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Rahul Yadav
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि नाम धनपत राय श्रीवास्तव ग्राम लमही जिला वाराणसी, सायद यह थोड़ा अंजान लगता है परंतु "मुंसी प्रेमचंद" सुनते ही हिंदी कथा आकाश के इस सूर्य को दुनियाँ भर के लोग परचित से जान पड़ते हैं. उन्होने लगभग 300 कहानियाँ 14 बड़े उपन्यास लिखे। "गोदान","गबन","कर्मभूमि","सेवा सदन", "निर्मला","ईदगाह",आदि महान रचनाये माँ हिन्दी के अंचल में डाल गए। उन्हे सत् सत् नमन 🙏 जन्म - 31जुलाई 1880 मृत्यु - 8 अक्टूबर 1936 महान कथाकार उपन्यास सम्राट मुंसी प्रेमचंद... #great #novelist
🌟Annie 💫
ख्वाईशें..आज मुंसी प्रेमचंद की जयंती पर उन्होंने मेरा शत शत नमन। ओर उनको समर्पित उनकी कविता।🙏🙏🙏ख्वाईशें #मुंशी_प्रेमचंद_की_जयन्ती #कविता N #nojotohindi #munshipremchand #शब्दों_की_दुनिया #anniie #mynojotofeelings #मुंशी_प्रेमचंद_की_जयंती
read more@Sushilkumar_Sushil
हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार मुनशि प्रेमचन्द्र की जयंती पर आप सभी नोजोतो परिवार को बहूत बहुत शुभकामनाये#🎂🎂💝
हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार मुनशि प्रेमचन्द्र की जयंती पर आप सभी नोजोतो परिवार को बहूत बहुत शुभकामनाये#🎂🎂💝 #nojotophoto
read morebina singh
मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh #devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश
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read moreNC
White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल किताबी बातें काम न आईं फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई सच्चाई एक अकेले कोने में रोई यहां किताबों का न होता अमल यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।। ©NC #Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता
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read moreAwanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
कविता कविता
read moreKishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Vikram Kumar Anujaya
White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya #moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता
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