Nojoto: Largest Storytelling Platform

New फूफा सॉन्ग Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about फूफा सॉन्ग from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, फूफा सॉन्ग.

Stories related to फूफा सॉन्ग

    LatestPopularVideo

IndrajeetraoIndrajeetrao

सैया के जुगौली धर्म है फूफा कईले बा सॉन्ग मेरा #shok #जानकारी

read more

rishu

खफा खफा से लगते हो
की 
खफा खफा से लगते हो
जिंदगी हो 
य
फूफा हो क्या

😄😁😁

©rishu #फूफा

Adv.Pramod@Basti

जीजा बनें फूफा #कॉमेडी

read more

रजनीश "स्वच्छंद"

फूफा जी।। फूफा जी ओ फूफा जी, रूठ चले क्यूँ फूफा जी।। पास हमारे भी आ बैठो, उठ चले क्यूँ फूफा जी।। चलो शरारत नहीं करेंगे, बुरी ये आदत नहीं कर #Poetry #Quotes #कविता #nojotophoto

read more
 फूफा जी।।

फूफा जी ओ फूफा जी, रूठ चले क्यूँ फूफा जी।।
पास हमारे भी आ बैठो, उठ चले क्यूँ फूफा जी।।
चलो शरारत नहीं करेंगे, बुरी ये आदत नहीं कर

Jai mata rani

फूफा जी कॉमेडी मनी मेराज

read more

Prathmesh

सॉन्ग माय सॉन्ग #शायरी

read more

Roy Boy

देशभक्त सॉन्ग।। #सॉन्ग #viral #जानकारी

read more

Roy Boy

देशभक्त सॉन्ग।। #सॉन्ग #viral #जानकारी

read more

Gotam Kumar

बहुत दिन हो गए तुम्हें देखे बिना फूफा जी और रवि फूफा कहां पर हो #nojotophoto

read more
 बहुत दिन हो गए तुम्हें देखे बिना फूफा जी और रवि फूफा कहां पर हो

Ankit Tripathi

जिद्दी फूफा और डरावनी रात #AWritersStory #हॉरर

read more
यह एक ऐसी रात की कहानी है जिसकी यात्रा का कारण मनमानी भरा था।वो बित रहे वर्ष का आखिरी दिन था।नया वर्ष का जश्न मनाने के लिए किसी नई जगह जाने का जिद फूफा जी ने ठान  लिया था।अब ससुराल में उनकी कोई बात टाले ऐसी हिम्मत भला कौन कर सकता था ।वो भी  ऊँचे औधे वाले फूफा जी की बात टालना बिल्कुल भी खतरे से खाली नही था।बाहर अम्बेस्डर और ड्राइवर दोनों फूफा जी के आदेश के पालन में तयार खड़े थे।
फूफा जी ने भी कमर कस ली थी खुद के साथ बुआ जी और बेटी सहित तीन भतीजों को भी यात्रा के लिए कमर कसवा दिया था।फिर भी एक शिष्टाचार में ससुर जी से आदेश की आवश्यकता थी ।ससुर जी ने यात्रा के बारे में पूछा तो पता चला कि फूफा जी ने वाल्मीकि नगर के जंगलों के पास नेपाल बॉर्डर पर जश्न मनाने की सोची है।वो तो ठीक था पर वहां की यात्रा की शुरुआत रात 8 बजे से होनी थी ये बात ससुर जी को खटक गयी।ससुर जी ने आधे अधूरे हक से परन्तु पूरे अनुभव से दामाद जी को समझाने और रोकने का प्रयास किया।परंतु दामाद जी  कहाँ मानते उन्होंने तय कर लिया था कि यात्रा होगी तो होगी।अगले आदेश पर अम्बेसडर मे फूफा जी सहित सभी यात्रीगण गंतव्य के लिए चल पड़े।
                                    उस समय यात्रा इतनी आसान नही हुआ करती थी।100 किमी की यात्रा आज की 500 किमी के बराबर थी ।अम्बेसडर भी 40 किमी प्रति घंटे के हिसाब से दुर्गम रास्तों पर आगे बढ़ी ।यात्रा जैसे जैसे आगे बढ़ी कठनाई बढ़ती चली गयी।घनघोर कोहरे ने अम्बेस्डर की गति को और धीमा कर दिया था।उस बीच भूली भटकी सड़कों ने रात को और मौके दे दिए थे।इन सब घटनाओं के  बीच यात्रा को बाधित करने वाली एक और घटना हुई।अम्बेस्डर आधी यात्रा पर हांफने लगी ।दुर्गम राहो के कारण अम्बेस्डर की फँखी टूट गयी।ड्राइवर अम्बेस्डर को हारता देख हाथ खड़े कर दिए।उसने साफ कह दिया कि साहब अब हमसे नही हो पायेगा। यात्रा तो मानों समाप्त ही थी।
               फूफा जी महाभारत के अर्जुन की भाँति केवल चिड़िया की आंख देख रहे थे।फूफा जी ने लक्ष्य साधन की प्रबल इच्छा से असहज थक चुके अम्बेस्डर के स्टेयरिंग को संभाल लिया और लक्ष्य भेदने के लिए चल पड़े ।यात्रा की गति अब 10 किमी प्रति घंटा हो गयी थी ।सामने एक घना जंगल था रात की 11:30 बज चुके थे भतीजों सहित सभी की हालत खराब थी ।पर फूफा जी के साहस के बल पर वो भी एक मजबूर सहयोग बनाये रखे। जंगल पार करके एक रेस्ट हाउस में रुकने का इंतज़ाम था।आज रात वहीं तक पहुचने का लक्ष्य था। 
          अम्बेस्डर जंगल की तरफ बढ़ा तभी सामने से एक खुली  ट्रक आयी जिसके पीछे कुछ नकाबपोश लोग असलहों के साथ बैठे थे।उन्होंने ने टोर्च जलाकर चलती ट्रक से अम्बेस्डर के अंदर बैठे लोगों को देखा।उन नकाबपोश लोग को देखकर सभी को लगा कि आज काम तमाम हो जाना है।उसका कारण था उस समय वाल्मिकी जंगल में  लूट पाट और हत्याओं का दौर ।अचानक ट्रक ने उल्टा टर्न लिया और अम्बेस्डर के पीछे आने लगा ।तभी आगे रेलवे का फाटक बंद हो गया जो जंगल के अंदर था।ट्रक अम्बेस्डर के बगल में खड़ी हो गयी  सभी नकाबपोश असलहों के साथ अम्बेस्डर को घेर लिए।उन्होंने फूफा जी को बाहर निकलने को कहा ।अंधेरा घना था उम्मीद की किरण समाप्त थी।अम्बेस्डर के अंदर डर का गजब माहौल था।उस बीच फूफा जी ने एक बार फिर मजबुरी भरी हिम्मत दिखाई और बाहर निकले ।बाहर निकलते ही एक आवाज आई कि"सर आप इतनी रात को जंगल की तरफ क्यों जा रहे हैं" ये आवाज सुनते ही मानो सूख चुके गले को पानी का स्रोत मिल गया हो।वो थे हमारे वीर जवान जी जंगल में गश्त लगा थे।उन्होंने जंगल के भयावहता और खतरे से आगाह किया और पीछे पीछे खतरनाक जंगल को पार करवाकर के सुरक्षित रास्ते पर छोड़ा।उन वीर जवानों के बदौलत हम सुरक्षित जंगल से बाहर आ गए।बस मानो जैसे महाभारत के अर्जुन को कृष्ण मिल गए हों।
                   अब घटना वहां पहुंची जहां रेस्टहाउस था।
रेस्टहाउस साहब के इंतज़ार में सो गया था ।रात के 1:30 बजे अम्बेस्डर की चाल देख वो उठ पड़ा पर उसका उठना मानो  बेकार ही था।रेस्टहाउस में ना पानी था ना बिजली ।किसी प्रकार बिस्तर की व्यवस्था थी जो उस समय सबसे उपयुक्त था।लेकिन कहानी यहां भी थी ।रेस्टहाउस के वार्डन ने कहा साहब रात में कोई भी बुलाये आप दरवाजा ना खोलियेगा।वार्डन ने कहा कि यदि मैं खुद भी खोलने को कहूँ तो ना खोलियेगा ।इतना कहकर अपने बातों पर विश्वास दिलाने के लिए कुछ सच्ची वारदातों को सुना दिया।उन वारदातों को सुनने के बाद यहां के  बिस्तर भी उपयुक्त नही मालूम पड़ रहे थे।मखमल बिस्तर पर बस उल्लू लेटे थे जो रात में सुबह के उजाले की उम्मीद ढूढ़ रहे थे।थकान हावी हुई और उम्मीद ढूढते ढूढते सब सो गए।फूफा जी की नींद गायब थी शायद वो ससुर जी के अनुभव को याद कर रहे थे।
              नए वर्ष की नई सुबह हो गयी थी।उम्मीद का सूर्य उदय हो गया था।पर एक प्रश्न फूफा जी को तंग कर रहा था।  फूफा जी ने वार्डन से पूछा क्या भाई रात में दरवाजा खोलने को कौन चीख रहा था।वार्डन ने कहा साहब नही मालूम।फूफा जी ने कहा क्या बात कर रहे हो कोई तो था।अब वो कौन था ये रहस्य ही रह गया।
           अंततः फूफा जी ने चिड़िया के आंख पर निशाना लगा ही दिया।एक डरावनी रात के बाद नए  वर्ष की सुबह गंडक नदी के किनारे वाल्मीकि जंगल में फूफा जी ने नववर्ष मनाया।लौटते वक्त उन्होंने रात की यात्रा नही किया।।।।।।।।।।
     
ये कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है।किसी भी सच्ची घटना से कोई लेना देना नही है।यदि ऐसा होता हैं तो यह मात्र संयोग होगा।

©Ankit Tripathi जिद्दी फूफा और डरावनी रात

#AWritersStory
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile