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Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
कुछ अनदेखी सी है ख्वाबों से चुरा कर बना लेता हूं मैं भी बिगड़ी सी तस्वीर उसकी Rough sketch by me #sketch #dreams #अनदेखी #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #रातकाअफ़साना #drawing #yqdidi
Rough sketch by me #Sketch #Dreams #अनदेखी #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #रातकाअफ़साना #Drawing #yqdidi
read moreज्योति ਠਾਕੁਰ
ये मुहब्बत है यारों इसपर न शब्द बर्बाद करो, आँखों मे पढ़ लो महसूस करके इज़हार करो.. #अनदेखी
Anamika
घंटों बतिया लेती हूं.. कभी कर गुस्सा, कभी मनमानी, कभी प्रेम, जतला देती हूं.. बिन कोई डोर, बिन छोर, बिन शोर, क़िस्से सुना देती हूं.. चलती रही है ,चलती रहेगी.. अनछुई,अनदेखी अनुरक्ति.. #अनछुई #अनदेखी #अनुरक्ति #प्रेम #योरकोट #तूलिकाकेरंगं
PRIYA SINHA
😞😒"बेरूखी-ए-अनदेखी"😒😞 उनके पास आकर देखा ; उनसे दूर जाकर देखा ; उतना हीं वो याद आएं , उन्हें जितना भुलाकर देखा ; उनसे कुछ छिपाकर देखा ; उन्हें सबकुछ बताकर देखा ; वो उतना हीं नासमझ बन बैठे , उन्हें जितना समझाकर देखा ; उन्हें कभी खूब हँसाकर देखा ; उन्हें कभी थोड़ा रूलाकर देखा ; वो उतना हीं होते गएं दूर मुझसे , उन्हें जितना पास बुलाकर देखा ; पर जब इस बेरूखी-ए-अनदेखी में , उनसे मैंने थोड़ी दूरी बनाकर देखा ; उनको भी उतना हीं नजर आई मैं तो , उन्होंने जितना मुझसे नजरें चुराकर देखा ! प्रिया सिन्हा 𝟏𝟒. मई. 𝟐𝟎𝟐𝟎. (गुरूवार)-𝐏𝐑𝐈𝐘𝐀 𝐒𝐈𝐍𝐇𝐀. ©PRIYA SINHA #बेरूखी #ए #अनदेखी
Manish Kumar Savita
Eid Mubarak यूं ही नहीं गिरी होगी दीवार घर की कुछ तो अनदेखी अपनों ने करी होगी।। #Manish Kumar Savita #अनदेखी
Poetry with Avdhesh Kanojia
श्रद्धाहीन श्राद्ध ●●●●●●●● चल रहा है पितृ पक्ष श्राद्ध कर रहे लोग। नाना प्रकार व्यंजनों का लगा रहे हैं भोग।। किन्तु बहुत जन हैं ऐसे जो कर रहे हैं मन से। पर जब मात पितु थे जीवित तब टूटे हुए थे उनसे।। जीवित में तो पूछते नहीं उन्हें दो समय रोटी। अनदेखी करते हैं उनकी हरकत करते छोटी।। पर जब होता स्वर्गवास तब अनुष्ठान बहु करते हैं। तेरहवीं, बसरी और श्राद्ध सब मजबूरी में करते हैं।। पितृदोष के भय के कारण श्राद्ध किया करते हैं। जीवित पर अनदेखी उनकी अब मरने पर डरते हैं।। यह तो है कर्तव्य व्यक्ति का करो इसे सच्चे मन से। आग्रह है अवधेश का यह भारत के हर जन से।। पर सुनो जब तक जीवित हैं तुम्हारे पिता और माता। उनके आगे नगण्य है इस संसार का प्रत्येक नाता।। सेवा करो जीते जी उनकी आदर और प्रेम के साथ। तुम्हारे शीश पे सदा रहेगा उनके आशीष का हाथ।। और मृत्यु बाद श्राद्ध करो उसी भाव के साथ। मानसिक रूप से ही उनके चरणों में नवाओ माथ।। मात पिता की सेवा से हीन सुखी नही हो सकता। श्रद्धाहीन श्राद्ध से भी कल्याण नही हो सकता।। ✍️अवधेश कनौजिया© श्रद्धाहीन श्राद्ध ●●●●●●●● चल रहा है पितृ पक्ष श्राद्ध कर रहे लोग। नाना प्रकार व्यंजनों का लगा रहे हैं भोग।। किन्तु बहुत जन हैं ऐसे
श्रद्धाहीन श्राद्ध ●●●●●●●● चल रहा है पितृ पक्ष श्राद्ध कर रहे लोग। नाना प्रकार व्यंजनों का लगा रहे हैं भोग।। किन्तु बहुत जन हैं ऐसे
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