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💚ShAhid❤KhAn💚
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा* करके एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके मुन्तज़िर* हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके #Shayari
read moreMo k sh K an
मुन्तज़ीर है वक़त कि क़ासिद कोई आए जीने का नहीं, मौत का, पैगाम तो लाए अक़्स आईना हो कर ये जान गया है किसके सगे हैं धूप में गहरे हुए साए जुगनुओं के कारवाँ होते हैं समंदर कोई हो ऐसा जो अंधेरों में निभाए मुन्तज़िर है वक़त कि क़ासिद कोई आए जीना का नहीं, मौत का, पैगाम तो लाए #mera_aks_paraya_tha #मेरा_अक्स_पराया_था #muntazir #मुन्तज़िर #tassavuf
Beyond The Poetry
क्या कहेंगे लोग, ताल्लुकों में हमारे, शायद बाकी कुछ मुरव्वत आज भी है हमदर्दी उन्हें हमसे, हमें उनसे मुहब्बत आज भी है मुन्तज़िर इस दिल को, इन्तज़ार-ए-क़ुरबत आज भी है महफ़िलों में अक़्सर हमारी, होता उनका ज़िक्र आज भी है पता नहीं क्यों, कम्बख़्त हमें उनकी फ़िक्र आज भी है वस्ल की मैं क्या बात कहूँ, हमें तो ग़म-ए-हिज़्र आज भी है करता है मेरा पीछा, जैसे उनका कोई अक्स आज भी है तलाश में कारवाँ के भटकता, ये नादां शख्श आज भी है तन्हाइयों में अक़्सर गिरते, मेरे अब्सार से अश्क़ आज भी है बेदर्द हैं वो अब भी, लगता है उन्हें ख़ुद पर गुमाँ आज भी है ज़रा माफ़ करना, थोड़ी तल्ख़ ये हमारी जुबाँ आज भी है ज़रा गौर से देखो, उजड़ी बस्ती के कुछ बाक़ी निशां आज भी है इश्क़ के सूखते दरख़्त पर इक शाख़-ए-सब्ज़ आज भी है महज़ उनके ख़्यालों के सहारे दौड़ती, मेरी ये नब्ज़ आज भी है क़ाश वो मुक़म्मल करे, इंतज़ार में इक अधूरी नज़्म आज भी है वो बेख़बर तो नहीं लगते, शायद फ़ितरत से मग़रूर आज भी है और भला हम ठहरे, अपनी आदतों से मजबूर आज भी हैं इश्क़ की कहानियों में, हमारा ये क़िरदार मशहूर आज भी है जो किये थे फ़ैसले, लेकर उन्हें कुछ मलाल आज भी है क्यों हुए ये फासले, इन्हें लेकर कुछ सवाल आज भी है बावजूद आलम ये है, बदस्तूर आते उनके ख़्याल आज भी है यकीं मानों, दुआओं में मेरी उनका नाम शामिल आज भी है एक वो हैं, जो समझने में इस बात को नाक़ाबिल आज भी है वफ़ा की लहरों के भरोसे, प्यासा ये साहिल आज भी है बेशक़ वो ख़्वाब रहा अधूरा, लेक़िन ये इश्क़ मेरा मुकम्मल आज भी है उनकी यादों को समेटे, मेरी ओर चलती कुछ हवाऐं मुसलसल आज भी है लेकर उन्हें थी जो लिखी, याद आती हमें वो ग़ज़ल आज भी है ये दिल है बनाता उन हसीं लम्हातों की तस्वीर आज भी है दरअसल, ये है उन पर फ़िदा एक मुसव्विर आज भी है भले मैं अब उनका रांझा न सही, वो मेरी हीर आज भी है वो मेरी हीर आज भी है...वो मेरी हीर आज भी है © अमित पाराशर 'सरल' #आज_भी_है ताल्लुकों में हमारे, शायद बाकी कुछ मुरव्वत आज भी है हमदर्दी उन्हें हमसे, हमें उनसे मुहब्बत आज भी है मुन्तज़िर इस दिल को, इन्तज़ार-ए-क़ुरबत आज भी है महफ़िलों में अक़्सर हमारी, होता उनका ज़िक्र आज भी है पता नहीं क्यों, कम्बख़्त हमें उनकी फ़िक्र आज भी है
#आज_भी_है ताल्लुकों में हमारे, शायद बाकी कुछ मुरव्वत आज भी है हमदर्दी उन्हें हमसे, हमें उनसे मुहब्बत आज भी है मुन्तज़िर इस दिल को, इन्तज़ार-ए-क़ुरबत आज भी है महफ़िलों में अक़्सर हमारी, होता उनका ज़िक्र आज भी है पता नहीं क्यों, कम्बख़्त हमें उनकी फ़िक्र आज भी है
read moreyashwant Chauhan
मुंतज़िर हूं ! सब्र का इंतेहा जानता हूं मत पूछ बेबसी मेरी मैं इश्क़ का जहां जानता हूं by-yashwant chauhan #मुन्तज़िर
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