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श्री राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष अमृत पीजै॥ कहैं 'लाल बलबीर' होय आनन्द अगाधा। निश्चै करिके चित्त कहौ श्रीराधा राधा॥ - श्री लाल बलबीर जी, ब्रज बिनोद, वृन्दावन शतक हे मन, इस भौतिक संसार की सभी इच्छाओं को त्यागते हुए श्री राधा राधा का निरंतर जप करो। ब्रज की गलियों में विचरण करो और वृंदावन धाम में निवास करो। वृंदावन में निवास करो और रसिक भक्तों की संगति करो, प्रेम के मार्ग को पूरी निष्ठा से स्वीकार करो, और विष के समान संसारी विषयों का त्याग करते हुए अमृत का पान करो। श्री लाल बीर कहते हैं, "असीम आनन्द प्राप्त करो, बस श्री राधा नाम का अपने ह्रदय से विश्वासपूर्वक जप करो!" श्री #राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर #वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष अमृत पीजै॥ कहैं 'लाल बलबीर' होय आनन्द अगाधा। निश्चै करिके चित्त कहौ #श्रीराधा राधा॥ - श्री लाल बलबीर जी, ब्रज बिनोद, वृन्दावन शतक
श्री #राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर #वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष अमृत पीजै॥ कहैं 'लाल बलबीर' होय आनन्द अगाधा। निश्चै करिके चित्त कहौ #श्रीराधा राधा॥ - श्री लाल बलबीर जी, ब्रज बिनोद, वृन्दावन शतक #संसार #गलियों
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