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Best गाँव_की_गलियों_में_rks Shayari, Status, Quotes, Stories

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Insprational Qoute

📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 146 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

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सौंधी सी वो मिट्टी की खुशबू मिलती गाँव की गलियों में,
खो गया सारा चैन व सुकून , इन शहरों की रंगरलियों में,

भूले है पूर्वजों की धरोहर को,भूले है आज उनके त्याग को,
 उपदेश समझ वो ज्ञान की बातें उड़ा देते मात्र खिल्लियों में,

वो सौष्ठव वो शलंघ्नीय सम प्रयास जो बनाया आज हमे योग्य,
निशिदिन करते कर्मभक्ति तो फ़लती फूलती सम कलियों में।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

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kavi manish mann

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गलियों  में  गांव  के, बीते ‌ हैं  दिन-चार।
भूख मिटाने के लिए,छोड़ दिया घर-बार।
छोड़ दिया घर बार, चला परदेश कमाने।
शिक्षा हुई बेकार, चला वो  फर्ज़ निभाने।
बोले 'मन' कविराय,बात कुछ हमरी सुनियो।
भटके  वो  लाचार, शहर में गलियों-गलियों। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

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Prerit Modi सफ़र

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गाँव की गलियों में ज़िन्दगी रवाँ होती है
बच्चपन बेपरवाह होता है रौनक़-ए-बहार होती है

अठखेलियाँ में होता है यौवन चंचल हवाएँ होती हैं
समय असीम होता है दरिया दिली बेपनाह होती है

आओ ले चलूँ तुम को भी गाँव के 'सफ़र' पर
शहर से अलग यहाँ ज़िन्दगी कितनी हसीं होती है 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

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DR. SANJU TRIPATHI

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गाँव की गलियों में बीता है, मेरा अल्हड़ सा सारा बचपन।
रहता हूँ शहर में, पर बसता है आज भी गाँव में मेरा मन।

लहलहाती थी खेतों में धान की बाली, चहुँ ओर थी हरियाली।
मन को मोहती थी उषा की लाली, दिखती थी बस खुशहाली।

भूलता नहीं उन गलियों में खेलना और उस उम्र का भोलापन।
कैसे भूल जाऊँ मैं सोंधी मिट्टी की खुशबू और चूल्हे की रोटी।

 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

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Writer1

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जवान सी मेरे गांव की गलियां, जहां हम सब मनाते थे रंगरलियां,
सोंधी सी, मीठी सी मदमस्त हवा, करे इच्छा जवां,
छेड़ती कुंवारियों का जब दुपट्टा, दिल था फिसल जाता,
सावन के महीने में झूले डाल बत्तीयाती थी सखियां,
सरसों के खेत में हुस्न खिलखिलाता था ,मुस्काता था,
जो बातें थी मेरे गांव की गलियों में, वह शहरों में कहां। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

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सदियाँ  बीत  गई पर, अब भी इन  गलियों की  पहचान है,
गाँव की गलियों  में मौजूद, आज भी बचपन के  निशान हैं।
इसी गाँव में  मेरी जन्म भूमि, जो घर जमीन  मेरी धरोहर है,
इसी गाँव के  पश्चिम में, खूबसूरत  फूस का  मेरा मकान है।
इन्हीं गलियों में  हम भागते थे, दौड़कर कहीं  छुप जाते थे,
इन गलियों का हर नक्शा, जेहन में आज भी विराजमान है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

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