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Mohan Sardarshahari
White रिश्ता इस तरह रहा तुझसे टोका वक्त की बंदिशों ने समझा तूने अनकहे ही तो दामन को दर्पण बनाया मैंने।। ©Mohan Sardarshahari # दर्पण
# दर्पण
read moregudiya
White हिमालय किधर है? मैने उस बच्चे से पूछा जो स्कूल के बाहर पतंग उड़ा रहा था उधर- उधर उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी मैं स्वीकार करूं मैने पहली बार जाना हिमालय किधर है ! -केदारनाथ सिंह ©gudiya #nojotophoto उधर- उधर उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी मैं स्वीकार करूं मैने पहली बार जाना हिमालय किधर है !
nojotophoto उधर- उधर उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी मैं स्वीकार करूं मैने पहली बार जाना हिमालय किधर है !
read moredarpanpremka by Rajesh Rj
White आसमान में कितने तारे ? लगते थे वो अपने सारे , अंधियारा में खोया दीप , लगते थे जो अपने प्यारे । please mention it in your story ©darpanpremka by Rajesh Rj आसमान में कितने तारे ? लगते थे वो अपने सारे , #Sad_Status #दर्पण #darpanpremka #darpanpremkabyrajeshrj #trnding #nojohindi #Star jha.jul
आसमान में कितने तारे ? लगते थे वो अपने सारे , #Sad_Status #दर्पण #darpanpremka #darpanpremkabyrajeshrj #trnding #nojohindi #Star jha.jul
read moreAnjali Singhal
"हर पल ही मैं देखूँ तुझको, बसा हुआ है तू मेरी आँखों में; मैं तेरा चेहरा हूँ तू मेरा दर्पण है। रूह को जो रूह से बाँधे, ऐसा तेरा मेरा बंधन है;
read moreaditi the writer
White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया, चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया। आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे, जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे। चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी, आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी। जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को, भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो। सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे, दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे। असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती, ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती। अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई, ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई। चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है, दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है। ©aditi the writer #दर्पण आगाज़ Niaz (Harf) vineetapanchal shraddha.meera
#दर्पण आगाज़ Niaz (Harf) vineetapanchal shraddha.meera
read morepoonam atrey
White #दर्पण समझा सदा कमज़ोर ख़ुद को ,अपनी काबलियत को कब जाना, जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना, एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही, रो रोकर अपना गुमनाम सा , भाग्य बांचती रही, खो गए थे ख़्वाब भी, मेरे वक़्त की बयार में, चल रही थी जिंदगी मेरी, अपने पूरे रफ्तार में, बिलखे थे अरमान मेरे,मेरी अपनी नाकामी पर, कितने गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर, फिर एक दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था , पहचाना था तब ख़ुद को मैंने , मिला एक सहारा था, तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई, मुझको मेरी शक्ति, मेरे मन दर्पण ने दिखलाई, निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को, कमज़ोर नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey #दर्पण #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिन्दी Sunita Pathania Sethi Ji Ravi Ranjan Kumar Kausik @_hardik Mahajan अदनासा- सायरी मोटिवेशन
#दर्पण #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिन्दी Sunita Pathania Sethi Ji Ravi Ranjan Kumar Kausik @_hardik Mahajan अदनासा- सायरी मोटिवेशन
read moreVinit Sarmandal
White माउंट कैलाश, हिमालय पर्वत में तिब्बत के सुदूर दक्षिण - पश्चिम कोने में स्थित एक अद्भुत शिखर है। 6638 मीटर (21778 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह हिमालय के सबसे ऊंचे हिस्से में से एक है ओर कुछ नदियों के स्त्रोत के रूप में कार्य करता है। ©Vinit Sarmandal #हिमालय
बेजुबान शायर shivkumar
White ।। जिस काले गोले से होता है , इस ब्रह्मांड का विनाश है, वह काला गोला महादेव के बस एक सूक्ष्म अंश के वो समान है ।। आदि ना ही अंत जिनका, कंठ समुद्र समान है गले मैं अजय बासुकी, बाल गरुण समान है रूप मानो ऐसा जिसके मुट्ठी में ब्रह्मांड है एक रूप ऐसा जहा ब्रह्मांडधारि पुष्प पे सवार है, जिनका तप सहस्त्र सूर्यो के समान है जिनका मन पूर्ण चंद्र सा महान है, जिनके नेत्र में है बस्ता,वो अंतिम खंड इस समाज का ऐसा ना समझो कि, भैरव बस नाम वो विनाश का । आदियोगी, सर्वयोगी, पूर्णयोगी, महानयोगी । बह रहे हैं गंगाधारी, नदियों के बहाव में चल रहे हैं चंद्रधारी, हिमालय की हवाओं में जिनको महसूस हो रहे जो वो " मां " नाम की पुकार में सहला रहे हैं छाती मेरी ममता के आवास में, रो रहे हैं भोलेनाथ जी भूख की पुकार में ।। लड़ रहे हैं रूद्र बनके, उग रहे हैं पुष्प बनके हंस रहे हैं चंद्र बनके, जल रहे हैं कोयला बनके, हर रहे हैं मां बनके, और मुझे डांट रहे हैं पितृ बनके । ।। जिनके हाथ में है भार मेरे हाथ का, जिनकी आंखों में है तेज मेरी आंख का, जिनकी बुद्धि है शोध मेरे ज्ञान का, महादेव कहो या शिव संपूर्ण अर्थ बस यही काल का ।। ॐ हर हर महादेव ॐ ©बेजुबान शायर shivkumar #Shiva #om_namah_shivay #हरहरमहादेव #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 #कविता #omnamahshivaya हर हर महादेव भक्ति सागर भक्त
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