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Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 17 - शीत में इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं को छोड़ने से पूर्व ये झूल उतार लिए जाते हैं।पशु कहाँ समझते हैं कि ये झूल शीत से रक्षा के लिए आवश्यक हैं। वे प्रातः झूल उतार लिए जाने पर प्रसन्न होते हैं। बछड़े-बछड़ियाँ ही नहीं, गायें और वृषभ तक शरीर झरझराते हैं और खुलते ही दौड़ना चाहते हैं। शीत निवारण का यह सहज उपाय प्रकृति ने उनकी बुद्धि में दिया है। दौड़ना न हो तो सब सटकर बैठेंगे, चलेंगे या खड़े होंगे। ले

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।।श्री हरिः।।
17 - शीत में

इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं को छोड़ने से पूर्व ये झूल उतार लिए जाते हैं।पशु कहाँ समझते हैं कि ये झूल शीत से रक्षा के लिए आवश्यक हैं। वे प्रातः झूल उतार लिए जाने पर प्रसन्न होते हैं। बछड़े-बछड़ियाँ ही नहीं, गायें और वृषभ तक शरीर झरझराते हैं और खुलते ही दौड़ना चाहते हैं। शीत निवारण का यह सहज उपाय प्रकृति ने उनकी बुद्धि में दिया है। दौड़ना न हो तो सब सटकर बैठेंगे, चलेंगे या खड़े होंगे। ले

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 10 - गाय ब्यायी 'मेरी पुनीता बच्चा देने वाली है।' तोक ने कहा। 'तुझे कैसे पता लगा?' कन्हाई ने तोक की ओर आश्चर्यपूर्वक देखा। तोक तो उससे छोटा है - सब सखाओं में छोटा है, इसे पता लग गया और श्याम को पता नहीं लगता। 'मैया कह रही थी।' तोक ने बतलाया - इसी से तो पुनीता को बाबा चरने नहीं जाने देते हैं।'

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|| श्री हरि: || 
10 - गाय ब्यायी

'मेरी पुनीता बच्चा देने वाली है।' तोक ने कहा।

'तुझे कैसे पता लगा?' कन्हाई ने तोक की ओर आश्चर्यपूर्वक देखा। तोक तो उससे छोटा है - सब सखाओं में छोटा है, इसे पता लग गया और श्याम को पता नहीं लगता।

'मैया कह रही थी।' तोक ने बतलाया - इसी से तो पुनीता को बाबा चरने नहीं जाने देते हैं।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 7 - गायक श्याम गा रहा है - अस्फुट स्वर में कुछ गा रहा है। गुनगुना रहा है, कहना चाहिए। वृन्दावन का सघन भाग - अधिकांश वृक्ष फल-भार से झुके हैं और उन पर हरित पुष्पगुच्छों से लदी लताएँ चढी लहरा रही हैं। भूमि कोमल तृणों से मृदुल, हरी हो रही है। वृक्षों पर कपि हैं और अनेक प्रकार के पक्षी हैं। पूरे वन के कपि और पक्षी मानो यहीं एकत्र हो गये हैं; किन्तु इस समय न कपि कूदते-उछलते हैं, न पक्षी बोलते हैं। सब शान्त-निस्तब्ध बैठे हैं। एक भ्रमर तक तो गुनगुनाता नहीं; क्योंकि श्याम गा रहा है।

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|| श्री हरि: || 
7 - गायक

श्याम गा रहा है - अस्फुट स्वर में कुछ गा रहा है। गुनगुना रहा है, कहना चाहिए।

वृन्दावन का सघन भाग - अधिकांश वृक्ष फल-भार से झुके हैं और उन पर हरित पुष्पगुच्छों से लदी लताएँ चढी लहरा रही हैं। भूमि कोमल तृणों से मृदुल, हरी हो रही है।

वृक्षों पर कपि हैं और अनेक प्रकार के पक्षी हैं। पूरे वन के कपि और पक्षी मानो यहीं एकत्र हो गये हैं; किन्तु इस समय न कपि कूदते-उछलते हैं, न पक्षी बोलते हैं। सब शान्त-निस्तब्ध बैठे हैं। एक भ्रमर तक तो गुनगुनाता नहीं; क्योंकि श्याम गा रहा है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 3 - सचिन्त 'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले। आज भद्र कहाँ गया? कन्हाई ने भद्र को इधर उधर देखा, पुकारा और फिर अपने दाहिने हाथ की दोहनी बांयें हाथ में लेते हुए बाबा के समीप दौड़ गया। राम-श्याम दोनों भाई प्रातःकाल उठते ही मुख धोकर पहिले गोदोहन करने गोष्ठ में आते हैं। प्रातःकृत्य गोदोहन के पश्चात होता है। बाबा के साथ ही भद्र सोता है। उनके साथ ही दोहनी लिए सवेरे दोनों भाइयों को गोष्ठ में मिलता है। लेकिन

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|| श्री हरि: ||
3 - सचिन्त

'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले। आज भद्र कहाँ गया? कन्हाई ने भद्र को इधर उधर देखा, पुकारा और फिर अपने दाहिने हाथ की दोहनी बांयें हाथ में लेते हुए बाबा के समीप दौड़ गया।

राम-श्याम दोनों भाई प्रातःकाल उठते ही मुख धोकर पहिले गोदोहन करने गोष्ठ में आते हैं। प्रातःकृत्य गोदोहन के पश्चात होता है। बाबा के साथ ही भद्र सोता है। उनके साथ ही दोहनी लिए सवेरे दोनों भाइयों को गोष्ठ में मिलता है। लेकिन

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 49 - गाय ब्यायी 'दादा! दादा! कपिला ने बछड़ा दिया है। बड़ा सुंदर बछड़ा है। आ, देख तू।' श्यामसुंदर बहुत प्रसन्न है। यह जल्दी - जल्दी मैया को, माता रोहिणी को और बाबा को यह शुभ समाचार दे आया है। इसकी कपिला ने दूध - सा उजला बछड़ा दिया है। अपने बड़े भाई को ले आकर तुरंत यह बछड़ा दिखा देना चाहता है। 'गाय भूखी है। मैं इसके लिए कुछ ले आता हूँ। दाऊ ने बछड़े को देखा और उसका ध्यान कपिला की ओर गया। तुरंत ब्यायी गाय भूखी तो होगी ही। कितना खाली लगता है उसका पेट। गोपों ने उसके आगे बहुत कुछ रख

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|| श्री हरि: ||
49 - गाय ब्यायी


'दादा! दादा! कपिला ने बछड़ा दिया है। बड़ा सुंदर बछड़ा है। आ, देख तू।' श्यामसुंदर बहुत प्रसन्न है। यह जल्दी - जल्दी मैया को, माता रोहिणी को और बाबा को यह शुभ समाचार दे आया है। इसकी कपिला ने दूध - सा उजला बछड़ा दिया है। अपने बड़े भाई को ले आकर तुरंत यह बछड़ा दिखा देना चाहता है।


'गाय भूखी है। मैं इसके लिए कुछ ले आता हूँ। दाऊ ने बछड़े को देखा और उसका ध्यान कपिला की ओर गया। तुरंत ब्यायी गाय भूखी तो होगी ही। कितना खाली लगता है उसका पेट। गोपों ने उसके आगे बहुत कुछ रख

Anil Siwach

45 - प्रागल्भ्य || श्री हरि: ||

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45 - प्रागल्भ्य 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

33 - गोपाल || श्री हरि: ||

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33 - गोपाल 
 || श्री हरि: ||


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