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Arjuna Bunty

एसएमएस, वॉट्सएप, विडियोकॉल के जमाने में वो ख़त का जमाना बहुत याद आया खादी के कपड़ों में घर घर जाने वाला #पोस्टमैन वो पुराना याद आया। यादें जो हमको फुर्सत का पल याद दिलाती है #बात #alone #Arjunabunty

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एसएमएस, वॉट्सएप, विडियोकॉल 
के जमाने में
वो ख़त का जमाना 
बहुत याद आया
खादी के कपड़ों में घर घर जाने वाला
 #पोस्टमैन वो पुराना याद आया।
यादें जो हमको फुर्सत का पल
याद दिलाती है
इन यादों को फिर से बुनते है
यादों में खुद को ढूंढते है 
वो पुराने जमाने में खो जाते है
दादा, दादी, के गाव जाते है
खेलते है और झूमते हैं
खुली हवा में सांस लें
अपनों के संग साथ रहे
वो पुरानी बातें बहुत याद आते है
जी करता है
चलों फिर से बच्चे बन जाते है।
चलो फिर से बच्चे बन जाते है।।
Arjuna Bunty

©Arjuna Bunty एसएमएस, वॉट्सएप, विडियोकॉल 
के जमाने में
वो ख़त का जमाना 
बहुत याद आया
खादी के कपड़ों में घर घर जाने वाला
 #पोस्टमैन वो पुराना याद आया।
यादें जो हमको फुर्सत का पल
याद दिलाती है

kashish

#नेमप्लेट . कितनी देर से कॉलबेल बज रही थी. आरोही अंदर बाथरूम में थी. दौड़कर उसने दरवाज़ा खोला. पोस्टमैन खड़ा था बाहर. “आरोही शर्मा का घर यही है?” उसने पूछा. “जी हां, यही है. मैं ही आरोही हूं.” “अच्छा-अच्छा, नमन शर्मा का नेमप्लेट देखा था बाहर. आप उनकी मिसेज़ होंगी. अगली बार से भेजनेवाले को बोलना पते में नमनजी का नाम अवश्य लिखें. ढूंढ़ने में परेशानी होती है. अब सब उन्हीं को जानते हैं न.” आज फिर आरोही को काम करते-करते देर हो गई थी. कितना भी जल्दी करो, काम बारह बजे के पहले ख़त्म ही नहीं होता. अभी थोड़ी देर

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 #नेमप्लेट
.
कितनी देर से कॉलबेल बज रही थी. आरोही अंदर बाथरूम में थी. दौड़कर उसने दरवाज़ा खोला. पोस्टमैन खड़ा था बाहर.
“आरोही शर्मा का घर यही है?” उसने पूछा.
“जी हां, यही है. मैं ही आरोही हूं.”
“अच्छा-अच्छा, नमन शर्मा का नेमप्लेट देखा था बाहर. आप उनकी मिसेज़ होंगी. अगली बार से भेजनेवाले को बोलना पते में नमनजी का नाम अवश्य लिखें. ढूंढ़ने में परेशानी होती है. अब सब उन्हीं को जानते हैं न.”
आज फिर आरोही को काम करते-करते देर हो गई थी. कितना भी जल्दी करो, काम बारह बजे के पहले ख़त्म ही नहीं होता. अभी थोड़ी देर

Tausif Kazi

लिखना चाहता हूँ उन यादों को जब हम भी खत लिखते थे, जवाब के इंतज़ार में पोस्टमैन को पुकारा करते थे। अब वो चिट्ठियों का इंतज़ार ख़त्म होगया, कोई पूछे जज़्बात वो दौर भी कही खो गया। ख़त
#ख़त #चिट्ठियां #पोस्टमैन


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