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Rakesh frnds4ever
White बदहाली में जो गुजरी सारी उम्र,, गुमनामी में जो गुजारी सारी साल.... मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी खाल,, मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे मेरा हाल..... विडंबना है कि,, दिखावे को तो मैं कोई हिस्सा हूं, पर क्या? कहीं ना कोई, किसी भी चीज का मैं किस्सा हूं !!! जागे हुए कि तो मुमकिन ही नहीं, कभी सोते हुए भी ना आया है,ना आएगा ,,,,, तुमको कभी भी मेरा ख्याल,,,.... जनता हूं ;:!:;,,... तुम्हारे दिल की, मन की , भीतर की हर बात, हर राज, हरेक सोच विचार,,, पर तुम क्या जानो कि,,, पागल है, बुद्धू है , मूर्ख है बावला है जो कि मैने,,, कभी किया ना कोई सवाल!!!! बदहाली की जो तुमने मेरी सारी उम्र,, घूटन में जो चल रही मेरी सभी साल देखना कभी मुझमें उमड़ेगा कोई भूकंप और अंतर्मन की विवशता और जर्जता की लावा और ज्वाला से धधकेगा, कोई भूचाल लेकिन बाहर नहीं अंदर!!!! ©Rakesh frnds4ever #बदहालीमेंजोगुजरीसारीउम्र,, #गुमनामी में जो गुजारी सारी साल.... मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी #खाल , मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे #मेराहाल ..... विडंबना है कि,, दिखावे को तो मैं कोई हिस्सा हूं,पर क्या? कहीं ना कोई, किसी भी चीज का मैं #किस्सा हूं !!! जागे हुए कि तो मुमकिन ही नहीं, कभी सोते हुए भी ना आया है,ना आएगा ,,,,, तुमको कभी भी मेरा #ख्याल ,,,.... जनता हूं ;:!:;,,... तुम्हारे #दिल की, मन की , भीतर की हर बात, हर राज, हरेक सोच विचार,,,
#बदहालीमेंजोगुजरीसारीउम्र,, #गुमनामी में जो गुजारी सारी साल.... मैं भले ही उतार डालूं बेशक अपनी #खाल , मालूम है मुझको तुम कभी ना पूछोगे #मेराहाल ..... विडंबना है कि,, दिखावे को तो मैं कोई हिस्सा हूं,पर क्या? कहीं ना कोई, किसी भी चीज का मैं #किस्सा हूं !!! जागे हुए कि तो मुमकिन ही नहीं, कभी सोते हुए भी ना आया है,ना आएगा ,,,,, तुमको कभी भी मेरा #ख्याल ,,,.... जनता हूं ;:!:;,,... तुम्हारे #दिल की, मन की , भीतर की हर बात, हर राज, हरेक सोच विचार,,, #कोट्स #rakeshyadav
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"बदहाल किसान" फसलों की बदहाली कैसे मनाऊँ दिवाली कैसे मनाऊँ दिवाली कोई तो सुने मेरी बदहाली हो गया घर मेरा खाली खेत मेरा खाली बह गया सबकुछ न बची एक भी थाली थोड़ा ही सबकुछ था मेरा वो भी नष्ट हो गया सारा अब उत्साह खुशी न रही दिवाली की बस पीड़ा है फसल बर्बादी की , हां बस चिंता है अगली बुआई की न कुछ नया लाएगी न लछ्मी* घर आएगी न नए वस्त्र आएंगे न घर सजेंगे बस दिए जलेंगे वो भी कहीं पानी से भरे होंगे खेतों में मेरा सोना था धनतेरस का गहना था सोच फसलों की चमक चौदस का रूप निखरा था न अब हरे खेत पीले होंगे न हम चांदी पहने होंगे न थाल पूरी सजेगी जो इस बार अन्न-धनलछ्मी* न घर आएगी साल के खास दिन भी खुशियों के बजाय कहीं अकेले कोने में आंसूओं की बाढ़ होगी न बैलों के गले में घंटियों की झंकार होगी इस बार गोवर्धन तेरी पूजा बैंड बाजे बिन उदास होगी माफ करना मुझे ओ मेरी बहना-२ इस भाई-दूज तेरी आस न पूरी होगी हिम्मत हारे बैठा निराश इस भाई को तेरी जरूरत होगी-२ hey guyz pls read it and raise ur hand for help for others .its time to feel the situation of farmers.#farming #poorfarmer #devasted #helpless #floodandfarmer #kisan #fasal #lovepoetry #poetrypassion #help #currentissue #unite #raiseurvoice
hey guyz pls read it and raise ur hand for help for others .its time to feel the situation of farmers.#farming #poorfarmer #devasted #Helpless #floodandfarmer #Kisan #Fasal #lovepoetry #poetrypassion #Help #currentissue #unite #raiseurvoice #poem
read morevikram singh rajawat
मुकर गए वादा करने वाले उनकी बदहाली को देखकर जो हर पल साथ निभाने का दम भरा करते थे✍✍।। #मुकर #बदहाली
Mukesh Patra "The Antidote🌱"
#OpenPoetry Dedicated to all the Daughters बेटी हूँ मैं बोझ नहीं हूँ....बोझ उठाने वाली मैं। आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में। जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। माँ के पेट से हिस्से मेरे , बिछते आये कांटे हैं। भ्रूण ही थी जब मेरे अपने, लड़का लड़की छाँटे हैं जननी भी जब बेटी जनती,खुद को कहे अभागन है। बेटा जो आये घर तो फिर बिन बरखा ही सावन है। माँ अंतर कर लेना मेरे और भाई की थाली में। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। भाई की पढ़ी किताबों से सारी ज़मात पढ़ जाउंगी। शादी की मत करना चिंता, खुद दहेज़ बन जाउंगी। बेटा पढ़ अपने घर में शिक्षा समृद्धि लायेगा। बेटी शिक्षित होवे तो पूरा समाज पढ़ जायेगा। मत कतरो पँखो को मेरे कैद करो न जाली में आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। मर्यादा से मर्यादित राम को कौन ज्ञान ये देता है। हर युग में सीता से क्यों वो अग्निपरीक्षा लेता है। मर्दो के अंधे समाज में नारी ही बदनाम हुई। खेला जुआ धर्मराज ने द्रौपदी क्यों नीलाम हुई। अबला ही मत समझो बन सकती हूँ चण्डी काली मैं। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। छेड़े मारे रेप करे फिर भी वो मर्द कहाता है। इसका दोष भी लड़की के उस पहनावे पर जाता है। तुच्छ समाज की ओछी बातें नारी पर ही आएंगे। बेटे की गंदी नजरों को कब माँ बाप झुकायेंगे। जैसी विवसता नारी की है कैसे वो जी पायेगी। गूंगी समाज केवल मर्दो की दासी ही रह जायेगी। माँ बहनों का नाम क्या अब बस रह जायेगा गाली में आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। बेटी हूँ मैं बोझ नहीं....खुद कर लुंगी रखवाली मैं। आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में। जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। #beti
Mukesh Patra "The Antidote🌱"
बेटी हूँ मैं बोझ नहीं हूँ....बोझ उठाने वाली मैं। आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में। जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। माँ के पेट से हिस्से मेरे , बिछते आये कांटे हैं। भ्रूण ही थी जब मेरे अपने, लड़का लड़की छाँटे हैं जननी भी जब बेटी जनती,खुद को कहे अभागन है। बेटा जो आये घर तो फिर बिन बरखा ही सावन है। माँ अंतर कर लेना मेरे और भाई की थाली में। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। भाई की पढ़ी किताबों से सारी ज़मात पढ़ जाउंगी। शादी की मत करना चिंता, खुद दहेज़ बन जाउंगी। बेटा पढ़ अपने घर में शिक्षा समृद्धि लायेगा। बेटी शिक्षित होवे तो पूरा समाज पढ़ जायेगा। मत कतरो पँखो को मेरे कैद करो न जाली में आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। मर्यादा से मर्यादित राम को कौन ज्ञान ये देता है। हर युग में सीता से क्यों वो अग्निपरीक्षा लेता है। मर्दो के अंधे समाज में नारी ही बदनाम हुई। खेला जुआ धर्मराज ने द्रौपदी क्यों नीलाम हुई। अबला ही मत समझो बन सकती हूँ चण्डी काली मैं। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। छेड़े मारे रेप करे फिर भी वो मर्द कहाता है। इसका दोष भी लड़की के उस पहनावे पर जाता है। तुच्छ समाज की ओछी बातें नारी पर ही आएंगे। बेटे की गंदी नजरों को कब माँ बाप झुकायेंगे। जैसी विवसता नारी की है कैसे वो जी पायेगी। गूंगी समाज केवल मर्दो की दासी ही रह जायेगी। माँ बहनों का नाम क्या अब बस रह जायेगा गाली में आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। बेटी हूँ मैं बोझ नहीं....खुद कर लुंगी रखवाली मैं। आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में। जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। #betibojhnhi #dedicatedtodaughter#emotionalpoetry #lovepoetry
Sandeep Kalia
बदहाली में दूर ही रहे सब जैसे कोई लाइलाज बीमारी थी उस शख्स के भी थे हमदर्द बहुत जब तक बेटी कुवांरी थी #बदहाली
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