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The Sarvajeet Krishna

"मोहब्बत एक नही हज़ार बार होती है, मगर उन्ही हज़ारों में से किसी एक से बार - बार होती है..!!!" "कौन सी डिश बनाई थी तूने कल, जिसकी पिक तूने fb पे अपलोड की थी" - उत्सुकता से श्रेया ने पूछा। "कलाकंद... और वो कोई डिश नही स्वीट है "- रोहन बोला। " पता है मुझे  ! कभी मुझे भी खिला दिया कर "- श्रेया हल्की नाराज़गी दिखाते हुए बोली। " चल अगली बार कुछ बनाऊंगा तो तुझे जरूर इनविटेशन दूँगा " - मुस्कुराते हुए रोहन बोला। रोहन ने आगे जोड़ते हुए कहा - " वैसे नोवेलिस्ट महोदया आपकी दूसरी नॉवल कब आ रही है, तुम्हार

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(Caption) "मोहब्बत एक नही हज़ार बार होती है, 
मगर उन्ही हज़ारों में से किसी एक से बार - बार होती है..!!!" 

"कौन सी डिश बनाई थी तूने कल, जिसकी पिक तूने fb पे अपलोड की थी" - उत्सुकता से श्रेया ने पूछा।
"कलाकंद... और वो कोई डिश नही स्वीट है "- रोहन बोला।
" पता है मुझे  ! कभी मुझे भी खिला दिया कर "- श्रेया हल्की नाराज़गी दिखाते हुए बोली।
" चल अगली बार कुछ बनाऊंगा तो तुझे जरूर इनविटेशन दूँगा " - मुस्कुराते हुए रोहन बोला।
रोहन ने आगे जोड़ते हुए कहा - " वैसे नोवेलिस्ट महोदया आपकी दूसरी नॉवल कब आ रही है, तुम्हार

Manisha Sharma

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अपनी जिन्दगी से असल, आज मुलाकात हो गई।
मैं चहकते-मचलते समन्दर सी, शांत झील हो गई।

बेवफाई मुझसे करना हां तेरी आदत सी हो गई,
और तेरी ये आदत, मेरी वफा की गवाह हो गई।
मैं चहकते- मचलते समन्दर सी, शांत झील हो गई।

ईन्तजार का तेरे, थमने ना दिया सिलसिला मैंनें,
ना आया वो मंज़र, ज़िन्दगी की ढ़लती शाम हो गई।
मैं चहकते- मचलते समन्दर सी, शांत झील हो गई।

हां थे सपने, थी इच्छाऐं, थी हर खव़्हाहिश तेरी ही,
पर खुद पर ग़ुमान, आदत तेरी वो नाजायज़ हो गई।
मैं चहकते- मचलते समन्दर सी, शांत झील हो गई।

चल मान लिया, बुरे हैं हम, मना ले खुशियां चार दिन,
पर बुरी आदत से अपनी आज मैं खुद आज़ाद हो गई।
मैं चहकते- मचलते समन्दर सी, शांत झील हो गई।

लम्बा - पथरीला चुना था रास्ता, ना थी कोई मंजिल, 
ठहरना ईच्छा नहीं, जरुरत अब इस काया की हो गई।
मैं चहकते- मचलते समन्दर सी, शांत झील हो गई।

थी सोना समझ कर बोझा उठाये जो सदियों से,
उस कचरे को बेच रद्दी के भाव, गहरी नींद सो गई,
मैं चहकते-मचलते समन्दर सी, शांत झील हो गई।

Manjari Shukla

बाल किलकारी के मार्च अंक में मेरी कहानी "होली वाला बर्थडे" होली वाले दिन "मेरा हैप्पी बर्थडे है ..."कहते हुए सात साल का गोलू सारे घर के कमरों में घूम रहा थाI घर के सभी सदस्य होली के तैयारियों में व्यस्त थे इसलिए कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा थाI थक हार कर वह अपनी माँ को सब जगह देखते हुए राजू भैया के कमरे में जा पहुँचा, जहाँ पर वह पोंछा लगा रही थीI गोलू माँ का पल्लू पकड़ते हुए बोला-"कल होली है और मै सबको बता रहा हूँ कि कल ही मेरा "हैप्पी वाला बर्थडे" है पर कोई नहीं सुन रहाI" माँ माथे

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 बाल किलकारी के मार्च अंक में मेरी कहानी "होली वाला बर्थडे" 

होली वाले दिन "मेरा हैप्पी बर्थडे है ..."कहते हुए सात साल का गोलू सारे घर के कमरों में घूम रहा थाI  
घर के सभी सदस्य होली के तैयारियों में व्यस्त थे इसलिए कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा थाI 
थक हार कर वह अपनी माँ को सब जगह देखते हुए राजू भैया के कमरे में जा पहुँचा, जहाँ पर वह पोंछा लगा रही थीI 
गोलू माँ का पल्लू पकड़ते हुए बोला-"कल होली है और मै सबको बता रहा हूँ कि कल ही मेरा "हैप्पी वाला बर्थडे" है पर कोई नहीं सुन रहाI"
माँ माथे


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