नसीब हुई है और मैं इसे कतई मिस नही करना चाहता....!! #evening #बारिश #बारिशकाइंतज़ार #बारिशकीबूंदे #शाम #शामकुछबोल #शामकीउदासी #ढलतासूरज #यादें
Koyal Sharma
ऐ बरसने वाले बादल ज़रा धीरे बरस पाए तो,, मंज़िल मेरी बस थोड़ी ही दूर है,,,तू थोड़ा रूक जाए तो,,, #बारिशकीबूंदे #बारिशें
نمیش
ये न जानता था इतना तेरा असर दिखेगा एक बार का नज़ारा बारहा मुझे दिखेगा बारहा बार बार
बारहा बार बार
read moreKrati Singh
🌦️।। वर्षा ।।🌦️ बरस रही मेघ से , टिप टिप अमृत की बूंद, कहीं मचा है हाहाकार ,कोई रहा सुख ढूंढ।। कंचन से मोती भर रहे, माटी में सौंधी सुगंध, बिखरी मलमल हरियाली, हों कैसे आंखें बंद।। दूर क्षितिज अटारी पर छम छम नाच रही चपला, हृदय हुआ जाए बावरा ,देखने मनभावन दृश्य अगला।। निखर रहा है नूर धरा का, निरंतर जा रहा है बढ़ता, मानो फैला रही हो बारिश की बूंदे, अपनी सुन्दरता।। फूट रहे फव्वारे ,पवन नित नव राग अलाप रही, घने मेघ के अंबर से ,धुंधली सूर्य किरण झांक रही।। ©Krati Singh 🌦️ वर्षा का जादू🌦️ #बारिश_की_बूंदे #वर्षा #हिंदी_कविता #प्राकृतिक_चित्रण #बारिशकामौसम #Time
🌦️ वर्षा का जादू🌦️ #बारिश_की_बूंदे #वर्षा #हिंदी_कविता #प्राकृतिक_चित्रण #बारिशकामौसम #Time #शायरी
read moreNasamjh ladka
बारिश कोई बच्चा खुश हुआ किसी के पैसे गीले हो गए किसी के खेत खिल उठे किसी के आंसू छुप गए बारिश का असर हर जगह अलग हुआ है #rain #बारिश #बारिशों #बारिशें #बारिश_की_बूंदे Natrajan Abdullah Qureshi VIKASH KUMAR Ravi Sagar Shivani Keshari like comment and share P
Sarthak dev
बारात में दुल्हन के साथ नज़र आई पीले सूट में लाल दुपट्टा वो लड़की कुछ खास नज़र आयी नज़रे चुराकर ताकते रहे उसके होठों का तिल उसकी मेहंदी अपनी खुली जुल्फों में वो ऐसी खूबसूरत रात लगती है बारिश में नूर की उसके तारें भीगकर और चमक जाए क्या कहे वो कितनी लाजवाब लगती है ©Sarthak dev #बारातवाली
राजेंद्रभोसले
बारा गुरूंचा बोध धातूर्वादी गुरू बनुनी करी आम्हा बोध चंदना जैसे गुरूसहवासे शिष्यास मुक्तीबोध परीस स्पर्शा लोहाचे सुवर्ण बनुनी बोध अलिंगन दे किंवा कर ठेवता मस्तकी बोध कृपा दृष्टीचा अनुग्रह देऊनी शिष्यास बोध आत्मनाम विचार वदुनी शिष्यास करी बोध कासवीसमे गुरू पाहता शिष्य उद्धाराचा बोध चंद्र सानिद्धे येता चंद्रमणी पाझरे बोध तैसे गुरू सहवासे शिष्याप्रती प्रेम प्रकटे बोध दर्पणासमे गुरु दर्शने स्व-स्वरूपाचा बोध छायानिधी सावली पडणारा राव होई बोध तैसे गुरू छाया पडता शिष्यास मुक्तीचा बोध नादनिधी श्रवणी ध्वनी धातूचा बने कनक बोध तैसे साद ऐकता गुरू करी शिष्यास कृपा बोध क्रोच सहस्रोकोसो दुर सय करता पिलास तृप्तीचा बोध तैसे गुरू दुर असता शिष्यास आठवता मुक्तीचा बोध असो नसो इच्छा गुरुची शिष्यास होई बोध जैसे सुर्यकांत मनी उजळे सुर्य प्रकाशात बोध राजेंद्र म्हणे देई मज कोणताही बोध सदगुरु सापडे ह्रदयी ज्ञानेशाचा बोध कवी राजेंद्रकुमार भोसले मो. 8888773192 #बारागुरूंचाबोध