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Raj

AMAN THAKUR

Radha Mohan Roy

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Death_Lover

"हिमांश" बस तू ख़ुद को एक औऱ बड़े सब्र में रखकर आगे तो बढ़,
फिर देखना इस खुले आसमाँ में उड़ने का एक अलग ही मज़ा आएगा॥
(एक आज़ाद परिंदा)

©Himanshu Tomar(lawyer) #upsc_aspirant #Upsc_aspirants #himanshu_tomar #himansh #Eagle

ummed Singh Karauli

#SAD होश उडा दो दोस्तों उन लोगों के जो खुद को बहुत बड़ी तोप समझते हैं #good_morning #GoodMorningAllofYou #Dream IPS❣️ #ipsofficer #ipsmotivation #upsc #Upsc_aspirants #upsc_dream

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अपनी मेहनत से होश उड़ा दो दोस्तों उन लोगों के
जो खुद को बहुत बड़ी तोप समझतें हैं #SAD होश उडा दो दोस्तों उन लोगों के जो खुद को बहुत बड़ी तोप समझते हैं
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Death_Lover

“Try not to become a man of success, but rather try to become a man of value.”
(सफल व्यक्ति होने का प्रयास न करें, अपितु गरिमामय व्यक्ति बनने का प्रयास करें)

©Himanshu Tomar(lawyer) #upsc_aspirant #Upsc_aspirants 
#raindrops

Death_Lover

ज़िंदगी ने लिया है तो दिया भी है,
सारे गमों को एक सिरे से सिया भी है

हर किसी का यहाँ एक पिया(लक्ष्य) भी है,
कहाँ लगता उसके बिना उसका जिया भी है

"हिमांश" ज़िन्दगी ने लिया है तो दिया भी है..!!! #upsc_aspirant #Upsc_aspirants #himanshu_tomar 

#seaside

Death_Lover

मैं राह में सब्र का बाँधता चला गया,
आसमान में उसूलों की चादर तानता चला गया

"हिमांश" जो आज है अनंत में खड़ा हुआ,
वो ज़िन्दगी की सच्चाई को पहचानता चला गया॥ #Dullness #infinite #upsc_aspirant #Upsc_aspirants #अनन्त_का_सफ़र

Death_Lover

अभी ही तो खोले हैं पर, अभी ही तो थोड़ा ऊँचा उड़ा हूँ
अभी ही तो तय की है थोड़ी दूरी, अभी ही तो कुछ उम्मीदों से भरा हूँ

अभी-अभी ही तो देखा है ये गगन, अभी-अभी ही तो एक आहा से उभरा हूँ
"हिमांश" अभी-अभी ही तो आँखें खुली हैं और इधर मैं रात से अभी-अभी जगा हूँ॥ #flyhigh #upsc_aspirant #Upsc_aspirants #himanshu_tomar #self_committed

Death_Lover

"Who I Am?"

मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे
न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥1॥

मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं
मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं
मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायु: न वा सप्तधातुर्न वा पञ्चकोश:
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू चिदानन्दरूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥2॥

मैं न प्राण हूं, न ही पंच वायु हूं
मैं न सात धातु हूं,
और न ही पांच कोश हूं
मैं न वाणी हूं, न हाथ हूं, न पैर, न ही उत्सर्जन की इन्द्रियां हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

न मे द्वेष रागौ न मे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:
न धर्मो न चार्थो न कामो ना मोक्ष: चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥3॥

न मुझे घृणा है, न लगाव है, न मुझे लोभ है, और न मोह
न मुझे अभिमान है, न ईर्ष्या
मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खम् न मन्त्रो न तीर्थं न वेदार् न यज्ञा:
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥4॥

मैं पुण्य, पाप, सुख और दुख से विलग हूं
मैं न मंत्र हूं, न तीर्थ, न ज्ञान, न ही यज्ञ
न मैं भोजन(भोगने की वस्तु) हूं, न ही भोग का अनुभव, और न ही भोक्ता हूं
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

न मे मृत्यु शंका न मे जातिभेद:पिता नैव मे नैव माता न जन्म:
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥5॥

न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव
मेरा न कोई पिता है, न माता, न ही मैं कभी जन्मा था
मेरा न कोई भाई है, न मित्र, न गुरू, न शिष्य,
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्
न चासंगतं नैव मुक्तिर्न मेय: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥6॥

मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं
मैं चैतन्य के रूप में सब जगह व्याप्त हूं, सभी इन्द्रियों में हूं,
न मुझे किसी चीज में आसक्ति है, न ही मैं उससे मुक्त हूं,
मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

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