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Kavita
ना कोई धर्म छोटा ना कोई महजब घृणा ना के पात्र है धर्म है अनेक पर सब धर्मो का सार समान है आज हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईशाई - कई धर्मो में बाटा है इंशान परमात्मा ने बनायी एक धर्म ''इंसानियत'' आज उसे भुला बैठा है इंशान हिंदू करे हिंदुत्व की रखबली मुस्लिम करे मोहम्मद की हीफाजात शिख करे गुरुगोविंद की निगरानी ईशाई भी करे ईसा-मसीह की रखवाली पर क्यू? डरा सहमा ठूठरता अपने अस्तित्व को बचाता विलाप करता मारा-मारा फिर रहा है इंसानियत— % & #inshaniyat #kavita_quotes #dil_ki_baate #sawal_ek_jindgi #sawal_ek_soch_ki
Kavita
लड़कि है तू मोम की गुड़िया नही हा माना कि; जरा सी चोट पर तेरी आह निकल जाती है रो रो कर अपने आखें सूजाती है खूब नखरे भी दिखाती है हा माना कि; तेरा शरिर थोड़ा सा कमजोर है पर तू मानसिकता से कमजोर नही हाँ चल उठ अब इतिहास बदल अपने जिम्मेदारीयों को उठा उसे यूँ ना कृत्रिम बेवसियों मे छिपा चाहे जिम्मेदारी माँ-बाप की हो या स्वरचनात्मक भविष्य की जिम्मेदारी हो उसमे भी तू अपना जोर लगा समाज के कटरपंथी धारनाओं पर अपने सफलता और उज्वलकर्मों से रोक लगा हाँ तू लड़की है पर मोम की गूड़िया नही घूंघट की चादर से जिम्मेदारीयों की लौह से खूद को अब और ना छिपा अपने अस्तित्व को मजबूत बना अपने कर्मों को बखूवी निभा लोक-कथाओं को अब तू मिथ्या बना हाँ खूद को मजबूत बना, हाँ अब खूद को यूँ ना मोम बना kavita #ladki_mom_nahi #कृत्रिम=बनाबटी #बेवसियों= ससूराल की समस्याऐं , बंधन ये वों समाज के ताने ये वो वला वला # #kavita_quote #dil_ki_baate
#ladki_mom_nahi कृत्रिम=बनाबटी बेवसियों= ससूराल की समस्याऐं , बंधन ये वों समाज के ताने ये वो वला वला # #kavita_quote #dil_ki_baate
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लड़कि है तू मोम की गुड़िया नही हा माना कि; जरा सी चोट पर तेरी आह निकल जाती है रो रो कर अपने आखें सूजाती है खूब नखरे भी दिखाती है हा माना कि; तेरा शरिर थोड़ा सा कमजोर है पर तू मानसिकता से कमजोर नही हाँ चल उठ अब इतिहास बदल अपने जिम्मेदारीयों को उठा उसे यूँ ना कृत्रिम बेवसियों मे छिपा चाहे जिम्मेदारी माँ-बाप की हो या स्वरचनात्मक भविष्य की जिम्मेदारी हो उसमे भी तू अपना जोर लगा समाज के कटरपंथी धारनाओं पर अपने सफलता और उज्वलकर्मों से रोक लगा हाँ तू लड़की है पर मोम की गूड़िया नही घूंघट की चादर से जिम्मेदारीयों की लौह से खूद को अब और ना छिपा अपने अस्तित्व को मजबूत बना अपने कर्मों को बखूवी निभा लोक-कथाओं को अब तू मिथ्या बना हाँ खूद को मजबूत बना, हाँ अब खूद को यूँ ना मोम बना kavita #ladki_mom_nahi #कृत्रिम=बनाबटी #बेवसियों= ससूराल की समस्याऐं , बंधन ये वों समाज के ताने ये वो वला वला # #kavita_quote #dil_ki_baate
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