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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी ख्वाबो ने सुकून,जीवन का मार डाला है सीढ़िया चड़ते चड़ते,अधमरा कर डाला है कभी ना खत्म होने वाली दौड़ ने तन मन घायल कर डाला है तलाश मेरी दो बूँद थी आनन्द की मगर सागरो की प्यास ने उलझा रखा है रसूखदार समझे दुनिया,सिक्का मेरे नाम का होगा मैं भले ना भोग पाऊँ पद प्रतिष्ठा को जीर्ण क्षीण शरीर होगा,चला भी जाऊँ असमय लेकिन पत्थरो पर उकेरा मेरा ब्यौरा होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #ClimbTheSky लेकिन पत्थरो पर उकेरा मेरा ब्यौरा होगा #ClimbTheSky
#ClimbTheSky लेकिन पत्थरो पर उकेरा मेरा ब्यौरा होगा #ClimbTheSky #कविता
read moreAshish Panjwani
दोस्त मेरा गद्दार हुआ मेरी प्रेमिका से उसे प्यार हुआ किस्मत बोली मुझसे, हुआ तो हुआ हुआ तो हुआ
हुआ तो हुआ
read moreDoli Rani
~ जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा अच्छा होगा। स्वयं को मुझ पर छोड़ दो अपने कर्म पर ध्यान दो। कर्म ऐसा जो स्वार्थरहित पापरहित हो। ~ कृष्ण ने दुष्टों को भी अपनी गलती सुधारने का मौका दिया, क्योकि वो किसी मनुष्य को नहीं उसके अंदर के बुराई को मारना चाहते थे। ~ संदेह की स्याही से संबंध के पृष्ठ पर कभी शुभ अंकित नहीं होता इसलिए अपने मन के विचार और संबंधों का आधार दोनों ही शुभ रखें। ~ मोहग्रस्त होकर अपने कर्तव्य पथ से हट जाना मूर्खता है, क्योंकि इससे ना तो तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और ना ही तुम्हारी कीर्ति बढ़ेगी। ~ इस भौतिक संसार का यह नियम है जो वस्तु उत्पन्न होती है, कुछ काल तक रहती है अंत में लुप्त हो जाती है चाहे वे शरीर हो या फल हो। ~ यदि कोई व्यक्ति प्रेम से, भक्ति से, पुष्प, फल, जल भी मुझ पर चढ़ा दे तो उसी भाव से उसे स्वीकार करता हूं वह मेरा प्रिय भक्त होता है। ©Doli Rani #जो हुआ अच्छा हुआ
#जो हुआ अच्छा हुआ
read moreMyself Puja
कौन कहता है कि प्यार दोबारा नहीं हो सकता, यदि सामने वाले का प्यार सच्चा है तो आप उसे प्यार करने से अपने आप को रोक नहीं सकते।। #प्यार हुआ इकरार हुआ
Devil
प्यार हुआ इकरार हुआ तेरे बिना मर जाएंगे ए वाला मजाक हुआ ©Devil प्यार हुआ इकरार हुआ
प्यार हुआ इकरार हुआ #शायरी
read moreKirti Sharma
इन हजारों करोड़ो आत्माओं की भीड़ में, अपने आप को खोजने निकल पडी थी,इक कोने में देखा तो जिंदा लाश के जैसे पड़ी थी , रिश्ते क्या होते हैं, नहीं जानती थी,पर निभाने निकल पड़ी थी, कोशिश तो पूरी करती थी,पर .........., झूठ और फरेब की दुनिया में सच को लाने चली थी ,धोखों की एक लम्बी कडी मेरी लाश को भी गलाने लगी थी , चाहत कुछ और थी मेरी,पर मैं कुछ और ही करने लगी थी, कई बार धोखे खाये , फिर भी जल्द ही भरोसे कर लेती थी, ये जिन्दा लाश अब ईश्वर से भी नाता तोड़ने लगी थी , दूसरों की खुशी के लिए,गमों को पनाह देने लगी थी, आज जब फिर से धोखा मिला , तो...., ईश्वर के आगे रोने लगी थी । ©Kirti Sharma "मैं स्वयं" मेंने अपने आप को परखा , और कागज के एक टुकड़े पर उकेरा ।
"मैं स्वयं" मेंने अपने आप को परखा , और कागज के एक टुकड़े पर उकेरा । #Poetry
read morePiku Thakur
रूठना-मनाना जो भी हुआ अच्छा हुआ, ख़त्म पुराना एक किस्सा हुआ, जिसमें कभी समाया था वजूद मेरा, दूर मुझसे आज मेरा वो हिस्सा हुआ। जो भी हुआ अच्छा हुआ,
जो भी हुआ अच्छा हुआ,
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