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पैदा होने से लेकर मृत्यु तक, आख़िर मेरी हैसियत क्या है! डोली से अर्थी तक के सफ़र में, आख़िर मेरी शख़्सियत क्या है! मुझे बचपन से ही सिखाया गया कि कब क्या कैसे करना है। मायके से लेकर ससुराल तक में सबको कैसे ख़ुश रखना है। आत्मसम्मान क्षतिग्रस्त होकर भी मुख से उफ़्फ़ न करना है, हैवानियत सहकर जीना है और फिर घुट-घुट के ही मरना है। #contest 10 (Hindi/उर्दू) #yourquotedidi #yourquotebaba #shabd_watika #मेरी_हैसियत #nayi_kalam #urdu_hindi Collaborating with शब्द वाटिका
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read moreInsprational Qoute
सुंदर सुमन्धित सुमनभावन सी थी जिसे अर्धांगिनी का दर्जा दिया था वक्त का जायजा लो ज़रा समाप्त तेरे जीवन का कर्जा किया था, सींचा था स्वंय को अनवरत तेरे अँगना की बगिया को महकाने के लिए, आज मुरझा हुई हूँ, न शेष है कुछ मेरे पास मेरे जीवन को बचाने के लिए, आज उठा दी उँगली मेरी हैसियत पर,भुला दिया सब मेरा किया धरा, आज कोई अहमियत नही मेरे नश्वर देह की,जो कभी थी सोना खरा। #Contest 10(Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
ईश्वर ने मुझे नारी का रूप क्या दे दिया,समाज ने जैसे मेरी हैसियत ही मिट्टी में मिला दी। बांध के रखा रीति-रिवाजों की बेड़ियों में, संस्कारों के नाम पर सजावट की चीज बना दी। मां,बेटी,बहू,पत्नी के सब फर्ज निभाये,फिर भी दुनियां के ठेकेदारों ने मेरी शख्सियत मिटा दी। जब चाहे प्यार किया जब चाहे ठुकरा दिया,अपने उपभोग और जरूरतों के लिए बलि चढ़ा दी। ना जानी मर्जी,ना समझे कभी हमारे जज्बात, जब चाहा जिस्म से खेला जीने की हसरत मिटा दी। एक चुटकी सिंदूर के बदले मालिक बन गये,जिंदगी के और जब चाहा हमें दहेज की बलि चढ़ा दी। #Contest 10(Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
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read moreWriter1
अरमान सजाए जा सजाए अर्थी, सुर्ख जोड़ा सजाए या ओढ़ ले क़फ़न बस इसका जवाब चाहिए, कहने को देवी या घर की इज्ज़त होती हैं, फिर भी हर बार क्यों हैवानियत से नौची जाती हैं। #Contest 10(Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
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read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
हर बार हर जन्म में मैं तो छली गई, बस यही है मेरी असलियत, कभी रावण तो कभी दुशासन के हाथों, नहीं कोई मेरी हैसियत। कभी चाहा कभी प्यार किया, उपभोग करके मुझे दुत्कार दिया, ऊँगली के इशारों की कठपुतली हूँ, बस यही है मेरी काबिलियत। नारी सम्मान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, हैवानों को समझ नहीं, इंसान के रूप में जन्म तो ले रहें हैं, पर नहीं है इनकी इंसानियत। #Contest 10(Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
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read moreyogesh atmaram ambawale
आखिर क्या है मेरी हैसियत,आज तक मेरे समझ न पाई| जन्म लिया जब लड़की हुई कहते हुए कइयों ने नजर चुराई| बड़ी होती गई तो समझ आया,मुझसे ज्यादा भाई पर भरोसा जताया गया| उम्र हुई शादी की तो औरो की अमानत कहकर कई बार धुत्कारा गया| शादी के बाद भी पत्नी के रूप में,पैरों की जूती समझकर इस्तेमाल किया गया| कई नियम लगाए,कई बंदिशें लगाई,मेरी हैसियत,आज तक समझ न आई| #Contest 10(Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
#Contest 10(Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 चार से छह पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,
read moreMayank Kumar 'Aftaab'
#मेरी_हैसियत कतराते हैं अपने ही लोग मुझसे , मेरी असली हैसियत जानकर । मेहमान भी कभी घर नहीं आते , शायद खपड़े की छत देखकर ।।१।। बोझ लिए फिरता हूं दुःख , हमेशा दूसरों से बच-बचाकर । नहीं करता कोई मुझसे दोस्ती , मुझे झोपड़ी वाला समझकर ।।२।। हंसते हैं मुझ पर मेरे ही पड़ोसी , मुंह में राम बगल में छुरी रखकर । चुगली करते हैं मेरे ही रिश्तेदार , इस गरीब की गरीबी देखकर ।।३।। रोता रहता हूं अक्सर भीतर से , हंसने वाली दोहरी नकाब पहनकर । ज़रा भी जाहिर नहीं होने देता दर्द , ज़माने की आंखो में धूल झोंककर ।।४।। ©Mayank Kumar 'Aftaab' #मेरी_हैसियत कतराते हैं अपने ही लोग मुझसे , मेरी असली हैसियत जानकर । मेहमान भी कभी घर नहीं आते , शायद खपड़े की छत देखकर ।।१।। बोझ लिए फिरता हूं दुःख ,
#मेरी_हैसियत कतराते हैं अपने ही लोग मुझसे , मेरी असली हैसियत जानकर । मेहमान भी कभी घर नहीं आते , शायद खपड़े की छत देखकर ।।१।। बोझ लिए फिरता हूं दुःख ,
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