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Shubhendra Jaiswal
White भीगे पल्लव हरितिम तरुवर गीली धरती झरना निर्झर, नदियां कल-कल छल-छल बहती आया है पावस क्या प्रियवर? ©Shubhendra Jaiswal #पावस #शुभाक्षरी
Shubhendra Jaiswal
White शुचिता सरि की नित मंद करे मतिमंद सरोवर गंद करे, विमला सरिता कलि की वनिता हृद उर्मि अमंगल छंद करे। अविलंब प्रभो मति शुद्ध करो सविता बन के तम कोटि हरो, सलिला गति भी अवरुद्ध न हो रुचि हो शुचि से भरपूर करो ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी #सलिला
Shubhendra Jaiswal
White धड़कनें हैं तीव्र लेकिन श्वास क्यों तिरती नहीं इस उमस में भी हवाएं वेदना हरती नहीं, हो रहा आकुल हृदय भी तप्त अन्तस भाव से पीर की बदली घनी है बूंँद पर गिरती नहीं। ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी #मुक्तक #वेदना
Shubhendra Jaiswal
ram lala ayodhya mandir दिल के शहर का साज बजते नही सभी से , ज़ज़्बात पर अल्फाज सजते नही सभी से ! हम तो सहर औ शाम खुशियाँ लुटा रहे थे, ग़म तर रहे गले तक कहते नहीं सभी से !! @shubhendra ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी
Shubhendra Jaiswal
कटते जा रहे छांव देते शजर कटना या उखड़ना सभी को बशर। ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी