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ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय हे भोल भंडारी, नाथ हमारे नर आधे और नारी, अर्धनारीश्वर प्यारे जगत पालन हारी, तुम्हारी जय हो जग को संकट से उबारो सब की नैया पार उतारो सब के दुखों को बुहरो सुख के ढेर को ढारो हे शंकर अविनाशी, तुम्हारी जय हो ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय। हे अवाघड़ दानी जिसके गले की शोभा रूद्राक्ष और नागों के राजा नागराज कानों में कुण्डल, कैलाश के वाशी जटा में तुमने गंगाधारी गला में तुम्हरे सांप निहारी हे त्रिशूल धारी, डमरू वादी कमंडल धारी, आनंदी सवारी आत्मचिंतन वारी, तुम्हे राख है प्यारी हे त्रिनेत्र भोले शंकर, तुम्हे भांग है अर्पण हे कैलाशपति, तुम्हारी जय हो ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय। तुम हो भोलेे, हे भोले हे भोले शंकर जग भोला तुम बनाओ कपट से दूर भगाओ सबको प्यार ही प्यार सिखाओ जग को न्यारा तुम बनाओ ऐसी शक्ति तुम बरसाओ हे जगतपति, हे त्रयदृष्टि पति जग में कृपा, तुम बरसाओ हे गौरीपति, त्रिशूलधारी, आदिपती जय हो, तुम्हारी जय हो ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय। #ॐ #नमः #शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय हे #भोल #भंडारी, #नाथ हमारे #नर आधे और #नारी, #अर्धनारीश्वर प्यारे #जगत #पालन हारी, तुम्हारी #जय हो #जग को #संकट से उबारो सब की #नैया पार उतारो सब के #दुखों को बुहरो #सुख के #ढेर को ढारो
Anil Siwach
।।श्री हरिः।। 17 - शीत में इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं को छोड़ने से पूर्व ये झूल उतार लिए जाते हैं।पशु कहाँ समझते हैं कि ये झूल शीत से रक्षा के लिए आवश्यक हैं। वे प्रातः झूल उतार लिए जाने पर प्रसन्न होते हैं। बछड़े-बछड़ियाँ ही नहीं, गायें और वृषभ तक शरीर झरझराते हैं और खुलते ही दौड़ना चाहते हैं। शीत निवारण का यह सहज उपाय प्रकृति ने उनकी बुद्धि में दिया है। दौड़ना न हो तो सब सटकर बैठेंगे, चलेंगे या खड़े होंगे। ले
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|| श्री हरि: || 3 - सचिन्त 'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले। आज भद्र कहाँ गया? कन्हाई ने भद्र को इधर उधर देखा, पुकारा और फिर अपने दाहिने हाथ की दोहनी बांयें हाथ में लेते हुए बाबा के समीप दौड़ गया। राम-श्याम दोनों भाई प्रातःकाल उठते ही मुख धोकर पहिले गोदोहन करने गोष्ठ में आते हैं। प्रातःकृत्य गोदोहन के पश्चात होता है। बाबा के साथ ही भद्र सोता है। उनके साथ ही दोहनी लिए सवेरे दोनों भाइयों को गोष्ठ में मिलता है। लेकिन
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