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Abd
पुरसकून कितनी है अपनी फ़जा सोचिए..! सोचिए, सोचिए और फिर गज़ा सोचिए..!! बिस्तर पे मौत आई, मौत का मज़ा सोचिए..! मलबों में दबी लाशें और वकते नज़ा सोचिए..!! सआदते, शहादते और रब की रज़ा सोचिए..! शरारते, अदावते और अपनी सज़ा सोचिए..!! गोलियां, बंबारिया और वकते अज़ा सोचिए..! आसाइशे, आसानियां और यौमे जज़ा सोचिए..!! ©Abd #chains
Arunava Chakraborty
মন আলো আলো হলে তোমাকেই মনে পড়ে ভাষা কাঁটাতার ছিঁড়লেই উড়ে যাবে দুই বাংলার ভালোবাসা নদীও তো ঘরে ফেরে রোজ রোজ ধুলোমাখা পথে ভাষাই তো উপশম ,শিরদাঁড়াহীন জীবন চলেছে কোনমতে ©Arunava Chakraborty #chains
#कहेंगे ना...
आजकल सच्चे रिश्ते मिलते नहीं। अगर मिल ही जाए किसी मोड़ पर, फिर क्यूं जंचते नहीं। अजीब यह दुनियां है, अजीब पाबंदी है। सच्चे रिश्तों को दरकिनार, बड़प्पन की बेहोशी है।। ©Soni s... #chains
dimple
दुनिया बांधती है जंजीरें, इश्क के पैरों में, करती रहती है ईश्क के खिलाफ़ साजिशें l कौन बाँध पाया है लेकिन ईश्क के परिंदे को, उड़ जाएगा इक रोज़ तोड़ के सारी बंदिशे ll ©Dimple Kumar #chains
Mithi
chotisi ek bat samjhneme puri zindegi guzar gayi... ke mera sabke liye acha hona mere khud k liye acha nahi... ©Mithi #chains
Amit Sir KUMAR
तोड़ दे तु सारे बंधन अपने दायरे के भर ले एक उड़ान लगा पंख हौसले कि एक बार तो कोशिश कर निकल अपने दायरे से एक पुरा आसमान सामने पड़ा है तेरे सपनों कि कर एक बार भरोसा अपने काबिलियत पे जीत जाएगा तु ये जंग तु अपने उम्मीदों कि। ©Amit Sir KUMAR #chains तोड़ दे तु सारे बंधन....
#chains तोड़ दे तु सारे बंधन....
read moreमनीष कुमार पाटीदार
दुख भुलाकर सुख की छाॅंव में। पंछी उड़ चले फिर अपने गाॅंव में। उड़ान थोड़ी लम्बी होकर रहेगी, मंज़िल मिलेगी थके-थके पाॅंव में। ©मनीष कुमार पाटीदार #chains
Kamlesh Shahkoti
ਉੱਚੀ ਬੋਲਣ ਨਾਲ ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਉੱਚੀ ਆਵਾਜ਼ ਸਿਰਫ਼ ਕੁਝ ਲੋਕਾਂ ਤੱਕ ਹੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਪਰ... ਉੱਚੇ ਵਿਚਾਰ ਬਹੁਤ ਦੂਰ ਤੱਕ ਜਾਂਦੇ ਨੇ! ©Kamlesh Shahkoti #chains
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी उन्मुक्त है अपनी अपनी उड़ाने जीवन में व्यवस्था का गुलाम नही होना है जरूरत अपनी अपने हिसाब से तय करेंगे बाजारों और विज्ञापनों के मायाजाल में आजादी अपनी नही खोना है बेरहम हो जाये जमाना स्वास्थ्य और शक्ति हमे अपनी नही खोना है फिजूल की शान के लिये दौलतों को अहमियत नही देना है नित नयी बदलती चीजे उपभोगों की शर्मिन्दा कर पिछड़ेपन का बोध देती है गुलाम व्यवस्था अब विश्व भर में ऐसे ही शोधों पर चल कर नियंत्रण सब कुछ करती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #chains उन्मुक्त है अपनी अपनी उड़ाने #nojotohindi
#chains उन्मुक्त है अपनी अपनी उड़ाने #nojotohindi
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