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रिंकी✍️
पुरुष तन में फंसा स्त्री मन 👇 कविता अनुशीर्षक में पढ़े मुझे पसंद थे चूड़ी पायल साड़ी , झुमके , काले– काजल लेकिन डरता था क्या लोग कहेंगे ? पहनूंगा तो , क्या लोग हंसेंगे ? ये आसपास के लोग है कहते ये हाव भाव तेरे ठीक नहीं ये सजना– संवरना मर्दों की सीख नहीं
मुझे पसंद थे चूड़ी पायल साड़ी , झुमके , काले– काजल लेकिन डरता था क्या लोग कहेंगे ? पहनूंगा तो , क्या लोग हंसेंगे ? ये आसपास के लोग है कहते ये हाव भाव तेरे ठीक नहीं ये सजना– संवरना मर्दों की सीख नहीं #पुरुष #किन्नर #यकदीदी #यकबाबा #धुनज़िन्दगीकी #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकफ़ीलिंग्स #किन्नर_व्यथा
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तीसरी ताली 👇 कविता अनुशीर्षक में पढ़े जन्म लेते ही सब डर गए ये क्या ? जिंदा माँ बाप हाय फिर से मर गए लेकिन क्यो? अफ़सोस अफसोस का सन्नटा रहा तीसरी ताली ने जन्म लिया
जन्म लेते ही सब डर गए ये क्या ? जिंदा माँ बाप हाय फिर से मर गए लेकिन क्यो? अफ़सोस अफसोस का सन्नटा रहा तीसरी ताली ने जन्म लिया #किन्नर #दुःखहै #यकदीदी #यकबाबा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #तीसरीताली
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किन्नर नही सिर्फ मैं इंसान हूँ तुम जैसी माँ इस बेरहम दुनिया मे यू न अकेला छोड़ मुझे , गलती नही मेरी , यू अंदर से न तोड़ मुझे। बाबा गलती नही मेरी, कि मैं ऐसी हूँ । माँ गलती नही मेरी , मेरा भी रक्त लाल है । मैं भी तुम जैसी हूँ। सम्मान दे सको तो देदो मुझे माँ मुझे दया नही चाहिए बाबा यू न देखो मुझे त्रिस्कार भरे नजरो से मुझे तो बस प्यार तुम्हारा चाहिए माँ गलती नही मेरी कि मैं ऐसी हूँ क्या करूँ मैं तुम्ही बताओ लडक़ी जैसे भाव मेरे जो दिखती लड़को जैसी हूँ छल कपट मैं क्या जानूं? माँ ..! छल कपट मैं क्या जानूं? माँ मैं भी तो सबकी तरह कोख़ से जन्मी क्या करूँ जो मैं बस दिखती नही तुम जैसी हूँ। यू न बचपन छीन मुझसे , मुझे अपने आँचल की छांव में रहने दे। तुझे माँ कह कर बुलाऊ, बाबा को बाबा कहने दे। किन्नर नही सिर्फ मैं , इंसान हूँ तुम जैसी। माँ इस बेरहम दुनिया मे, यू न अकेला छोड़ मुझे। गलती नही मेरी , यू अंदर से न तोड़ मुझे। बाबा गलती नही मेरी, कि मैं ऐसी हूँ ।
किन्नर नही सिर्फ मैं , इंसान हूँ तुम जैसी। माँ इस बेरहम दुनिया मे, यू न अकेला छोड़ मुझे। गलती नही मेरी , यू अंदर से न तोड़ मुझे। बाबा गलती नही मेरी, कि मैं ऐसी हूँ । #कलब #यकहिन्दी #यकदीदी #यकबाबा #बातनहींहोती
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नर - नारी का रूप हो तुम तुम शिव हो ,तुम्ही पार्वती जलती आग में तपती धूप हो तुम तुम पुरुष सी बलशाली औरत ह्रदय का स्वरूप हो तुम तुम कथा हो क्रूर समाज की तुम व्यथा कष्ट और दर्द की समाज की झूठी परम्पराओ को सहने वाली तुम समाज मे दिया सिर्फ किन्नर नाम नही सबसे पहले इंसान हो तुम अग्नि में तपता मोम हो तुम अगर तुम सिर्फ तुम होती तो क्या होता ? अगर समाज का दिया नाम , तुम्हारी जाती न होती तो क्या होता तुम भी हमारे साथ हमारे बीच होती तो क्या होता? ✍️रिंकी किन्नरों को वही सम्मान मिलना चाहिए जो हर नारी हर पुरुषो के पास होती है #अगर #किन्नर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
किन्नरों को वही सम्मान मिलना चाहिए जो हर नारी हर पुरुषो के पास होती है #अगर #किन्नर #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
read moreRoohi Bhargava
एक इंसान हूं मैं क्या हुआ जो सबसे अलग हूं मैं इसका यह मतलब तो नहीं कि समाज में रहने लायक नहीं हूं मैं। क्या हुआ जो खुदा ने कुछ अलग बनाया इंसान ही तो बनाया उस खुदा के ही बच्चे हैं हम अन्तर सिर्फ इतना कि तुम पूर्ण हो और मैं अपूर्ण तुम इंसान और मैं एक किन्नर। #किन्नर challenge Nominated by Anushka Diya
#किन्नर challenge Nominated by Anushka Diya
read moreSubhasish Pradhan
हिन्दू तुझे ईश्वर माने, मुस्लिम तुझे अल्लाह पुकारे !! बस मुझे इतना बता मैं तुझे क्या पुकारूँ ? किन्नर जो हूँ, न इस किनारे न उस किनारे !! #हिन्दू #मुस्लिम #ईश्वर #अल्लाह #किन्नर #धर्म #yqdidi #yqbaba
Anamika Nautiyal
"तीसरी रेखा" समानांतर चलते हो समान नहीं कहते हर 'वाद' पर नारियों के 'वाद' गिनते और गिनवाते हो.. इर्द-गिर्द घूमते-घुटते
समानांतर चलते हो समान नहीं कहते हर 'वाद' पर नारियों के 'वाद' गिनते और गिनवाते हो.. इर्द-गिर्द घूमते-घुटते #YourQuoteAndMine #transgender #समानता #किन्नर #अतुकांत #अनाम_ख़्याल #तीसरी_रेखा
read moreAnamika
पद्मा..🌹 #googleimage #किरदार_ए_ज़िन्दगी #किन्नर कोई उनको न जाने क्यों अच्छा न समझता था , पर वे जब कभी भी टकराती , मुझे बड़ी भाती थी ,मैं बस उनके माथे की पच्चीस पैसे वाले आकार की लाल बिंदी देखकर निहारती रहती। भूले भटके पतली पतली गलियों में जब भी मिलती ,एक बार फिर पीछे मुड़कर जरूर देखकर मुस्कुरा देती ,और वो भी जोर से हंस पड़ती.. पता नहीं क्या इत्तिफाक था कि दीवाली, होली के आसपास जरूर मिलती और मेरे सिर पर हाथ फेर कर खूब आर्शिवाद देती ...और एक रूपये का सिक्का भी..
#googleimage #किरदार_ए_ज़िन्दगी #किन्नर कोई उनको न जाने क्यों अच्छा न समझता था , पर वे जब कभी भी टकराती , मुझे बड़ी भाती थी ,मैं बस उनके माथे की पच्चीस पैसे वाले आकार की लाल बिंदी देखकर निहारती रहती। भूले भटके पतली पतली गलियों में जब भी मिलती ,एक बार फिर पीछे मुड़कर जरूर देखकर मुस्कुरा देती ,और वो भी जोर से हंस पड़ती.. पता नहीं क्या इत्तिफाक था कि दीवाली, होली के आसपास जरूर मिलती और मेरे सिर पर हाथ फेर कर खूब आर्शिवाद देती ...और एक रूपये का सिक्का भी..
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