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बेजुबान शायर shivkumar

#gandhi_jayanti महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। हे नम्रता के #सम्राट दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी हमें वरदान दे कि #सेवक और #मित्र के नाते जिस जनता की हम सेवा करना चाहते हैं #MahatmaGandhi #भक्ति #त्याग #gandhijayanti #मोटिवेशनल

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White महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। 

हे नम्रता के सम्राट
दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी
हमें वरदान दे कि सेवक और मित्र के नाते
जिस जनता की हम सेवा करना चाहते हैं
उससे कभी अलग न पड़ जायें।
हमें त्याग, भक्ति और नम्रता की मूर्ति बना
ताकि देश को हम ज़्यादा समझें
और ज़्यादा चाहें।

©बेजुबान शायर shivkumar #gandhi_jayanti

महात्मा गाँधी गद्य-लेखक ही नहीं, पद्य-लेखक भी थे। 

हे नम्रता के #सम्राट 
दीन भंगी की हीन कुटिया के निवासी
हमें वरदान दे कि #सेवक  और #मित्र  के नाते
जिस जनता की हम सेवा करना चाहते हैं

HARSHIT369

#सेवक,राजा और गुरू #विचार

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White सेवक से बढ़ा राजा ,राजा के पास पद..
राजा से बढ़ा गुरू( विध्वान)..जिसके पास सम्मान.
राजा का सम्मान केवल उस्के प्रदेश मे,
जबकी गुरु(विध्वान) पुरे जगत मे पुजा,सम्मान पाता है
राजा के पास केवल धन दौलत कि ताकत होती है
विध्वान के पास विध्या,और धन दौलत कि ताकत होती है..!!

©HARSH369 #सेवक,राजा और गुरू

Pankaj Singh Chawla

देखा है तेरी रहमत बरसते,
अहसास हरपल तूने कराया है,
साथ है तू सदा अपने सेवक के,
ऐसा विश्वाश तुमनें कराया है।। #रहमत #सेवक  #एहसास #विश्वास #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo #pchawla16

Pankaj Singh Chawla

तेरियां रहमता तू ही जानें,
असी ता ठहरे माण-निमाने,
दर तेरे ते शीश निवा के,
भूल जावां हर ग़म तेरे आगे,
सुखां भरया तू हाथ है रखदा,
अपने सेवक नु दात है बख्शदा,
तेरी दात नु मत्थे ला के,
कट जावेंगे पाप कमाते।। #रहमत #सेवक #बक्श #पाप #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo #pchawla16

अविनाश पाल 'शून्य'

कैसे मैं तेरी भक्ति करूँ, कैसे मैं अपनी प्रीत लिखूँ? हे महाकाल हूँ सेवक तेरा,कैसे कोई मैं गीत लिखूँ ? न शब्दों का मैं जादूगर कोई, न छन्दों का ही है ज्ञान मुझे। मैं तेरा अनुचर हूँ प्रभु बस,इतना ही है अभिमान मुझे। न सामर्थ्यपूर्ण है शब्दकोश मेरा,जो तुमको मैं वर्णन कर पाऊँ। मैं खुद ही हूँ अस्तित्वहीन 'शून्य',बस कोशिश है शब्दपुष्प ही अर्पित कर पाऊँ। #शिवभक्त #महाकाल_भक्त

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कैसे मैं तेरी भक्ति करूँ, कैसे मैं अपनी प्रीत लिखूँ?
हे महाकाल हूँ सेवक तेरा,कैसे मैं तेरे गीत लिखूँ ? कैसे मैं तेरी भक्ति करूँ, कैसे मैं अपनी प्रीत लिखूँ?
हे महाकाल हूँ सेवक तेरा,कैसे कोई मैं गीत लिखूँ ?

न शब्दों का मैं जादूगर कोई, न छन्दों का ही है ज्ञान मुझे।
मैं तेरा अनुचर हूँ प्रभु बस,इतना ही है अभिमान मुझे।

न सामर्थ्यपूर्ण है शब्दकोश मेरा,जो तुमको मैं वर्णन कर पाऊँ।
मैं खुद ही हूँ अस्तित्वहीन 'शून्य',बस कोशिश है शब्दपुष्प ही अर्पित कर पाऊँ।

रामसेवक मीना

"आजकल,
प्यार में प्यार का मज़मून नहीं है,
लोग हसरतें तो पूरी कर रहें हैं,
पर सुकून नहीं है।"
     ........ ✍️'सेवक'

©रामसेवक मीना #सेवक

नागर श्री महाराज

#सेवक की परमाकांक्षा #समाज

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Manish Kumar Savita

गर सभी सफेद पोशाक वाले
जनता के सेवक होते
तो यकीन मानो गरीबों
तुम लोग पैदल न चल रहे होते।।
#Manish Kumar Savita #सेवक

R@|-|U!_ GO$@\/|

चला हक्क गाजवु #poem

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चला ताई आणि चला भाऊ
विकास गावाचा हाती घेऊ
एकजुटीने मतदानाला जाऊ
सेवक समाजाचा निवडुन देऊ

राजकारण मागचे विसरुन जाऊ
पक्षपात सोडुनी एकत्र येऊ
शपत जनकल्याणाची घेऊ
पुन्हा नव्याने ऊभे राहु
सेवक समाजाचा निवडुन देऊ

प्रश्न आपले मांडुन ठेऊ
वचनपत्र  पुर्णत्वाचे लिहुन घेऊ
दुरअवस्था खेड्यांची दाखवुन देऊ
मतदारांनो सावध होऊ
सेवक समाजाचा निवडुन देऊ

मतमागणार्याची जरा हजेरी घेऊ
मागिल कामांचा पाठपुरावा पाहु
महत्वाची कामे दाखवुन देऊ
आवाज आपला सर्वांपर्यत नेऊ
सेवक समाजाचा निवडुन देऊ

भविष्य तालुक्याचे योग्य हातात ठेऊ
सर्वांसाठी वाहुन घेणार्याला पुढे नेऊ
निर्णय मतदानाचा काळजीपुर्वक घेऊ
विकासासाठी प्रत्येकाने हातभार लावु
सेवक समाजाचा निवडुन देऊ.

       -   राहूल गोसावी चला हक्क गाजवु

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च
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