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Poonam Suyal
खुद से ना-उम्मीद ना हो तुम कभी ज़िंदगी एक सी नहीं रहती कभी Please write on the darkened area given at the bottom/top...and not on the bg . ⭐⭐⭐ 3 testimonials on Urdu_shayari/promotional screening by Tanha Raatein 💐🥳🥳Shayari Challenge: submit before 6a.m the next day , mentioning 'Done' in comment section and close the collb button thereafter.. Be original & No plagiarism please. 💐नमस्कार ! साथियों Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करते है ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाएँ । 💐अपने भाव 2 लाईनों में लिखें ....
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read moreVaseem Akhthar
تہ بہ تہ زِینَۂ نا اُمید چڑھتے گئے حق سے پرے باطِل جانبِ منزل بڑھتے گئے तह-ब-तह ज़ीना-ए-ना-उम्मीद चढ़ते गए हक़ से परे बातिल जानिब-ए-मंज़िल बढ़ते गए आज हम हर छोटी छोटी बात पर ना-उम्मीद हो जाते हैं, ये भूल जाते हैं की ना-उम्मीदी कुफ़्र है और कुफ़्र हमें ग़लत राह पर ले जाता है। भले कितनी भी मुश्किलात का सामना हो, उम्मीद का दामन कभी नही छोड़ना चाहिए। क्यूं के क़ुरआन कहता है "बेशक मुश्किल के साथ आसानी है"। --------------------------------------------------------------------- तह-ब-तह= step by step । ज़ीना= सीढ़ी । हक़ से परे= सही से दूर । बातिल= ग़लत । जानिब-ए-मंज़िल= मंज़िल की तरफ़ ---------------------------------------------------------- Pleas
आज हम हर छोटी छोटी बात पर ना-उम्मीद हो जाते हैं, ये भूल जाते हैं की ना-उम्मीदी कुफ़्र है और कुफ़्र हमें ग़लत राह पर ले जाता है। भले कितनी भी मुश्किलात का सामना हो, उम्मीद का दामन कभी नही छोड़ना चाहिए। क्यूं के क़ुरआन कहता है "बेशक मुश्किल के साथ आसानी है"। --------------------------------------------------------------------- तह-ब-तह= step by step । ज़ीना= सीढ़ी । हक़ से परे= सही से दूर । बातिल= ग़लत । जानिब-ए-मंज़िल= मंज़िल की तरफ़ ---------------------------------------------------------- Pleas
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تہ بہ تہ زِینَۂ نا اُمید چڑھتے گئے حق سے پرے باطِل جانبِ منزل بڑھتے گئے तह-ब-तह ज़ीना-ए-ना-उम्मीद चढ़ते गए हक़ से परे बातिल जानिब-ए-मंज़िल बढ़ते गए आज हम हर छोटी छोटी बात पर ना-उम्मीद हो जाते हैं, ये भूल जाते हैं की ना-उम्मीदी कुफ़्र है और कुफ़्र हमें ग़लत राह पर ले जाता है। भले कितनी भी मुश्किलात का सामना हो, उम्मीद का दामन कभी नही छोड़ना चाहिए। क्यूं के क़ुरआन कहता है "बेशक मुश्किल के साथ आसानी है"। --------------------------------------------------------------------- तह-ब-तह= step by step । ज़ीना= सीढ़ी । हक़ से परे= सही से दूर । बातिल= ग़लत । जानिब-ए-मंज़िल= मंज़िल की तरफ़ ---------------------------------------------------------- Pleas
आज हम हर छोटी छोटी बात पर ना-उम्मीद हो जाते हैं, ये भूल जाते हैं की ना-उम्मीदी कुफ़्र है और कुफ़्र हमें ग़लत राह पर ले जाता है। भले कितनी भी मुश्किलात का सामना हो, उम्मीद का दामन कभी नही छोड़ना चाहिए। क्यूं के क़ुरआन कहता है "बेशक मुश्किल के साथ आसानी है"। --------------------------------------------------------------------- तह-ब-तह= step by step । ज़ीना= सीढ़ी । हक़ से परे= सही से दूर । बातिल= ग़लत । जानिब-ए-मंज़िल= मंज़िल की तरफ़ ---------------------------------------------------------- Pleas
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