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Vikash Arya
वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है, वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनाना सब मनुष्यों का परम धर्म है । ©Vikash Arya #वेद #सब_सत्य_विद्या
Sketch Artist Ashwani
मोह प्रेम में लोग जब, कर पाते नहीं भेद। मिथ्या वाचक बन कहें,भर-भर झूठ सफेद। माँ-पिता अरु पुत्र-सुता, सब में बहता मोह, प्रेम परहित स्वभाव है, बता चुके हैं वेद। ©Artist Ashwani #NeerajKamal #Beingoriginal #Neerajkavitavali #दोहा-मुक्तक #प्रेम #मोह #वेद
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read moremanoj kumar jha"Manu"
मनुष्यों को शराब का सेवन तो दूर रहा, उसका स्पर्श और देखना भी पाप है। - कूर्म पुराण उपरि० अ०१७ #वेद शराब का सेवन न करें।
#वेद शराब का सेवन न करें।
read moreधम्मपद
क्या #वेद ईसा पूर्व में थी? वर्तमान समय में वेद पुस्तक को कहा जाता है, जो चार खंडों {(1) ऋज्ञवेद, 2) सामवेद, 3) यजुर्वेद, 4) अथर्ववेद} में उपलब्ध है। वेद ईसा पूर्व काल में थी इसको जानने के लिए वेद शब्द का अर्थ जानना होगा, तभी जान पाएंगे कि वेद पुस्तक ईसा पूर्व थी भी की नहीं! #वेद पालि शब्दकोश का शब्द है। कच्चान व्याकरण अनुसार विद धातु से वेद, विद्या, विद्यालय, वेदना, वेदगु, वेदयितं, वेदयामी, वेदमानो जैसा शब्द बना है। जो बुद्ध वंदना में #लोक_विदु के तौर पर प्रयोग होता है, तो मिलिंद वग्गो के तीसरे अध्याय में #वेदगू_पञ्हो और चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा लिखित बैराट भाबरु अभिलेख में #विदितेवे के रूप में मिलता है। जिसमें #लोक_विदु का अर्थ- संसार का ज्ञाता, #वेदगू-ऊँचतम अनुभवी, #विदितेवे-अनुभव प्राप्त करने वाला होता है। यानी #वेद का अर्थ अनुभव होता है। इसलिए तिपिटक में भगवान बुद्ध को #तण्ह_वेदगु कहा जाता है। यानी स्वयं के अनुभव से तीन प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने वाला। अब आते है आज वाली चार वेद से #हटकर पांचवे वेद पर, जिसका नाम #आयुर्वेद है। इस आयुर्वेद को वेद पुस्तक से दूर-दूर तक का कोई संबंध नहीं है। फिर इसका नामकरण #आयुर्वेद क्यों हुआ? #आयुर का अर्थ योगपीडिया अनुसार #जीवन होता है और #वेद का अर्थ तिपिटक अनुसार अनुभूति द्वारा प्राप्त ज्ञान होता है। यानी 👉🏾💝जीवन से सम्बंधित जो ज्ञान अनुभूति पर प्राप्त हुआ, उसे आयुर्वेद कहते हैं। फिर आज वाली पुस्तकीय वेद में अनुभूति वाली तो कोई ज्ञान है ही नहीं। वहां तो 1) ऋज्ञवेद में देवताओं को आह्वान करने का मंत्र है, तो 2) सामवेद में यज्ञ में गाने वाला संगीतमय मंत्र है, तो 3) यजुर्वेद में यज्ञ का कर्मकांड है , तो 4) अथर्ववेद में जादू, टोना, चमत्कार की बात है। आखिर ऐसा क्यों? आज वाली वेद ब्राह्मणी व्यवस्था में अद्वैतवाद वाली दर्शन (philosophy) की पुस्तक है। जिसकी एक पांडुलिपि शारदा लिपि में छालपत्र पर और 29 पांडुलिपि कागज पर नागरी लिपि में लिखी मिली थी। जिसे वर्तमान समय में भंडारकर आयोग पुणे में रखा है। उसी 30 पांडुलिपि से चौदहवीं सदी में सायन ने भाष्य करते हुए पुस्तक का रूप दिया है। जिसमें बाह्मी लिपि से शारदा लिपि का जन्म कश्मीर क्षेत्र में आठवीं सदी लगभग और बाह्मी लिपि से नागरी लिपि का जन्म दसमीं सदी में लगभग हुआ है। तदुपरांत उसके बाद वेद पुस्तक का भाष्य चौदहवीं सदी में सायन द्वारा हुआ है। वेद पुस्तक की पांडुलिपि और भाष्य करने वालों की धूर्तता सिर्फ इतनी ही है कि इन सबों ने मिलकर सम्यक संस्कृति वाली पालि शब्द #वेद, जिसका अर्थ अनुभव होता है, उसी शब्द से अपने कथा वाली पुस्तक का नामकरण कर दिया है। यानी आज कोई धूर्ततावस अपना नाम गौतम बुद्ध रख ले, तो क्या वह सम्यक संस्कृति वाला गौतम बुद्ध बन जाएगा? अब जब वेद पुस्तक का इतना सारा साक्ष्य उपलब्ध है तो इस पुस्तक के वजूद को ईस्वी सन के आस-पास ले जाना मूर्खता ही कहा जायेगा न्। ©प्रशांत मैत्रेय #WinterSunset #Rational #Rationality #HUmanity #buddha #BuddhaPurnima #Buddhist #atheist #atheism
Darsh
पानी की अंजलि में मैंने पुरा आसमाँ समा लिया... तुम्हारे साथ बीताए कुछ लम्हों में, सूरज-चाँद की चाल को समझ लिया| #कैद #वेद #कुदरत #हिंदी #yqhindi #yqdidi #yqquotes #YourQuoteAndMine Collaborating with Nisarg Patel
Yash Shakya
पाना और खोना तो किस्मत की बात है मगर चाहते रहना तो अपने हाथ में है ❤️💯🥺 ©Yash Shakya पाना और खोना तो किस्मत की बात है ❤️💯🥺 #वेद ishq Dipanjali Das Hisamuddeen Khan 'hisam'
SK pant
दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़कियां पार्कों सिनेमाघरों दुकानों पर नही दिखतीं बल्कि वे दिखतीं हैं किसी लाइब्रेरी में चुपचाप किताबें पढ़ती हुईं। ~ अनुज 'दरवेश' ©Mk Madhav #yes #वेद #are #Live #Now #Books Chanchl Sharma Anika Bhardwaj Vikash Sharma Isha Jain Vinu Kc
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। तदेतत् सत्यं मन्त्रेषु कर्माणि कवयो यान्यपश्यंस्तानि त्रेतायां बहुधा संततानि। तान्याचरथ नियतं सत्यकामा एष वः पन्थाः सुकृतस्य लोके ॥ यह है 'वह' पदार्थों का 'सत्यतत्त्व'ː कवि-द्रष्टाओं ने मन्त्रों१ में जिन कर्म को देखा, वे त्रेतायुग२ में बहुधा विस्तारित हुए। उन कर्मों का एकनिष्ठ होकर 'सत्य' के लिए कामना करते हुए तुम नियमित आचरण करो; पुण्य कर्म-लोक (सुकृत-लोक) के लिए यही तुम्हारा पन्थ है। This is That, the Truth of things: works which the sages beheld in the Mantras were in the Treta manifoldly extended. Works do ye perform religiously with one passion for the Truth; this is your road to the heaven of good deeds. ( मुंडकोपनिषद १.२.१ ) #उपनिषद #मुंडकोपनिषद #upnishad #karma #कर्म #ज्ञान #वेद
Rakesh frnds4ever
जब तक हिंदी थी, वेद ,उपनिषद्, आयुर्वेद थे भारत एक गुरुओं का देश था आज इंग्लिश ,साइंस, तकनीकी है तो भारत आज गुंडों का देश है ऐसे गुंडे जो अपनी ही संस्कृति का चीर हरण कर रहे हैं अपनी ही धरती मां की हत्या कर रहे हैं खुद को educated बताने वाले रिश्तों को शर्मशार कर रहे हैं बलात्कार ,रेप ,मर्डर ,अपहरण कर रहे हैं जब हम हिन्दी थे तो हम हिन्दू थे आज हम educated है तो हम जात पात ऊंच नीच रंग भेद के कीचड में सने हुए हैं जब हम भारतीय थे हम प्रकृति के अनुरूप थे आज हम शारीरिक मानसिक बौद्धिक ज्ञानात्मक भावनात्मक सांस्कृतिक रूप से अंग्रजियत के गुलाम बन कर साइंस ,विकास , तकनीकी, प्रोद्योगिकी,हॉस्पिटल,स्कूल,आदि के भ्रम में फंस कर अपनी धरती मां,पर्यावरण,प्रकृति ओर खुद अपनी जान के दुश्मन बने हुए हैं,,.... जब तक #हिंदी थी, #वेद ,#उपनिषद् , #आयुर्वेद थे #भारत एक #गुरुओं का #देश था आज इंग्लिश ,साइंस, तकनीकी है तो भारत आज #गुंडों का देश है ऐसे गुंडे