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Giridhar Rai
कौन है देत सहारा धक्का देने के लिए, सभी यहाँ तैयार दुनियादारी के हुए, बहुते लोग शिकार बहुते लोग शिकार, कौन है देत सहारा सको नहीं पहचान, कौन है मीत हमारा कहते गिरिधर राय-मिले न जुबाँका पक्का मददगार दो - एक, बाकी देत हैं धक्का डॉ.गिरिधर राय ©Giridhar Rai #good_night गिरधर राय की कुण्डलिया
#good_night गिरधर राय की कुण्डलिया
read moreKhushi Kandu
White (दोहा) जिन्ह मन तजि कुटिलाई, जीवन सुखमय होय। मन की माया से मुक्त, तन आनंदित होय।। ©Khushi Kandu #GoodMorning #khushikandu #doha #दोहा #छंद #जीवन
#GoodMorning #khushikandu #doha #दोहा #छंद #जीवन
read moretripti agnihotri
White तृप्ति की कलम से दोहा छंद 17 जुड़ा भाव का कारवाॅं, लिया शब्द ने रूप। शब्द - शब्द मुखरित हुआ,ज्यों सरदी की धूप।। स्वरचित मौलिक तृप्ति अग्निहोत्री लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश ©tripti agnihotri दोहा छंद
दोहा छंद
read morekavitri vibha prabhuraj singh
#कुड़लियां छंद #राधा तकती श्याम की #मन के भाव अपनी कविता #कावित्री विभा प्रभुराज सिंह
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kavitri vibha prabhuraj singh
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
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कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।। ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा । वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
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कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।। आओ खेलो संग , हमारा निर्मल नाता । समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
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