Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best मण्डल Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best मण्डल Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutकुमाऊँ मण्डल की स्थापना, मण्डल का अर्थ, गौरि तिलक मण्डल, मण्डल आयोग, मण्डल,

  • 2 Followers
  • 71 Stories

Santosh Sagar

#रानू#मण्डल #मेहनत #भरोसा #किस्मत.. Kђusђi SiŇgђ😟 बेनाम शायर Nojoto Help 🤝 Nojoto isk AKS "" अक्स ""

read more
$रानू मण्डल$
-------------------
वो थी अकेले हीं न कोई खैर न पता, 
वो हो गयी थी दुनियां से यूँ मानो लापता !
हम हैं शुक्रगुजार उस इंसान का बड़ा, 
कर दिया मशहूर एक रात में हीं अलबता !!

अपनों से कैसे वो अकेले दूर हो गयी, 
वो खाना मांगने को क्यूं मजबूर हो गयी !
था शख्श वो जो गजब का कर दिया चमत्कार, 
वो 'राणू' एक रात में हीं मशहूर हो गयी !!

 :- संतोष 'सागर' #रानू#मण्डल #मेहनत #भरोसा #किस्मत..  Kђusђi SiŇgђ😟 बेनाम शायर Nojoto Help 🤝 Nojoto isk AKS "" अक्स ""

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 39 - आम चूसते आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही। वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये। रात्रि में वृक्

read more
।।श्री हरिः।।
39 - आम चूसते

आज कोई छीका नहीं लाया है। कल ही बालकों ने निश्चय कर लिया था कि वे प्रात: आम ही चूसेंगे।किसी ने भी बालकों के इस निर्णय का विरोध नहीं किया। बालक यदि हरिवासर के दिन अन्न नहीं लेते तो उत्तम ही है। वैसे भी इस पावस के प्रारम्भ में वन सूपक्व आम्रफलों से परिपूर्ण है। आम्र पोषक हैं और सुस्वादु तो हैं ही।

वन में आकर आज बालकों ने शृंगार करने की चिन्ता ही नहीं की। किसी ने भी गुञ्जा, किसलय, पुष्प एकत्र करने की ओर ध्यान नहीं दिया। सब आम्रफल एकत्र करने में लग गये।

रात्रि में वृक्

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 15 - नहीं करेगा 'तू लाठी चलाना सीख ले।' वरूथप ने कहा। ब्रजराजकुमार को ही लाठी चलाना न आवे, यह कोई अच्छी बात है? गोपबालक को मल्लयुद्ध और लाठी चलाने में निपुण होना ही चाहिये। 'सिखायेगा तू?' कन्हाई प्रस्तुत हो गया है। इसका वेत्र-लकुट इस काम का नहीं है तो क्या हो गया। वरूथप ने ही इसे भद्रका लकुट ले लेने को कह दिया। भद्र, वरूथप, विशाल गोपकुमारों में सबसे अच्छी लाठी चलाते हैं। वैसे तो नन्हा तोक भी अब वेत्र-लकुट घुमाने लगा है; किन्तु कन्हाई इस आवश्यक कला की शिक्षा के लिये प्रस्तुत ही न

read more
।।श्री हरिः।।
15 - नहीं करेगा

'तू लाठी चलाना सीख ले।' वरूथप ने कहा। ब्रजराजकुमार को ही लाठी चलाना न आवे, यह कोई अच्छी बात है? गोपबालक को मल्लयुद्ध और लाठी चलाने में निपुण होना ही चाहिये।

'सिखायेगा तू?' कन्हाई प्रस्तुत हो गया है। इसका वेत्र-लकुट इस काम का नहीं है तो क्या हो गया। वरूथप ने ही इसे भद्रका लकुट ले लेने को कह दिया।

भद्र, वरूथप, विशाल गोपकुमारों में सबसे अच्छी लाठी चलाते हैं। वैसे तो नन्हा तोक भी अब वेत्र-लकुट घुमाने लगा है; किन्तु कन्हाई इस आवश्यक कला की शिक्षा के लिये प्रस्तुत ही न

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 12 - नृत्यरत ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है। हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और कुण्डल कपोलों पर ताल दें रहें हैं। कण्ठ में पड़ी मुक्तामाल, घुटनों से नीचे तक लटकती वनमाला के साथ लहरा रही है। फहरा रहा है पीतपट। वक्ष पर कण्ठ के कौस्तुभ की किरणें श्रीवत्स को चमत्कृत करती छहरा-छहरा उठती है।

read more
|| श्री हरि: || 
12 - नृत्यरत

ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है।

हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और कुण्डल कपोलों पर ताल दें रहें हैं।

कण्ठ में पड़ी मुक्तामाल, घुटनों से नीचे तक लटकती वनमाला के साथ लहरा रही है। फहरा रहा है  पीतपट। वक्ष पर कण्ठ के कौस्तुभ की किरणें श्रीवत्स को चमत्कृत करती छहरा-छहरा उठती है।


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile