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नेहा उदय भान गुप्ता
मूक हुई यहां पर सत्ता, बेड़ियों में बंधकर रह गए प्रशासन के हाथ। दर दर भटक रही यहां गरीब जनता, नही देने वाला है कोई इनका साथ।। सड़को पर है अपना मासूम पड़ा, मासूमियत लगाती है आवाज़ यहां। प्रशासनों में तो है अपनी अश्रव्यता, चाहे जितना भी चीखें अपना संत्रस्त जहां।। कहीं कहीं पर है निवाला फेंका जाता, कही पेट दबाकर है कोई सोता। आम जनता चाहे जितना भी लगाएं गुहार, सुनने वाला नही कोई होता।। हैवानियत भी सर चढ़कर बोल रही, पर नही यहां पर कोई जिम्मेदारी लेता। भ्रष्टाचार में संलिप्त हुई प्रशासन, औरों के भी हिस्से का सब कुछ लेता।। पैसों की है बस यहां लूट मची, नही होती है अब भावनाओं की कद्र यहां। बेड़ियों में बंध गया प्रशासन, दया, भाव, प्रेम, त्याग, समर्पण, सब मिट गया यहां।। #प्रशासन #बेड़ियों में प्रशासन #बेड़ियों
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
मूक हुई यहां पर सत्ता, बेड़ियों में बंधकर रह गए प्रशासन के हाथ। दर दर भटक रही यहां गरीब जनता, नही देने वाला है कोई इनका साथ।। सड़को पर है अपना मासूम पड़ा, मासूमियत लगाती है आवाज़ यहां। प्रशासनों में तो है अपनी अश्रव्यता, चाहे जितना भी चीखें अपना संत्रस्त जहां।। कहीं कहीं पर है निवाला फेंका जाता, कही पेट दबाकर है कोई सोता। आम जनता चाहे जितना भी लगाएं गुहार, सुनने वाला नही कोई होता।। हैवानियत भी सर चढ़कर बोल रही, पर नही यहां पर कोई जिम्मेदारी लेता। भ्रष्टाचार में संलिप्त हुई प्रशासन, औरों के भी हिस्से का सब कुछ लेता।। पैसों की है बस यहां लूट मची, नही होती है अब भावनाओं की कद्र यहां। बेड़ियों में बंध गया प्रशासन, दया, भाव, प्रेम, त्याग, समर्पण, सब मिट गया यहां।। #प्रशासन #बेड़ियों में प्रशासन #बेड़ियों
Anupama Mishra
सुना है मेरे पैरों को लोहे कि बेड़ियों ने बांध रखा है, अजी ये रूह तो कबकी आजाद है फिर बेड़ियों की क्या खता है!! ...फिर इन बेड़ियों की क्या खता है!! #nojotohindi
...फिर इन बेड़ियों की क्या खता है!! #nojotohindi
read moreNilesh kushwaha
#बेड़ियों को बांध दिया बेड़ियों से मैंने
#बेड़ियों को बांध दिया बेड़ियों से मैंने
read moreअज्ञात कवि
समझदारियों की बेड़ियों में कुछ नासमझ, नासमझी की बेड़ियों की समझ रखते हैं कैद से फिर भी कोई रिहा नही नासमझों की समझदारियाँ बेहतर समझदारों की नासमझियां खतरनाक है। ©अज्ञात
amarnath mishra
शीर्षक : #मैं_अब_भी_आजाद_नहीं नहीं खुशी जी आजादी की मुझको मैं सच कहता हूं। लाख बेड़ियों से जकड़ा सा कठिन गुलामी सहता हूं। कश्मीर जब अपना था , तो क्यों हक - अधिकार नहीं बचे।
read moreKumar Naresh
बेड़ियों में जकड़ी है रूह तेरी , कैसे तू आज़ाद हो , उस समाज मे जन्मी तू , जहा लेगो के मन में वासना का राज हो' तन तू ढक ले मगर , नीयत लोगो की कैसे साफ हो , बेड़ियों में जकड़ी है रूह तेरी, कैसे तू आज़ाद हो। जहां तेरे जन्म पर मातम का माहौल हो , जहां तेरी शिक्षा एक बड़ा सवाल हो , तूझसे ज्यादा दहेज का मोल हो , जहां लड़को से प्यार और तूझसे सौतेलो जैसा व्यवहार हो, बेड़ियों में जकड़ी है रूह तेरी, कैसे तू आज़ाद हो। #nojoto #hindi #poetry #girls #women #struggle
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