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Parasram Arora
White प्रेम की झील मे जो प्रेमी उतर चुके वे कभी डूबने से डरते नही ऐसे प्रेमियों को झील के उस पार पहुंचाने मे ईश्वर भी उनके मददगार बन जाते है ©Parasram Arora प्रेम की झील
प्रेम की झील #कविता
read moreAnant Nag Chandan
White बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं। मुनव्वर राना ©Anant Nag Chandan बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं। मुनव्वर राना
बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं। मुनव्वर राना #Shayari
read moreJaved Raza
White अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें हैं कौन सी, न वो समझ सके, न हम ©Javed Raza #Sad_Statusअजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें हैं कौन सी, न वो समझ सके, न हम
#Sad_Statusअजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें हैं कौन सी, न वो समझ सके, न हम #Life
read moreGhumnam Gautam
White क़दम बाद में रक्खें पहले निज कदमों के निशाँ रखें आग अगर होना है तो पहले ख़ुद में धुआँ रखें बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन केवल एक ही उलझन है― आँखों में यदि तुम्हें रखें तो नीद और सपने कहाँ रखें? ©Ghumnam Gautam #sad_shayari #कहाँ #ghumnamgautam
#sad_shayari #कहाँ #ghumnamgautam
read moreNilam Agarwalla
White जाएँ तो जाएँ कहाँ, नहीं कहीं भी ठौर। कोई नहिं अपना यहां, है स्वार्थ का दौर।। जाएँ तो जाएँ कहाँ, सीधे सच्चे लोग। शैतानों के बीच रह, कष्ट रहे हैं भोग।। जाएँ तो जाएं कहाँ, लेकर मन की बात। कड़वी होती है बड़ी, सीधी सच्ची बात।। धीरज होना चाहिए, बदलेंगे हालात। जाएँ तो जाएँ कहां, सब देते आघात।। जाएँ तो जाएँ कहाँ, अपने घर को छोड़। रूठ गये हमसे सभी,चल रहे मुंह मोड़।। बैठे हैं चुपचाप हम, आई किसकी याद। जाएँ तो जाएँ कहाँ, सुने कौन फरियाद।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #जाएँ तो जाएँ कहाँ
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#Life_Experiences sic मिटाना मुश्किल है मुझे, हम तुम्हे हर दौर मे मिलेंगे, कहाँ छुपोगे ,कहाँ तक बच पाओगे मुझसे, जहाँ बनाओगे ठिकाना , उस ठौर #शायरी #कलमसत्यकी
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White पत्थर दिल समझ लिया.................... मुझे............! उसको कहाँ पता.......!! पत्थरों से नादियां बहती है...... ©Rameshkumar Mehra Mehra # पत्थर दिल समझ लिया,मुझे,उसको कहाँ पता,पत्थरों से नादियां बहती है......
# पत्थर दिल समझ लिया,मुझे,उसको कहाँ पता,पत्थरों से नादियां बहती है...... #Quotes
read moreRavindra Singh
White कहाँ तलाशूँ में सुकून… कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । कभी-कभी दौड़ पड़ता हूँ , अकेला किसी ख़ाली सुनसान रोड पर , मोह कुछ पल के लिए जब , मैं इस संसार से तोड़ देता हूँ । मुझे प्रकृति से प्यार हो गया है जैसे , मुझे संगीत से लगाव हो गया है जैसे, मुझे तालाबों, पोखरों , के पास बैठना अच्छा लगने लगा है । जब देखता हूँ लोगों के दोहरे स्वभाव को , एक में प्यार , दूसरे में ईर्ष्या का भाव को , मुझे ख़ुद से प्यार करने के सिवा , नहीं लोगों का साथ सच्चा लगने लगा है । मैं नहीं करता बहस लोगों से अब, वो जैसा सोचे मेरे बारे में, मैं वैसा उनकी सोच पर उन्हें छोड़ देता हूँ । कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । ©Ravindra Singh कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari
कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari #Poetry
read moreNandita Tanuja