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Sujit Kumar Kar
What need the most is harmony..... करुणा विशाल हृदय की वस्तु है। करुणा, धन और शिक्षा से नहीं जन्म लेती, यह तो हृदय का क्षेत्र है। संस्कृत कवि कृष्णद्वैपायन व्यास अपनी कविता 'महाभारत' में एक प्रसंग में कहते हैं - "भीतम् भक्तम् नान्यदस्तीति चार्ते प्राप्तम् क्षीणम् रक्षणे प्राणलिप्सुम। प्राणत्यागादप्यहम् नैव मोक्तुम् यतेयम् वै नित्यमेतद् व्रतम् मे।।" (महाभारत ➝ महाप्रस्थानिक पर्व ➝ तृतीय अध्याय ➝ श्लोक 12)
करुणा विशाल हृदय की वस्तु है। करुणा, धन और शिक्षा से नहीं जन्म लेती, यह तो हृदय का क्षेत्र है। संस्कृत कवि कृष्णद्वैपायन व्यास अपनी कविता 'महाभारत' में एक प्रसंग में कहते हैं - "भीतम् भक्तम् नान्यदस्तीति चार्ते प्राप्तम् क्षीणम् रक्षणे प्राणलिप्सुम। प्राणत्यागादप्यहम् नैव मोक्तुम् यतेयम् वै नित्यमेतद् व्रतम् मे।।" (महाभारत ➝ महाप्रस्थानिक पर्व ➝ तृतीय अध्याय ➝ श्लोक 12)
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I will fight, even after being crippled That's my spirit तुलसीदास रामचरितमानस के बालकाण्ड में लिखते हैं कि शिव पार्वती ने विवाह रीति की शुरुआत, मुनियों के कहे अनुसार भगवान गणेश की पूजा करके की। "मुनि अनुसासन गनपतिहि पूजेउ संभु भवानि।" अब बड़ा अचरज ! विवाह हुआ ही नहीं था, भगवान गणेश का जन्म हुआ ही नहीं था, तब यह कैसे संभव ? "कोउ सुनि संसय करै जनि सुर अनादि जियँ जानि"
तुलसीदास रामचरितमानस के बालकाण्ड में लिखते हैं कि शिव पार्वती ने विवाह रीति की शुरुआत, मुनियों के कहे अनुसार भगवान गणेश की पूजा करके की। "मुनि अनुसासन गनपतिहि पूजेउ संभु भवानि।" अब बड़ा अचरज ! विवाह हुआ ही नहीं था, भगवान गणेश का जन्म हुआ ही नहीं था, तब यह कैसे संभव ? "कोउ सुनि संसय करै जनि सुर अनादि जियँ जानि"
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