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PURAN SING‌H CHILWAL

10000k_🤑🤑😘😘😘😘🥰🥰 मैं रिश्तो का धागा हूं मजबूरी की जंजीर नहीं करता है वह इंसाफ मौज लो रोज लो ना मिले तो खोज लो #विचार

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poonam atrey

#धागे_रिश्तों_के #पूनमकीकलमसे #नोजोटोराइटर्स कविता कविता कोश vineetapanchal Parul (kiran)Yadav Gyanendra Kukku Pandey अदनासा- Rameshk

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Ravendra

सशस्त्र सीमा बल, बहराइच में ब्रह्मा कुमारी समाज, द्वारा किया गया रक्षाबंधन 42वी वाहिनी के प्रांगण में रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया जिसम #वीडियो

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बेजुबान शायर shivkumar

Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

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White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

राधिका  छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती । #कविता

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White राधिका  छन्द :-

सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना ।
रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।।
मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती ।
करो क्षमा अपराध सब , आप हो दाती ।।

प्रेम ज्योति सब में जले , यही वर माँगा ।
दे दो भोलेनाथ जी , प्रेम का धागा ।।
देख पराई पीर को , लगे सब रोने ।
यही भाव उत्पन्न हो, हृदय के कोने ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR राधिका  छन्द :-


सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना ।

रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।।

मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती ।

ਸੀਰਿਯਸ jatt

लो जी कोई नई बेल्ट आई है क्या मार्केट में! चूची को रोकने के लिए belt 🤡💀 लड़किया joker से कम होती हैं क्या? आप खुद सोचो Bra भी पहन सकती है 🤣🤣 #Videos

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