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Parasram Arora
White गुलशन का पुराना माली आज न जाने कई संत बन कर घुम रहा हैँ लगता हैँ झरती हुई फूल की पंखुडियो को गिरता देख उसके भीतर भी कहीं वैराग जाग न गया हो ©Parasram Arora माली या संत
माली या संत
read moreManmarzi Shayar
White जरा जवाब तो दो मेरी एक बात का.... सच में वक़्त नहीं है या फिर मेरी याद ही नहीं आती.... ©Manmarzi Shayar #Sad_Status जरा जवाब तो दो मेरी एक बात का.... सच में वक़्त नहीं है या फिर मेरी याद ही नहीं आती....
#Sad_Status जरा जवाब तो दो मेरी एक बात का.... सच में वक़्त नहीं है या फिर मेरी याद ही नहीं आती....
read moreneelu
White सबसे ज्यादा सही क्या है... इंसान या.. इंसानियत मेहनत या .......नियत धर्म या धर्म ...का ज्ञान ज़मीन या .. आसमान ©neelu #diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है... #इंसान या.. #इंसानियत #मेहनत या .......#नियत धर्म या धर्म ...का #ज्ञान ज़मीन या .. आसमान
Dr. Parwarish
White आदत से सिर्फ हवस जगती है, इश्क तो हमेशा इबादत ही रहा है। तुम कहते हो इश्क हुआ है? अजी सुना है ये तुम सिर्फ आदत ही रहा है। ©Dr. Parwarish इश्क इबादत या आदत
इश्क इबादत या आदत
read moreRakesh frnds4ever
White क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं,,,, मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, खिलौनों - झूलों में कहीं खलती रही है सदा मुझको किसी अपने की कमी क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं खेतों और खलिहानों में काम से थके हारे टूटते बदन की बहती पसीने की नमी में कही,, पिया है हरदम आसुओं का घूट ही,,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं,... ............. 2.......... ©Rakesh frnds4ever #क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं,,,, मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, खिलौनों - झूलों में कहीं
#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं,,,, मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, खिलौनों - झूलों में कहीं
read moreParasram Arora
White कई मनीषयो से सुना था हमने कि मौत एक झपकी की तरह आती है और एक मीठी लम्बी नींद मे इंसान को सुला जाती है लेकिन मैंने तो कई लोगो को देखा है ढेरों झपकीया लेते हुए ....फिर भी उनकी साँसे. कभी थमती नही है ©Parasram Arora झपकी या मौत
झपकी या मौत
read moreAnjali Singhal
"रुके-रुके से लगते हैं, पर रुकते नहीं। जी हाँ ढाई अक्षर के ख़्वाब हैं ये, ख़्वाब कभी रुकते नहीं। या तो टूटकर बिखर जाते हैं, या पूरे होकर संव
read moreParasram Arora
White एक लम्बे अर्से से मैं समुन्दर के तट पर टहलता रहता था पर अचानक एक दिन. समुन्दर ने एक बड़ी लहर. को उठा दिया और उस लहरने मुझे तट से उठा कर समुन्द्र के हवाले कर दिया था मैं शुक्रगुज़ार हू उस लहर का जिसने मुझ जैसे एक तुच्छ कतरे को समुन्द्र मे गिरा कर. मुझे समुन्द्र बना दिया था ©Parasram Arora कतरा या समुन्द्र
कतरा या समुन्द्र
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